Denmark ने लॉन्च किया Sexual Consent App, सरकार का दावा इसके इस्तेमाल से Rape के मामलों में आएगी कमी


कोपेनहेगन. बलात्कार (Rape) के बढ़ते मामलों और झूठी शिकायतों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से डेनमार्क (Denmark) ने सेक्स (Sex) की सहमति प्रदान करने के लिए एक ऐप लॉन्च किया है. आईकंसेंट ऐप (IConsent App) के जरिए अब लोग सेक्स से पहले अपनी सहमति देंगे और किसी विवाद की स्थिति में पुलिस ऐप के जरिए यह पता लगा सकेगी कि सेक्स की सहमति थी या नहीं. सरकार का कहना है कि इससे बलात्कार के बढ़ते मामलों और झूठी शिकायतों के आरोपों से निपटा जा सकेगा.

तुरंत दे सकेंगे सहमति
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस यौन सहमति ऐप (Sexual Consent App) के जरिए यूजर केवल एक बटन दबाकर सेक्स के लिए अपनी सहमति दे सकता है, जो 24 घंटे के लिए वैध रहेगी. यूजर यदि चाहे तो वो इसे कभी भी वापस ले सकता है. हालांकि, ये बात अलग है कि सरकार का यह कदम जनता को रास नहीं आया है. अधिकांश लोग ऐप को लेकर उत्साहित नहीं हैं. बता दें कि डेनमार्क की संसद ने पिछले साल दिसंबर में बलात्कार की व्याख्या को विस्तृत करने वाला एक नया कानून पारित किया था.

Advice भी प्रदान करेगा App
App डेवलपर्स का कहना है कि इसके उपयोग से यूजर अपने फोन के जरिए सेक्स की अनुमति भेज सकता है और प्राप्त कर सकता है. यह उसके लिए एक तरह से सहमति का सबूत होगा, जिसे वह किसी कानूनी कार्रवाई के लिए भी इस्तेमाल कर सकेगा. इसके अलावा, ऐप के जरिए यौन स्वास्थ्य सलाह और यौन उत्पीड़न के शिकार हुए लोगों को सहायता समूहों के लिंक भी प्रदान किए जाएंगे.

हर साल होते हैं 11,400 Rape
डेनमार्क सरकार ने लोगों से ऐप इस्तेमाल करने की अपील करते हुए कहा है कि इससे रेप के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. कानून मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि अब यह स्पष्ट हो जाएगा कि यदि दोनों पक्ष सेक्स के लिए सहमति नहीं देते हैं, तो यह बलात्कार है. आंकड़ों की बात करें तो डेनमार्क में हर साल लगभग 11,400 महिलाओं का बलात्कार होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए संसद ने दिसंबर में एक नया कानून पारित किया था, जिसमें स्पष्ट सहमति के बिना सेक्स को बलात्कार बताया गया है.

Experts ने जताया संदेह

रिपोर्ट के मुताबिक, IConsent App के एन्क्रिप्टेड डेटा को किसी अपराध की स्थिति में पूछताछ के लिए रिकॉर्ड भी किया जाएगा. हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों ने संदेह जताया है कि शायह ही कभी अदालतों में ऐप के डेटा का इस्तेमाल हो सके. वहीं, सरकार का दावा है कि इस ऐप से अपराधों की जांच में सहायता मिलेगी और ‘सहमति’ को सबूत के तौर पर पेश किया जा सकेगा.

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