राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का जिम्मा शिक्षकों पर – कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल
वर्धा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षकों को स्वतंत्रता देती है। इसके क्रियान्वयन में शिक्षकों पर अधिक जिम्मेदारी है। विद्यार्थियों की क्षमताओं का विनियोग कर शिक्षण विधि में परिवर्तन करने की आवश्यकता है। उक्त उदबोधन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने दिये। भारतीय शिक्षण मंडल एवं नीति आयोग के सहयोग से विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग की ओर से गुरुवार (18 फरवरी) को ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर आयोजित वेबिनार में कुलपति प्रो. शुक्ल अध्यक्षीय वक्तव्य दे रहे थे। विश्वविद्यालय के मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं शिक्षण मिशन के अंतर्गत आयोजित वेबिनार में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री डॉ. मुकुल कानिटकर, भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय महामंत्री उमाशंकर पचौरी ने संबोधित किया।
कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षकों के पुराने गौरव को प्राप्त करने के लिए लायी गयी है। शिक्षक ही इस नीति के केंद्र में हैं। परिवर्तन के वाहक और स्रोत भूमि के रूप में शिक्षकों को इसे स्वीकार करना होगा और इसके लिए शिक्षको को भगीरथ यत्न करने होंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षकों को जितनी स्वतंत्रता दी है उतना ही उनका उत्तरदायित्व भी बढ़ गया है। इस नीति के केंद्र में केवल और केवल शिक्षक है। हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति को परिवर्तनगामी बनने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि समाज और विद्यार्थियों के सपनों को साकार करने तथा मशीन नहीं अपितु मनुष्य बनाने की बड़ी जिम्मेदारी शिक्षकों पर आ गयी है।
वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री डॉ. मुकुल कानिटकर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दृष्टि से नीति आयोग ने भारतीय शिक्षण मंडल को अहम जिम्मेदारी दी है और इस क्रम में पूरे भारत में वेबिनार और चर्चाएं आयोजित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस नीति का क्रियान्वयन शिक्षकों के हाथों में है और इसके लिए शिक्षकों को ऋषि की भांति अपना योगदान देना होगा। हमें नालंदा और तक्षशिला जैसी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी और शिक्षा का भारतीयकरण करना होगा।
प्रमुख अतिथि के रूप में विचार रखते हुए भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय महामंत्री उमाशंकर पचौरी ने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसे लागू करने में आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों को जागरूक करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि देशभर में एक हजार से अधिक आयोजनों के माध्यम से जागरूकता लाने का कार्य किया जा रहा है। इसका प्रारूप बनाकर नीति आयोग को प्रदान किया जाएगा।
कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य शिक्षा विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. मनोज कुमार ने दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का संदर्भ देते हुए स्वदेशी शिक्षा की मशाल लेकर आगे बढ़ने का संकल्प व्यक्त किया। प्रस्तावना वक्तव्य शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर ने दिया। उन्होंने शोध आधारित शिक्षा में नवाचार पर चर्चा की जरूरत जताते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उपयोगी बताया।
कार्यक्रम का प्रारंभ विश्वविद्यालय के कुलगीत से किया गया। संचालन शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. संदीप पाटिल ने किया तथा भारतीय शिक्षण मंडल के विदर्भ प्रांत के युवा आयाम के प्रमुख अंकित कलकोटवार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उदघाटन के पश्चात समानांतर सत्रों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न आयामों पर सारगर्भित चर्चा की गयी।