बहुत पुराना है राष्‍ट्रीय एकता का सांस्‍कृतिक आधार : डॉ. पृथ्‍वीश नाग


वर्धा. महात्‍मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति तथा सुविख्‍यात भूगोलवेत्ता डॉ. पृथ्‍वीश नाग ने कहा है कि भारत की राष्‍ट्रीय एकता का सांस्‍कृतिक आधार बहुत पुराना है। भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत की वजह से देश एकसूत्र में बंधा रहा। हमारे धर्म, कला, संस्‍कृति और खान.पान की विविधताओं के बावजूद हम एक हैं, यह हमारी सांस्‍कृतिक पहचान है।


डॉ. पृथ्‍वीश नाग शुक्रवार को महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालयए वर्धा में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के उपलक्ष्‍य में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की एक भारत श्रेष्‍ठ भारत योजना के अंतर्गत भारत का सांस्‍कृतिक विरासत एटलस विषय पर गालिब सभागार में विशेष व्‍याख्‍यान दे रहे थे। कार्यक्रम की अध्‍यक्षता विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने की।

डॉ. नाग ने अपनी पुस्‍तक भारत सांस्‍कृतिक विरासत एटलस का संदर्भ लेते हुए संपूर्ण भारत के धर्म.दर्शन, नदियां, समुदाय, खान.पान और रहन-सहन को लेकर एटलस के माध्‍यम से विस्‍तार से बात रखी। उन्‍होंने कहा कि भौतिक भूगोल और सांस्‍कृतिक भूगोल के कारण देश एकसूत्र में बंधा रहा। विचारों के माध्‍यम से देश को संगठित करने की परंपरा रही है। सामाजिक सुधार आंदोलन के द्वारा देश जुड़ा रहा। ब्रह्म समाज, आर्य समाज, रामकृष्‍ण मठ और मिशन, चिन्‍मय मिशन आदि ने देश को जोड़ा।

डॉ. नाग ने कहा कि आज सांस्‍कृतिक राष्‍ट्रवाद की बात की जा रही है। इस देश में हिंदू धर्म, हिंदुओं के पवित्र स्‍थलए जैन धर्म, बौद्ध धर्म, इस्‍लाम धर्म, ईसाई धर्म और सिख पंथ आदि ने राष्‍ट्रीय एकता के कीर्तिमान बनाए हैं। धर्म और दर्शन ने भारत की सांस्‍कृतिक विरासत को एकसूत्र में जोड़ने का कार्य किया है।

डॉ. नाग ने शिवाजी महाराज के कुशल नेतृत्‍व का उल्‍लेख करते हुए कहा कि शिवाजी महाराज को भूगोल के बारे में अच्‍छा ज्ञान था और वे जानते थे कि कहाँ से अपनी सेना को सुरक्षित रखकर नीति तैयार की जा सकती है। भौगोलिक ज्ञान के चलते ही उन्‍होंने मुगलों से कड़ी टक्‍कर ली। उन्‍होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से वर्धा का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। वर्धा के हिंगणघाट में विलियम लैम्‍पन साइंटिफिक सर्वे का काम करने आए और बाद में मलेरिया से उनकी मृत्‍यु हो गई। हिंगणघाट बस स्‍थानक में उनकी समाधि बनाई गई है। इसी स्‍थान का चयन कर जार्ज एवरेस्‍ट ने भारत के मैपिंग का कार्य शुरू किया। उन्‍हीं के नाम दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम माउंट एवरेस्‍ट रखा गया।

अध्‍यक्षीय उदबोधन में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा कि भौगोलिक एकता के कारण भारत एक है। भारत के भूगोल में भी भाषा की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। उन्‍होंने कहा कि विश्‍वविद्यालय भारत के मध्‍य में स्थित है और यहां की सांस्‍कृतिक विरासत समृद्ध रही है। प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि भारत के केंद्र में होने के नाते विश्‍वविद्यालय में भूगोल विभाग स्‍थापित किया जाएगा। इसके लिए उन्‍होंने डॉ. पृथ्‍वीश नाग से सहयोग की अपेक्षा व्‍यक्‍त की। इस अवसर पर कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने डॉ. नाग का अंगवस्‍त्र सूत की माला और विवि का स्‍मृतिचिन्‍ह देकर अभिनंदन किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में दीप दीपन कर छत्रपति शिवाजी महाराज के चित्र पर माल्‍यार्पण किया। कार्यक्रम में स्‍वागत वक्‍तव्‍य देते हुए मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. कृपाशंकर चौबे ने कहा कि भूगोल विषय पर 75 पुस्‍तकें लिखने वाले डॉ. नाग ने मानचित्र निर्माण में पहली बार डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करवाया। कार्यक्रम का संचालन अनुवाद अध्‍ययन विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. मीरा निचले ने किया तथा विधि विभाग के अध्‍यक्ष प्रो. चतुर्भूज नाथ तिवारी ने धन्‍यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल, प्रो. केके सिंह, प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी, एक भारत श्रेष्‍ठ भारत के नोडल अधिकारी डॉ. सुशील त्रिपाठी, सहायक नोडल अधिकारी डॉ. ज्‍योतिष पायेड सहित अध्‍यापक एवं अधिकारी उपस्थित थे।

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