UP उपचुनाव: कांग्रेस के 11 में से 10 प्रत्‍याशी 40 से कम उम्र के, प्रियंका गांधी ने बनाई रणनीति

लखनऊ. लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद कांग्रेस (Congress) ने अपने ढांचे में बदलाव लाने की तैयारी अब शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश की पूरी कमान मिलने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) अब उम्रदराज कांग्रेसियों को छोड़कर पार्टी में युवाओं को ज्यादा महत्व देने लगी हैं. उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने 11 में से 10 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं. इनमें ज्यादातर उम्मीदवार 40 वर्ष से कम उम्र के हैं. प्रियंका अब खुद फैसले ले रही हैं. उन्होंने अपने तरीके से उम्मीदवारों का चयन किया है.

प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका चाहती हैं कि पार्टी में युवा नेतृत्व बढ़े और उदाहरण सामने है. कानपुर की गोविंद नगर सीट से प्रत्याशी करिश्मा ठाकुर और घोसी से उम्मीदवार राजमंगल यादव की उम्र 30 वर्ष से भी कम है. वहीं, हमीरपुर से हरदीपक निषाद, लखनऊ कैंट से दिलप्रीत सिंह, जैदपुर से तनुज पूनिया, इगलास से उमेश कुमार दिवाकर, मानिकपुर से रंजना पांडेय और प्रतापगढ़ से उम्मीदवार नीरज त्रिपाठी भी 40 वर्ष से कम उम्र के हैं.

2022 के विधानसभा चुनाव पर नजर
प्रियंका युवाओं पर भरोसा कर उपचुनाव की सियासी जंग जीतने का भरोसा तो रखती ही हैं, इसके अलावा उनकी नजर साल 2022 में होने वाली विधानसभा चुनाव पर भी है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि सोनिया गांधी ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के करीबियों के साथ अच्छा संबंध निभाया और उन्हें तरजीह देती रहीं. राहुल गांधी ने बहुत हद पुराने कांग्रेसियों को किनारे करने का प्रयास किया. हालांकि बाद में राहुल पर राजीव गांधी के करीबी रहे लोग फिर से हावी हो गए. चाहे सलमान खुर्शीद, अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद हों या पी. चिदंबरम. बागडोर अब प्रियंका गांधी के हाथ में है. वह साल 2022 का लक्ष्य लेकर चल रही हैं.

उन्होंने कहा कि प्रियंका के तेवर से अनुमान लगाया जा सकता है कि वह इसमें कोई शिथिलता बर्दाश्त नहीं करेंगी. अब वह आगे किसी ऐसे नेता को ढोने पर विचार नहीं करेंगी जो पार्टी के लिए बोझ हों या किसी गुट से बंधे हों. वह नई टीम को खड़ा करना चाह रही हैं. वह उस नेता पर फोकस कर रही हैं, जो कार्यकर्ता है.

श्रीवास्तव का मानना है कि प्रियंका उत्तर प्रदेश में अपने आपको सशक्त रूप में स्थापित करना चाहती हैं. इसीलिए वह किसी नेता के साथ अपनी टैगिंग नहीं करना चाहती हैं. युवा प्रत्याशियों की घोषणा के पीछे उनके कई तर्क हैं. एक तो यह कि युवा प्रत्याशी जीतेंगे तो उनकी देखादेखी नई पीढ़ी कांग्रेस के साथ जुड़ेगी. यदि उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं भी मिलती है तो कम से कम युवाओं में यह भरोसा तो जिंदा होगा कि पार्टी युवाओं को तरजीह दे रही है. प्रियंका इसीलिए परिक्रमा से ज्यादा पराक्रम पर भरोसा कर रही हैं.

वहीं, कांग्रेस के एमएलसी दीपक सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने नए-पुराने का सामंजस्य बैठाकर उपचुनाव में प्रत्याशी बनाए हैं. कांग्रेस पार्टी ने इस बार क्षेत्रों में रहकर संघर्ष करने वाले लोगों को ही प्रत्याशी बनाया है. जिन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है, वहां पहले से ही अनुभवी समन्वयकों को तैनात किया गया है. उन लोगों ने बूथ कमेटियों पर काम किया है. जिला कमेटी और प्रदेश के पुराने लोगों से विचार-विमर्श के बाद ही प्रत्याशी उतारे गए हैं. यह फार्मूला सफल होने पर संगठन में भी युवाओं की भागीदारी बढ़ेगी.

उम्मीदवारों के चयन को लेकर कुछ पुराने कांग्रेसियों ने हालांकि सवाल भी उठाए हैं. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि प्रियंका गांधी को प्रदेश में सबसे पहले कार्यकारिणी की घोषणा करनी चाहिए. इसके बाद उम्मीदवारों का चयन करना चाहिए. बिना कमेटी के चुनाव मैदान में भला ये लोग क्या कर लेंगे.

एक अन्य विश्लेषक रतनमणि लाल का कहना है, “उपचुनाव एक प्रकार की परीक्षा होती है, क्षमताओं की परीक्षा. इस परीक्षा के लिए संगठन की मजबूती बहुत जरूरी है. पहले संगठन को मजबूत करना होता है. फिर कार्यकर्ताओं को तैयार किया जाता है और संगठन की देखरेख में उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा जाता है.”

उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस की अभी तक कार्यकारिणी ही घोषित नहीं हो सकी है. उम्मीदवारों का जो चयन हुआ है, वह संगठन का निर्णय नहीं है. यह केवल प्रियंका का निर्णय है. ये सभी प्रियंका के बनाए उम्मीदवार हैं. सवाल उठता है कि इनके पक्ष में प्रचार कौन करेगा. किस आधार पर ये कार्यकर्ताओं को प्रेरित करेंगे. यह एक प्रयोग के तौर पर ठीक है, फिर भी संगठन का तानाबाना बनाना चाहिए. चेहरे नए हों या पुराने, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

विधानसभा उपचुनाव
प्रदेश में अब 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, इनमें फिरोजाबाद की टूंडला को छोड़कर बाकी सीटों पर उपचुनाव की तिथि घोषित हो गई है. इनमें रामपुर, सहारनपुर की गंगोह, अलीगढ़ की इगलास, लखनऊ कैंट, बाराबंकी की जैदपुर, चित्रकूट की मानिकपुर, बहराइच की बलहा, प्रतापगढ़, हमीरपुर, मऊ की घोसी सीट और अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट शामिल हैं. इन 12 विधानसभा सीटों में से रामपुर की सीट सपा और जलालपुर की सीट बसपा के पास थी और बाकी सीटों पर भाजपा का कब्जा था. कांग्रेस के पास कुछ नहीं था, सबसे पुरानी पार्टी को अब अपना दमखम दिखाना है.




Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!