गुटखा की कालाबाजारी शुरू, थोक व्यापारियों पर कड़ी कार्रवाई करे प्रशासन

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चांपा.कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच लाकडाऊन लगने की संभावना को भांप कर पान-मसाला एवं गुटखा गुड़ाखू के थोक व्यापारियों ने अभी से जमाखोरी एवं कालाबाजारी करना शुरू कर दिया है । गुटखा को अपने गोदामों ,घरों एवं पड़ोस के घरों में छिपाकर रखना शुरू कर दिये हैं।पान दुकानों चाय दुकानों में गुटखा बेचने वाले छोटे दुकानदारों का कहना है कि  122 – 123 रुपए मे बिकने वाला राजश्री,विमल गुटखा को बड़े दुकानदारों द्वारा 150 -160 रुपए मे बेचा जा रहा है। अधिक दाम मे बेचने के सवाल पर इनका रटा रटाया जवाब होता है कि ऊपर से ही अधिक कीमत मे आया है। बिल दिखाने की बात पर आनाकानी करते है । छोटे एवं चिल्हर दुकानदारों का कहना है कि बढ़े दामों मे गुटखा खरीदने से मजबुरन हमे भी दाम बढ़ाकर बेचना पड़ता है।

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष गरमी के मौसम मे भी नगर के थोक पान मशाला एवं गुटखा विक्रेताओं ने दामों मे बढ़ोतरी कर जमकर फायदा उठाया था 122 रुपए मे बिकने वाले राजश्री विमल गुटखा को 400-500 रुपए मे बेचा जा रहा था । एक दो व्यापारियों पर कार्यवाही हुई भी लेकिन उससे भी व्यापारी नहीं सुधरे थे । दरअसल इन थोक व्यापारियों के मन में डर इसलिए नहीं है कि ये पुरानी व्यवस्था के चलते लेन-देन कर के प्रशासनिक कार्यवाही से बचने की उम्मीद पाले रहते है।और काफी हद तक उसमें सफल भी हो जाते है।
“प्रशासन को तोड़ना होगा इनका भ्रम”
जमाखोरी और कालाबाजारी की शिकायत पर यदा-कदा इन व्यापारियों पर प्रशासन द्वारा कार्यवाही की जाती है । लेकिन ये व्यापारी “अधिकारी आएगें तो उनको मना लेंगे” इस भावना से ग्रसित है और अधिकारियों को लेकर इनके मन मे थोड़ा भी डर नहीं रहता। ऐसे जमाखोरों और कालाबाजारी करने वाले व्यापारियों के भ्रम को तोड़ना प्रशासन के लिए बहुत जरूरी हो गया है। “आपदा मे अवसर” तलाश कर पान मशाला गुटखा गुड़ाखू एवं  राशन जैसे रोजमर्रा की वस्तुओं को दाम बढ़ाकर बेचने वाले थोक व्यापारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

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