Nizamuddin Markaz में सिर्फ 5 लोगों को ही नमाज पढ़ने की इजाजत, Delhi High Court ने केंद्र से मांगा जवाब
नई दिल्ली. दिल्ली वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कोविड-19 के मामलों को देखते हुए भीड़ जमा होने पर केंद्र सरकार से सवाल किया. कोर्ट ने पूछा कि कोरोना के मामलों को देखते हुए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) द्वारा भीड़ के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाने के आदेश को पूरी राष्ट्रीय राजधानी में लागू किया जा रहा है.
‘मरकज में 5 लोगों से ज्यादा को अनुमति नहीं’
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि डीडीएमए के दस अप्रैल के आदेश के अनुसार रमजान के दौरान निजामुद्दीन मरकज मस्जिद (Nizamuddin Markaz Masjid) के अंदर पांच से ज्यादा लोगों को जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार से इसपर एफिडेविट दायर करने के लिए कहा. कोर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 15 अप्रैल तय की है.
दिल्ली वक्फ बोर्ड ने की मरकज खोलने की मांग
दिल्ली वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) ने याचिका दायर कर निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) को फिर से खोलने की मांग की, जहां कोविड-19 महामारी के बीच तबलीगी जमात का कार्यक्रम हुआ था और यह पिछले साल 31 मार्च से बंद है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि हलफनामा (Affidavit) दायर कर बताएं कि दस अप्रैल को जारी डीडीएमए के पाबंदी आदेशों को किस तरह से लागू किया जा रहा है और क्या राष्ट्रीय राजधानी में सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक या त्योहार के दौरान भीड़ इकट्ठा होने को अनुमति दी जा रही है.
अमानतुल्ला खान के बयान पर कोर्ट ने जताई नाखुशी
जज ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और आप विधायक अमानतुल्ला खान के एक बयान पर भी नाखुशी जताई, जिसमें उन्होंने कहा कि कोर्ट ने मस्जिदों के संचालन की अनुमति दी है. अदालत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने इस तरह का बयान दिया, जबकि मस्जिदों को फिर से खोलने के मुद्दे पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है.
‘एकसमान रूप से लागू नहीं हो रहा डीडीएमए का आदेश’
दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता ने सवाल किया कि डीडीएमए द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बाद भी राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न मंदिरों के बाहर भारी भीड़ को कैसे अनुमति दी जा रही है. उन्होंने कहा कि डीडीएमए के आदेश को एकसमान रूप से लागू नहीं किया जा रहा है. वकील ने पूछा कि क्या डीडीएमए आदेश केवल एक विशेष धार्मिक समुदाय पर लागू होता है?
‘डीडीएमए का आदेश सभी धर्मों पर लागू’
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘मेरे पास राजनीतिक या सांप्रदायिक बयान देने का अधिकार नहीं है.’ उन्होंने कहा कि डीडीएमए का आदेश सभी धर्मों पर लागू है. अगर कोई डीडीएमए के आदेश का पालन नहीं कर रहा तो इससे मस्जिद खोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा समय में मानव जाति एक गंभीर संकट का सामना कर रही है.