सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटाने में नाकाम रहा विपक्ष, ओली फिर बने PM
काठमांडू. नेपाल (Nepal) के विपक्षी दल अगली सरकार (Government) बनाने के लिए बहुमत जुटाने में विफल रहे. लिहाजा गुरुवार की रात नेपाल की संसद में सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता के रूप में के.पी.शर्मा ओली (KP Sharma Oli) को फिर से देश का प्रधानमंत्री बना दिया गया है. 3 दिन पहले ही ओली प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हार गए थे.
आज लेंगे शपथ
राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा है कि राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी (Bidya Devi Bhandari) ने नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 78 (3) के अनुसार प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी सीपीएन-यूएमएल के नेता के रूप में ओली को प्रधानमंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया है. राष्ट्रपति भंडारी शुक्रवार को शीतल निवास में एक समारोह में ओली को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी.
बता दें कि ओली के विश्वास मत हारने के बाद राष्ट्रपति भंडारी ने विपक्षी दलों को सरकार गठन के लिये गुरुवार की रात नौ बजे तक का समय दिया था, लेकिन नेपाली कांग्रेस और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवाद मध्य) का विपक्षी गठबंधन बहुमत हासिल करने में नाकाम रहा.
इसलिए नहीं मिल सका बहुमत
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को सीपीएन माओवाद के अध्यक्ष पुष्पकमल दल ‘प्रचंड’ का समर्थन मिल गया था, लेकिन वह जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) का समर्थन हासिल करने में नाकाम रहे. वहीं जेएसपी के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने देउबा को समर्थन देने का आश्वासन दिया था लेकिन पार्टी के एक और अध्यक्ष महंत ठाकुर ने इस विचार को खारिज कर दिया. निचले सदन में नेपाली कांग्रेस के पास 61 और माओवाद (मध्य) के पास 49 सीटें हैं. यानि कि गठबंधन के पास कुल 110 सीटें हैं, जबकि सरकार के गठन के लिये 136 मतों की जरूरत थी. सदन में जेएसपी की 32 सीटें हैं. यदि जेएसपी समर्थन दे देती तो देउबा को प्रधानमंत्री पद के लिये दावा पेश करने का अवसर मिल जाता.
28 सांसद नहीं देंगे इस्तीफा
यूएमएल के पास 275 सदस्यीय सदन में 121 सीटें है. माधव नेपाल के धड़े वाले 28 सांसदों ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली और माधव के बीच गुरुवार को समझौता होने के बाद अपनी सदस्यता से इस्तीफा नहीं देने का निर्णय लिया है. ओली ने माधव समेत यूएमएल के 4 नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का फैसला वापस लेते हुए उनकी मांगें माने जाने का आश्वासन भी दिया है. यदि यूएमएल के सांसद इस्तीफा दे देते तो प्रतिनिधि सभा में सदस्यों की संख्या घटकर 243 रह जाती, जो फिलहाल 271 है. ऐसे में सरकार बनाने के लिये केवल 122 मतों की दरकार होती, जिससे विपक्ष के लिए रास्ता आसान हो जाता.
दिन भर चलती रही कशमकश
नई सरकार के गठन को लेकर राजनीतिक दलों के बीच पूरे दिन ऊहापोह की स्थिति रही. सीपीएन-यूएमएल के माधव कुमार नेपाल-झालानाथ खनल धड़े से संबंध रखने वाले सांसद भीम बहादुर रावल ने गतिरोध खत्म करने के लिये मंगलवार को दोनों नेताओं के करीबी सांसदों से नई सरकार का गठन करने के लिये संसद सदस्यता से इस्तीफा देने का आग्रह किया. रावल ने बुधवार को ट्वीट किया कि ओली के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने के लिये उन्हें संसद सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिये.
उन्होंने लिखा, ‘असाधारण समस्याओं के समाधान के लिये असाधारण कदम उठाए जाने की जरूरत होती है. प्रधानमंत्री ओली को राष्ट्रीय हितों के खिलाफ अतिरिक्त कदम उठाने से रोकने के लिये उनकी सरकार गिराना जरूरी है. इसके लिये हमें संसद की सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिये. राजनीतिक नैतिकता और कानूनी सिद्धांतों के लिहाज से ऐसा करना उचित है.’