प्राकृतिक खेती एवं जल सरंक्षण पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन राज्यपाल सहित कुलपति हुए शामिल
बिलासपुर. अटल बिहारी वाजपई विश्वविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ मे “प्राकृतिक खेती एवं जल संरक्षण”के विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिनकी अध्यक्षता छत्तीसगढ़ की महामहिम राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके ने किया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ताआचार्य देवव्रत, राज्यपाल गुजरात रहे । स्वागत अध्यक्ष आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेई कुलपति अटल बिहारी वाजपई विश्व विद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ विशिष्ट अतिथि धनंजय देवांगन(आईएएस) सचिव उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग रायपुर छत्तीसगढ़ रहे। कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर सुधीर शर्मा कुलसचिव अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय तथा संचालन डॉक्टर एच. एस. होता ,अधिष्ठाता, छात्र कल्याण द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समन्वयक सौमित्र तिवारी विभागाध्यक्ष योग साइंस एवम शारीरिक शिक्षा विभाग रहे। विशिष्ट अतिथि धनंजय देवांगन ने राज्य शासन के नरवा गरवा घुरवा बारी परियोजना के महत्वपूर्ण योजना पर प्रकाश डाला और बतलाया कि छत्तीसगढ़ का राज्य गीत अरपा पैरी के धार से शुरू होता है। जिसमें नदियों अर्थात जल संरक्षण की बात कही गई है छत्तीसगढ़ में प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती मृदा संरक्षण और किसानों को प्रोत्साहित कर जैविक खेती हेतु प्रेरित कर रही है।तत्पश्चात इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ संजय कुमार पाटिल ने प्राकृतिक खेती जैविक खेती एकीकृत कृषि पद्धति के राज्य शासन के प्रयास पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात श्री प्रेम कुमार धूमल पूर्व मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश ने संक्षिप्त रूप से सभी अतिथियों का धन्यवाद यापन कर जैविक कृषि हेतु देश के सभी नागरिकों के आगे आने की बात कही। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके जिन्होंने आदिवासी समाज और जल जंगल और जमीन हेतु अभूतपूर्व कार्य किए हैं। उन्होंने रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव बतलाते हुए कहा कि इससे जल मिट्टी और पारिस्थितिकी प्रदूषित हो रही है। हमें उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के जल संरक्षण कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे आगे बढ़ाने की बात कही। एवम कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवम विशिष्ट वक्ता रहे गुजरात राज्य के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी को आमंत्रित किया आचार्य जी ने सभी गणमान्य का स्वागत करते हुए बतलाया की उन्होंने कुरुक्षेत्र के 200 एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती किया ।व्यसन मुक्ति अभियान चलाया बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इत्यादि कार्यक्रम पर कार्य किया। पहले वे भी रासायनिक खेती करते थे लेकिन प्राकृतिक खेती से कृषि में लगातार वृद्धि हुई और उन्होंने देशी गाय के गोबर से कंपोष्ट खाद निर्माण पर बल दिया। और उससे खाद बनाकर खेतों में डालने की बात कही जिससे फसल दोगुनी , व कृषि मित्र केंचुओ के नष्ट न होने से पैदावार में निरंतर बढ़ोत्तरी होने की बात कही। उन्होंने बताया कि 70 से 80000 करोड रुपए या केवल यूरिया जैसे रासायनिक खाद की सब्सिडी में केंद्र सरकार किसानों को देती है यदि हम प्राकृतिक खाद उत्पन्न करें तो इससे हमारे वनस्पति जंगल जमीन पशु इत्यादि बचेंगे अनावृष्टि और अतिवृष्टि से लोगों को निजात मिलेगी । उन्होंने बतलाया कि विकास के स्थान पर विध्वंस को चुना जाना घातक है इसके अलावा उन्होंने गो पालन जल संरक्षण मृदा संरक्षण के लाभ के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया से प्राप्त एक गाय से प्राप्त गोबर और गोमूत्र से 30 एकड़ पर प्राकृतिक खेती की जा सकती है एवं गुजरात सरकार की पहल है कि 1 दिन से गायब रखने पर उन्हें ₹900 प्रतिमाह गाय की देखभाल हेतु प्रदान किया जाता है। तथा ऐसे 1 लाख किसान परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। आचार्य अरुण दिवाकर नाथ बाजपेई ने बतलाया की विश्वविद्यालय का या दसवां वेबीनार है। हमने लॉकडाउन का उपयोग राज्यपाल महोदय के निर्देशन में सभी लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य किया है जिसमें यह द्वितीय अवसर है कि राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके अध्यक्षता कर रही हैं। प्राकृतिक खेती एवं जल संरक्षण विषय आज का ज्वलंत मुद्दा है। यह रासायनिक खाद् व जल का निम्न स्तर चिंतनीय है। यह विभिन्न बीमारियों का मूल जड़ है । जोकि प्राकृतिक खेती अपनाने से दूर की जा सकती है। साथ ही जैव विविधता भी बना रहेगा एवं मृदा बंजर होने के स्थान पर पुनःउपजाऊ हो जाएगी। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव सुधीर शर्मा ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया ।एवं आभार व्यक्त किया। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के प्रमुख सचिव एवं किसान भाई अन्य गणमान्य नागरिक राजस्थान और कोयंबटूर के इस कार्यक्रम में जुड़े थे।इस कार्यक्रम में 27 जिलो के जुड़े कृषि विज्ञान के प्रमुख एवं शोधार्थी छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।