November 28, 2024

तालापारा जमीन घोटाला : छोटे झाड़ के जंगल की करोड़ों में हुई खरीदी-ब्रिकी

File Photo

बिलासपुर. शहर व आसपास के गांवों में 10 से 15 सालों में शासकीय जमीन, छोटे झाड़ के जंगल और तालाब मद की जमीनों में जमकर हेराफेरी की गई। राजस्व विभाग के अधिकारियों ने सारे नियम कायदों को दर किनार कर जमीन दलालों को मालामाल कर दिया। पटवारी व तहसीलदारों ने इतने कम समय में करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर ली और जिला प्रशासन के आला अधिकारी राजस्व कर्मचारियों की काली करतूत पर पर्दा डालते रहे। इसी तरह जनप्रतिनिधि भी केवल तमाशा देखते रहे। कलेक्टर और ओहदेदार अधिकारियों से ज्यादा तहसीलदार व पटवारियों का पावर इन दिनों सबसे ऊंचे पायदान पर है। तालापारा में सरकारी जमीन, छोटे झाड़ के जंगल और तालाब की जमीनों पर रसूखदारों ने ऊंची इमारत खड़ी कर दी है। राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल के कार्यकाल में भी मिशल रिकार्ड में दर्ज जमीनों पर खुलेआम हेराफेरी की जा रही है। दागदार तहसीलदार का प्रमोशन कर कांग्रेस शासन काल में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप आम जनता लगा रही है।

तालापारा स्थित खसरा नंबर 232 में छोटे झाड़ के जंगल के रूप में तीन एकड़ जमीन थी। इस जमीन की खरीदी-बिक्री नहीं की जा सकती थी और न ही इसका मद परिवर्तन किया जा सकता। लेकिन राजस्व विभाग के अधिकारियों ने यह कमाल कर दिखाया है। तालापारा स्थित मोती तालाब के पास खसरा नंबर 246 से लगा हुआ खसरा नंबर 232 जो कि मिशल रिकार्ड में आज भी छोटे झाड़ के जंगल के रूप में दर्ज है। इस जमीन को हथियाने के लिये दस्तावेजों की चोरी कराई गई और चालू नक्शा बनाकर लगभग 50 टुकड़ों में बेच दी गई। जमीन घोटाले में पटवारी व तहसीलदार भूमिका संपूर्ण रूप से संदिग्ध रही है इसके बाद भी जिला प्रशासन के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे पाये। नतीजा आज सबके सामने है, छोटे झाड़ के उक्त जमीन पर आलीशान मकान खड़े हो गये हैं। इसी तरह तालापारा में तालाब की जमीन पर अवैध निर्माण किया गया है। आदिवासियों की जमीनों पर रसूखदारों ने कब्जा कर लिया है। तहसीलदार व पटवारी सरकारी जमीनों को इधर उधर कर रहे हैं। अपनी मेहनत की कमाई से जमीन खरीदकर घर बनाकर रहने वाले लोगों को वर्षों बाद ठगी का अहसास हो रहा है। पटवारियों व तहसीलदारों ने चिल्हाटी स्थित 17 एकड़ तालाब व मोपका सरकारी जमीन को बेच दिया  उन पर आज भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। भाजपा शासन काल में जमकर हुए भूमि घोटाले पर पर्दा डालते हुए पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने सीधे आरोप लगाया है कि कांग्रेस शासन काल में जमीनें चलने व उडऩे लगी है।  इतना सब होने के बाद भी आज की स्थिति में सरकारी जमीनों में हेराफेरी की जा रही है।

चार एकड़ बढा दी गई सरकारी जमीन
सरकारी जमीनों में घपला करने के लिये तत्कालीन पटवारी ने राजस्व रिकार्ड में दर्ज तालापारा स्थित खसरा नंबर 254 की 18 एकड़ सरकारी जमीन को बढ़ाकर 22 एकड़ कर दिया है। शहर के मध्य में होने के कारण तालापारा में जमीनों की कीमत करोड़ों में है। इतना बड़ा घोटाला होने के बाद भी तहसील दफ्तर के आला अधिकारी जमीन दलालों का स्वागत करने हाथ जोड़कर खड़े हुए हैं। वर्षों से लंबित मामलों का निराकरण नहीं किया जा रहा है। लोग नामांतरण कराने के लिये दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

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