September 29, 2024

आयुर्वेद डॉ. ने बताए सावन में दही खाने से सेहत को होने वाले भयंकर नुकसान, जानें क्या कहता मेडिकल साइंस

दही खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। गर्मी में दही के सेवन से सबसे अधिक लाभ मिलते हैं लेकिन आयुर्वेद इसे रात के वक्त अवॉइड करने की सलाह देता है। तो क्या मानसून में दही खाना चाहिए या नहीं?

दूध और इससे बने प्रोडक्ट्स खाने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। खासकर दही का सेवन हमारे लिए कई तरह से फायदेमंद होता है। दही में कैल्शियम, प्रोटीन और विटमिन्स की अच्छी मात्रा होती है, जो हमारे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व हैं। तमाम तरह की पौष्टिक चीजों से समृद्ध दही हमारे डाइजेशन के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन दही का सेवन एक सही समय पर किया जाए तभी इससे लाभ मिलते हैं।

आयु्र्वेद में दही के सेवन के कुछ नियम हैं जैसे इसे सुबह और दोपहर के वक्त ही लेना चाहिए न कि रात के समय। जबकि कुछ लोग इसे डिनर में भी खाना पसंद करते हैं जो कि सही नहीं है। लेकिन क्या बारिश के सीजन यानी मानसून में खाना सही है? आयुर्वेद मानसून में दही खाने की सलाह नहीं देता। इस बारे में हमने आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से बातचीत की तो उन्होंने बारिश में दही खाने के कई साइड इफेक्ट्स बताए। जबकि मेडिकल साइंस के एक्सपर्ट मानसून में दही खाने को लेकर अलग प्रतिक्रिया देते हैं। आइए जानते हैं कि सावन में दही के सेवन पर आयुर्वेद और मेडिकल साइंस की राय।

​बारिश में दही न खाने पर एक्सपर्ट का रिएक्शनजैसा कि आप जानते ही हैं कि मौसम बदलते ही हमारे देश में खान-पान में बदलाव आता है। क्योंकि जरूरी नहीं हर चीज आपकी सेहत के लिए हर मौसम में फायदेमंद हो। आयुर्वेद के अनुसार, वात, शरीर की तीनों दोष, वात कफ और पित्त का बैलेंस करने के लिए हमें अपने खान-पान को भी सही रखना जरूरी है।

बेंगलुरु के जीवोत्तम आयुर्वेद केंद्र के वैद्य डॉ. शरद कुलकर्णी M.S (Ayu),(Ph.D.) ने बताया कि दही में अभिष्यंद गुण होता है और मानसून में शरीर के रोम छिद्र बंद हो जाते हैं। यह स्थिति कई तरह की शारीरिक समस्याओं को बढ़ाने वाली होती है।

​सावन में दही खाने से होने वाली समस्याएं

  • गले में खराश
  • कफ जमा हो जाना
  • शरीर के जोड़ों में दर्द होना
  • पुराना दर्द का अचानक उभर आना
  • पाचन में समस्या
  • मानसून में दही खाने स्राव (secretions) बढ़ जाता
बारिश में दही खाने से ​इंबैलेंस हो जाते हैं दोष

चूंकि सावन के महीना बारिश का मंथ है जिसमें शरीर के दोष इंबैलेंस हो जाते हैं। मानसून में वात बढ़ जाता है और पित्त भी इकट्ठा होता है जिसके कारण हमें कई तरह की पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर का स्वास्थ्य इन तीनों दोषों पर निर्भर करता है। अगर तीनों दोष शरीर में संतुलित अवस्था में हैं तो समझिए कि आप स्वस्थ्य हैं। वहीं यदि इनमें से किसी का भी संतुलन बिगड़ा तो बीमारियां पैदा होने लगती हैं। इसी वजह से इन्हें ‘दोष’ कहा जाता है।​इंफेंक्शन बढ़ा सकता है दही

आयुर्वेद सावन और भादों के महीनों में न सिर्फ दही बल्कि इससे बनी दूसरी चीजें जैसे दही बड़ा, छाछ, इडली, ढोकला को खाने की सलाह नहीं देता है। दही खाने के लिए सबसे अच्छा मौसम गर्मी का सीजन है। समर में दही खाने से शरीर को ठंडक मिलती है और ये गर्म लू के थपेड़ों से भी बचाता है। लेकिन बारिश में दही हमारे शरीर के लिए इंफेक्शन बढ़ाने वाला बन जाता है।
​ठंडी तासीर के कारण बारिश में नुकसान करता है दही

चूंकि बारिश नमी वाला मौसम है और दही की तासीर ठंडी होती है। यही वजह है कि आयुर्वेदिक डॉक्‍टर्स बारिश के मौसम में ताजा और गरम खाना खाने की सलाह देते हैं और ठंडी चीजें खाने से परहेज करने को कहते हैं। इस मौसम में आपको ऐसी चीजें के सेवन से परहेज करना चाहिए जो पित्‍त और वात को बढ़ाती हैं, क्योंकि इससे पूरा डाइजेशन गढ़बड़ा जाता है।
​दही की बजाए पिएं गर्म दूध

एक्सपर्ट के अनुसार, मानसून के मौसम में डेयरी प्रोडक्ट्स में बैक्टीरिया जमा हो जाते है। साथ ही अगर आप मानसून में किसी तरह के इंफेक्शन का शिकार हैं और दही खाते हैं आपको संक्रमित एरिया में खुजली होगी जिससे ये एलर्जी आपके शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैलती है। साथ ही दही खाने से गले में खराश भी हो सकती है। सावन के महीने में आपके लिए उबला हुआ दूध फायदेमंद होगा।
मेडिकल साइंस के अनुसार, मानसून में दही खाना फायदेमंद हैआयुर्वेद के अनुसार दही से परहेज करना चाहिए। वहीं चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, विशेष मौसम में सभी लोग पेट को स्वस्थ रखना चाहते हैं, क्योंकि ये वो समय है जब ह्यूमिडिटी और इंफेक्शन अपने पीक पर होते हैं। ऐसे में दही के सेवन के जरिए आप अपने आंत के स्वस्थ्य में सुधार करके बेहतर इम्यूनिटी हासिल कर सकते हैं।

हालांकि, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि दही अपने अधिक पुराना न हो और इसकी क्वालिटी बेहतर हो। क्योंकि मानसून में अन्य मौसमों की तुलना में खाद्य पदार्थ तेजी से खराब होते हैं। इसलिए खान-पान की गुणवत्ता का ख्याल रखना चाहिए।

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