एक राजदूत ऐसा भी, जब तक कर्मचारियों को सुरक्षित नहीं निकाल देते; नहीं छोड़ेंगे अफगानिस्तान
काबुल. अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद जहां मुल्क छोड़ने के लिए भगदड़ मची हुई है, वहीं ब्रिटिश राजदूत (British Ambassador) ने काबुल में ही रहने का फैसला लिया है. अपनी जान की परवाह न करते हुए राजदूत सर लॉरी ब्रिस्टो (Sir Laurie Bristow) ने साफ किया है कि जब तक 4000 ब्रिटिश और अफगान कर्मियों को सुरक्षित नहीं निकाल लिया जाता, वो अफगानिस्तान छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले. अपने इस साहस के लिए राजदूत की हर तरफ तारीफ हो रही है. ब्रिटेन के लोगों ने उन्हें हीरो करार दिया है.
Emergency Operation शुरू
खबर के मुताबिक, सर लॉरी ब्रिस्टो (Sir Laurie Bristow) और समर्पित राजनयिकों की एक टीम ने अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए काबुल हवाई अड्डे पर एक आपातकालीन अभियान (Emergency Consul Operation) शुरू किया है. एंबेसडर ने ब्रिटेन सरकार से कहा है कि जब तक ब्रिटिश और उनके अफगान कर्मी यहां से बाहर नहीं निकल जाते, वे मुल्क नहीं छोड़ेंगे.
UK भेज रहा 200 Troops
वहीं, ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि काबुल में फंसे ब्रिटिश नागरिकों को निकालने के लिए 200 और सैनिकों को अफगानिस्तान भेजा जा रहा है. इससे पहले, शनिवार को 16 एयर असॉल्ट ब्रिगेड के लगभग 600 पैराट्रूपर्स अफगानिस्तान पहुंचे थे और करीब 200 लोगों को उन्होंने अफगान से बाहर निकालने में मदद की. इस रेस्क्यू ऑपरेशन का नेतृत्व राजदूत सर लॉरी ब्रिस्टो कर रहे हैं. माना जा रहा है कि यह अभियान इस महीने के अंत तक चल सकता है.
सबसे पहले भागे थे Ashraf Ghani
लॉरी ब्रिस्टो का कहना है कि इस वक्त उनका पूरा फोकस फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना है और जब तक ये काम पूरा नहीं हो जाता, वह अफगानिस्तान नहीं छोड़ेंगे. अपनी जान की परवाह न करते हुए युद्धग्रस्त देश में रुकने के लिए राजदूत की तारीफ हो रही है. लोग उन्हें हीरो करार दे रहे हैं. बता दें कि तालिबान के कब्जे के बाद कई देशों ने अफगानिस्तान में अपने दूतावास बंद कर दिए हैं. अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) देश छोड़कर भागने वालों में सबसे पहले थे.