‘मन की बात’ में बोले PM मोदी, ‘वोकल फॉर लोकल को देना है बढ़ावा’
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज (रविवार को) सुबह 11 बजे से मन की बात (Mann Ki Baat) के 81वें एपिसोड को संबोधित किया. मन की बात कार्यक्रम का प्रसारण आकाशवाणी और दूरदर्शन के सभी नेटवर्क पर किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक Day ऐसा है जो हम सबको याद रखना चाहिए. ये भारत की परंपराओं से बहुत सुसंगत है. सदियों से जिन परंपराओं से हम जुड़े हैं ये Day उससे जोड़ने वाला है. ये विश्व नदी दिवस (World River Day) है.
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है ‘पिबन्ति नद्यः, स्वय-मेव नाम्भः’. मतलब नदियां अपना जल खुद नहीं पीती, बल्कि परोपकार के लिए देती हैं. हमारे लिए नदियां एक भौतिक वस्तु नहीं है, हमारे लिए नदी एक जीवंत इकाई है और तभी तो हम नदियों को मां कहते हैं.
उन्होंने कहा कि आप सब जानते ही हैं माघ का महीना आता है तो हमारे देश में बहुत लोग पूरे एक महीने मां गंगा या किसी और नदी के किनारे कल्पवास करते हैं. नदियों का स्मरण करने की परंपरा आज भले लुप्त हो गई हो या कहीं बहुत अल्प मात्रा में बची हो लेकिन एक बहुत बड़ी परंपरा थी जो सुबह स्नान करते समय ही विशाल भारत की एक यात्रा करा देती थी, मानसिक यात्रा.
उन्होंने कहा कि आप सब जानते ही हैं माघ का महीना आता है तो हमारे देश में बहुत लोग पूरे एक महीने मां गंगा या किसी और नदी के किनारे कल्पवास करते हैं. नदियों का स्मरण करने की परंपरा आज भले लुप्त हो गई हो या कहीं बहुत अल्प मात्रा में बची हो लेकिन एक बहुत बड़ी परंपरा थी जो सुबह स्नान करते समय ही विशाल भारत की एक यात्रा करा देती थी, मानसिक यात्रा.
पीएम मोदी ने कहा कि हम नदियों की सफाई और उन्हें प्रदूषण से मुक्त करने का काम सबके प्रयास और सबके सहयोग से कर ही सकते हैं. ‘नमामि गंगे मिशन’ भी आज आगे बढ़ रहा है तो इसमें सभी लोगों के प्रयास, एक प्रकार से जन-जागृति, जन-आंदोलन, उसकी बहुत बड़ी भूमिका है.
उन्होंने कहा कि आजकल एक विशेष E-ऑक्शन, ई-नीलामी चल रही है. ये इलेक्ट्रॉनिक नीलामी उन उपहारों की हो रही है, जो मुझे समय-समय पर लोगों ने दिए हैं.| इस नीलामी से जो पैसा आएगा, वो ‘नमामि गंगे’ अभियान के लिए ही समर्पित किया जाता है. आप जिस आत्मीय भावना के साथ मुझे उपहार देते हैं, उसी भावना को ये अभियान और मजबूत करता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तमिलनाडु के वेल्लोर और तिरुवन्नामलाई जिले का एक उदाहरण देना चाहता हूं. यहां एक नदी बहती है, नागानधी. अब ये नागानधी बरसों पहले सूख गई थी. इस वजह से वहां का जलस्तर भी बहुत नीचे चला गया था. लेकिन वहां की महिलाओं ने बीड़ा उठाया कि वो अपनी नदी को पुनर्जीवित करेंगी. फिर क्या था, उन्होंने लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से नहरें खोदी, चेकडैम बनाए, री-चार्ज कुएं बनाएं. आपको भी जानकर के खुशी होगी साथियों कि आज वो नदी पानी से भर गई है और जब नदी पानी से भर जाती है न तो मन को इतना सुकून मिलता है मैंने प्रत्यक्ष से इसका अनुभव किया है.
पीएम मोदी ने कहा कि आप में से बहुत लोग जानते होंगे कि जिस साबरमती के तट पर महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम बनाया था पिछले कुछ दशकों में ये साबरमती नदी सूख गई थी. साल में 6-8 महीने पानी नजर ही नहीं आता था, लेकिन नर्मदा नदी और साबरमती नदी को जोड़ दिया, तो अगर आज आप अहमदाबाद जाओगे तो साबरमती नदी का पानी मन को प्रफुल्लित करता है.