‘उन वीरों को सैल्यूट जिन्होंने देश की रक्षा की, उनको श्रद्धांजलि जो लौट नहीं सके’

नई दिल्ली. कारगिल विजय दिवस के 26 जुलाई को 20 साल पूरे हो रहे हैं. इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ”1999 में कारगिल की पहाडि़यों पर हमारी सशस्त्र सेनाओं के पराक्रम के प्रति राष्ट्र कृतज्ञता प्रकट करता है. हम उन देश की रक्षा करने वाले वीरों के शौर्य को सलाम करते हैं. जो नायक लौट नहीं सके, उनके हमेशा ऋणी रहेंगे. जय हिंद”
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल युद्ध की कुछ तस्वीरों को साझा करते हुए लिखा कि 1999 में मुझे वहां जाने का मौका मिला था. उस वक्त मैं जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में पार्टी का काम किया किया करता था. उस वक्त कारगिल जाना और वहां सैनिकों के साथ बात करना अविस्मणीय अनुभव है.
कारगिल दिवस के उपलक्ष्य में कश्मीर के द्रास में इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और तीनों सेनाओं के प्रमुख यहां होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. दिल्ली से भेजी गई मशाल द्रास पहुंचेगी. 26 जुलाई 1999 को ही भारत ने पाकिस्तान को कारगिल की चोटियों से खदेड़ कर तिरंगा फहराया था.
सुबह 9 बजे रामनाथ कोविंद वहां पहुंचेंगे. 10 बजे राष्ट्रपति और तीनों सेनाओं के प्रमुखों की उपस्थिति में समारोह की शुरुआत होगी. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी इस समारोह में हिस्सा लेंगे. विजय दिवस के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में पौधरोपण के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.
60 दिन तक चला था कारगिल युद्ध
करगिल युद्ध (Kargil War) लगभग 60 दिनों तक चला. 26 जुलाई को उसका अंत हुआ. भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाली जगहों पर हमला किया. यह युद्ध ऊंचाई वाले इलाके पर हुआ. दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ सेना की ओर से की गई कार्रवाई में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए तो करीब 1363 घायल हुए थे. इस लड़ाई में पाकिस्तान के करीब तीन हजार सैनिक मारे गए थे.