छोटे शहरों की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने वाली सिटी बस सेवा कबाड़ में तब्दील हो रही है : अमर अग्रवाल

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर  में सिटी बस सेवा अक्टूबर 2015 में शुरु की गई , वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है कि जिला और संभागीय मुख्यालय बिलासपुर में  लंबे समय से बिलासपुर में सिटी बस सेवा की जरूरत सहसूस की जा रही थी.उन्होंने जारी प्रेस रिलीज में बताया कि नगरीय प्रशासन मंत्री के उनके कार्यकाल में सिटी बस योजना के तहत बिलासपुर शहर में 50 सिटी बसों   (40 नान एसी और 10  Ac )बसों की सुविधा से लगभग 30 से 40 किलोमीटर के दायरे में लोगों को सस्ती दर पर बेहतर सार्वजनिक परिवहन सेवा का लाभ मिलना शुरू हुआ।बस सेवा के व्यवस्तिथ संचालन हेतु बिलासपुर शहरी यातायात सोसाइटी बनाई गई जिसके  द्वारा शहर में 50 सिटी बसो का संचालन किया जा रहा था, जिससे सभी यात्रियों को सस्ती और अच्छी सुविधा मिल सके। सिटी बस सेवा अंतर्गत रेलवे स्टेशन से रतनपुर ,खुटाघाट, सेंदरी मानसिक चिकित्सालय, तखतपुर, कोटा, मस्तूरी मल्हार सहित छह रूटों पर बसों का संचालन यात्रियों को आने जाने के लिए किया जा रहा था।उन्होंने कहा कि छोटे  शहरों की बढ़ती जरूरतों को  को पूरा करने और बेहतर यातायात व्यवस्था प्रणाली के सुचारू प्रगमन हेतु  पूरे प्रदेश में 21 क्लस्टरों में 451 बसों की सेवाएं  70 शहरों में 2015 से क्रमशः शुरू की गई। सिटी बस सेवा हेतु भारत सरकार द्वारा केंद्रीय योजना अंतर्गत 183.89 करोड़ों रुपए का प्रावधान किया गया।कालांतर में जेएनएनयूआरएम मिशन द्वारा  छत्तीसगढ़ की क्लस्टर आधारित सिटी बस सेवा को बेस्ट सिटी बस सर्विसेज के लिए केंद्रीय शहरी आवास पर्यावरण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त मिला। इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के अंतर्गत बसों के अंदर व बस स्टॉप में आधुनिक इन्फॉर्मेशन डिस्प्ले लगाया जाना एवं बस स्टॉप  का चिन्हांकन  करके जीपीएस से कनेक्ट करना, हाईटेक परिवहन सुविधाओं को मुहैया कराने की पहल की जा रही थी जिससे स्थानीय लोगों को लग्जरी सुविधाएं प्राप्त हो सके लेकिन राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद पूर्व में जारी योजनाओं को तवज्जो नहीं दिए जाने से रखरखाव के  अभाव में ये बसे टर्मिनल में मरम्मत के लिए मोहताज हो गई। महामारी के काल में इन सुविधाओं को बंद करना पड़ा लेकिन न्यायधानी बिलासपुर में ही  लॉकडाउन के पहले संचालित 30 बसें कंडोम हालात में कोनी बस डिपो में खड़ी हो चुकी थी। डिपो में रखा गांव के अभाव में आज की स्थिति में कई बसों से   पहिया गायब हैं तो कई बसों में झाड़ियां उग आई हैं। डिपो में खड़े खड़े यह बसें कबाड़ में तब्दील हो रही है। बंगलौर की  दुर्गांबा ठेका एजेंसी को मरम्मत कर ठेका दिया गया था लेकिन कोरोना से एजेंसी के मालिक की मृत्यु के बाद से खराब पड़ी बसों की हालात दयनीय होती जा रही है। मरम्मत के कार्य में बिलासपुर शहरी यातायात समिति नोडल एजेंसी नगर निगम बिलासपुर द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने से महामारी की आड़ में  सिटी बसों के संचालन की महत्वपूर्ण सुविधा से जिले और संभाग की जनता वंचित हो रही है।निगम के पास कबाड़ हो रही बसों की मरम्मत के लिए पैसे भी नहीं है, राज्य शासन के द्वारा मरम्मत के लिए भी निर्देश नहीं दिए जा रहे हैं और ना ही राशि उपलब्ध कराई जा रही है और न ही संचालन के निर्देश दिए गए है । ऐसे में कांग्रेस की राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की बेरुखी के चलते  सिटी बस की महत्वपूर्ण योजना  कबाड़ में तब्दील हो रही है ।जाहिर है संचालन एजेंसी  जनता की कमाई से करोड़ों रुपए की बसों का व्यवस्थित और सुचारू संचालन सुलभ कराने की बजाय  बसों को कबाड़ियों के हाथों बेचने को आमादा है। शासन द्वारा लाखों रुपये खर्च कर खरीदी गई बसें लोगों के काम में नहीं आ रही है और जिस मकसद से सिटी बस सेवा की शुरूआत की गई थी वह मकसद भी पूरा नहीं हो पा रहा है, स्थानीय प्रशासन की बेरुखी से जनता को विकास का उल्टा असर देखने मिल रहा है, दिनोदिन जन उपयोगी के सेवाओं के विस्तार की बजाय सिटी बस सेवाओं के पहिए राज्य सरकार के मंसूबों के आगे दम तोड़ रहे है एवं भविष्य में भी महत्वपूर्ण सेवा की बहाली के आसार दिखाई नहीं पड़ते।

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