अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुल-उत्सव पर प्रदेश के कुलपतियों के सम्मेलन का आयोजन हुआ सम्पन्न

बिलासपुर. भारत रतन स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस के अवसर पर अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में कुल-उत्सव का आयोजन सम्पन्न हुआ। कुलउत्सव कार्यक्रम के अंतिम चरण में दोपहर 03 बजे से प्रदेश के कुलपतियों का ‘‘छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा की प्रवृत्तियां एवं संभावनाएं विषय पर परिचर्चा का सम्मेलन, प्रशासनिक भवन के सभागार में संपन्न हुआ। जिसमें प्रदेश शासकीय एवं निजी कुल 06 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की उपस्थिति रहीं। परिचर्चा कार्यक्रम के अध्यक्ष  कुलपति आचार्य ए.डी.एन. वाजपेयी  के द्वारा उपस्थित कुलपतियों का स्वागत एवं परिचय प्रदान करने के बाद सम्मेलन विषय पर परिचर्चा हेतु रूप रेखा प्रदान की गई जिसमे उन्होनें प्रदेश के विश्वविद्यालयों में गुणवक्ता, कठिनाई, व्यवस्था, कर्मचारी एवं शिक्षकांे के प्रशिक्षण, छत्तीसगढ़ी साहित्य, इतिहास, जीआर के यूटिलाइजेशन सहित छ.ग. के निवासियों और पिछड़े क्षेत्र के लोगो को विश्वविद्यालय से कैसे जोड़ा जाए एवं उनतक पहुचं एवं व्यवसायिक तथा आपसी सहभागीता को केन्द्र मानकर साथर्क परिचर्चा के लिए दिशा प्रदान की। डाॅ. राम शंकर कुरील, कुलपति महात्मागांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय पाटन दुर्ग ने अपने वक्तव्य में कहा की रिक्त पदों के विरूद्व शिक्षकों की भर्ती होना आवश्यक है। साथ ही शिक्षकों को अपनी विषय पर अच्छी तैयारी एवं विद्यार्थियों को नोट्स देकर शिक्षा के संग्रह हेतु प्रेरित करें। इन सभी व्यवस्था को दुरूस्त करने नीति, निर्देश एवं प्रोत्साहन की आवश्यकता है।


हमें अपने स्कूल, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय एवं अन्य शैक्षिक संस्थानों के प्रतिमान एवं सम्मान को बनाने हेतु इस प्रकार के सार्थक कदम उठाने होंगे साथ ही उन्होने कहा की यूनिफार्म एजूकेशन स्टेट के विश्वविद्यालयों के आवश्यकता है तथा समान पाठ्यक्रम पर परिचर्चा एवं व्यवस्था की भी आवश्यकता है। प्रो. एल.पी. पटैरिया, कुलपति शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय, रायगढ़ ने कहा की कैरियर काऊंसिलिंग जैसे प्रकोष्ठ बनाना महत्वपूर्ण हो सकता है जिससे की हम आपने विद्यार्थियों के बेहतर से बेहतर अवसर प्रदान कर सकते है। पिछले 02 सालों में हमारे प्रदेश में पिछड़े क्षेत्र, आदिवासी जनजाति उसमे भी खासकर महिला विद्यार्थीयों की संख्या पढ़ी है और इस बनाये रखने हेतु साथ कदम हमारे विश्वविद्यालयों को उठाने पड़ेंगे। साथ ही इंडस्ट्रीयबेस्ड और कोलेब्रोरेटिव पाठ्यक्रम की बात रखी। डाॅ. सतयेन्द्र सिंह सेंगर, माननीय कुलपति इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने कहा की हमारे शिक्षकों में क्वालिटी और इम्प्रुवमेंट की आवश्यकता है जिसे हमें स्वीकारना होगा इस हेतु प्रशिक्षण और फेकेल्टी एक्शचेंज की बात रखी। कैरियर काउसिंलिंग के साथ विद्याथियों के अभिभावकों के साथ परिचर्चा की आवश्यकता को इंगित किया साथ ही योगा, प्राचार्यों के साथ अनिवार्य बैठक, शिक्षकों के पुस्तकालय उपयोग औैर शिक्षकोें की परीक्षा करनो जैसे विचार प्रस्तुत कियें। इसके साथ ही अपने विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को गोठन कार्यक्रम से डिग्री लिंग करने की बात कही और सामान्य विश्वविद्यालयों के लिए मार्केट से लिंग के लिए माडॅल डेवलप करने के विचार प्रस्तुत किये। डाॅ. नारायण पुरूषोत्तम दक्षिणकर, कुलपति दाऊ  वासुदेव चन्द्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग ने वर्तमान में आनलाईन टीचिंग एवं कठिनाई पर प्रकाश डालते हुए पिछड़े क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों की सेवा और सूचना को पहुचाने के अवरोधो पर चर्चा की। उन्होने इंडस्ट्री और इंटर फेस का जिक्र करते हुए कहा की निजी क्षेत्र के लिए तकनीकिय रूप से कौशल प्राप्त शिक्षा और विकास आवश्यक है हम अपने आस-पास के निजी क्षेत्रों के जरूरत के अनुसार पाठ्यक्रमों के आवश्यक संशोधन की आवश्यकता है साथ ही उन्होने नव प्रवेशित विद्यार्थियों के लिए अभिभावको के साथ इंट्रोडिक्शन कार्यक्रम के अपनायें जाने की बात रखी। प्रो. अशोक सिंह,  कुलपति संतगहिरा गुरू विश्वविद्यालय सरगुजा ने अपने कांफिडेन्ट लेवल को बनाये रखने और महाविद्यालयों के मानकों और उनकी समीक्षा हेतु चर्चा व्यक्त की। प्रो. आर.पी. दुबे, कुलपति डाॅ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय कोटा ने कहा की छत्तीसगढ़ में संभावनाओं की कमी नहीं है, शासन अपने स्तर पर भरपूर प्रयास कर रहा है और भविष्य में सभी चींजें होंगी आज के युवाओं के कौशल विकास हेतु ऐथिक्स वेल्यू बढ़ाने पर जोर देते हुए सुझाव व्यक्त किया की प्रदेश में विश्वविद्यलाय और महाविद्यालय के शोध की जानकारी शासन तक पहुचें और कैरियर गाइडेंस अति आवश्यक है। स्टेट लेवल के एग्रीडेयेशन की आवश्यकता है। शासकीय और निजी विश्वविद्यालयांे के सेवाओं के मध्य अंतर को दूर करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव महोदय के द्वारा माननीय अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट की गई। कार्यक्रम के संयोजन  सौमित्र तिवारी जी ने सभी उपस्थितो का धन्यवाद एवं अभिवादन ज्ञापित करने हुए समापन की औपचारिक घोषण की। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग शिक्षक एवं अधिकारी उपस्थित रहें।

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