VIDEO : पिंजरे में भिड़ंत, शेरनी की मौत: कानन प्रबंधन ने कहा व्यवस्था सुधारी जा रही है, हमारी कोई गलती नहीं है
बिलासपुर/अनिश गंधर्व. कानन पेण्डारी में मादा चेरी की मौत को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। 13 वर्षीय मादा शेरनी चेरी के बदल के कमरे में तीन वर्षीय शेर भैरव को रखा गया था। दोनों के बीच में एक लोहे का गेट है। तीन अप्रैल को देर शाम जब कानन के कर्मचारी सभी जानवरों को भोजन परोस कर घर चले गये तो देर रात्रि अलग अलग कमरे में बंद शेरनी और शेर हिंसक हो गये। इस आपाधाती में लोहे के गेट का लॉक टूट गया है और तीन वर्षीय शेर भैरव ने मादा शेरनी के गले में वार कर उसे मौत के घाट उतार दिया। इस दौरान दोनों की दहाड़ को सुनने वाला कोई भी कर्मचारी नहीं था केज में मृत अवस्था में पड़ी शेरनी को सुबह साढ़े आठ बजे देखा गया। इसके बाद कानन के आला अधिकारियों को सूचना दी गई। खून से लथपथ पड़ी शेरनी की मौत से कानन प्रबंधन सकते में आ गए और देर शाम पीएम रिपोर्ट के आधार पर मामले का खुलासा किया गया। देर रात्रि हुई इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। यहां रात में भी कर्मचारी पहरा देते हैं, मगर किसी को भनक तक नहीं लगी। हादसे के बाद कानन प्रबंधन द्वारा शेरों के पिंजरे में लगे लोहे के गेट को मजबूत बनाया जा रहा है।
कानन जू के प्रबंधक संजय लूथर ने बताया कि वैसे तो अन्य जानवरों को एक साथ रखा जाता है, उनमें हिंसक घटनाएं नहीं होती। शेरों को अलग अलग रखा गया है लेकिन गेट का लॉक टूटने के कारण यह घटना हुई है। हम यहां लोहे के गेट को और मजबूत बना रहे हैं ताकि आगामी समय में इस तरह की घटना न हो सके। कानन प्रबंधन ने किसी तरह की कोई भी लापरवाही नहीं बरती है।
मालूम हो कि कानन पेण्डारी में लगातार जानवरों की मौत हो रही है। उनके रख रखाव को लेकर तरह तरह से सवाल उठ रहे हैं। संक्रमण के कारण भालूओं की मौत हो चुकी है। इसी तरह एक घायल बाघिन रजनी की मौत हो चुकी है। दो महिने में आधा दर्जन पशुओं की मौत हो चुकी है, रख-रखाव और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कानन प्रबंधन सक्रिय नजर नहीं आ रहा है।
सुरक्षित है शेर भैरव
जिस तीन वर्षीय शेर भैरव ने लोहे के लॉक को तोड़कर बगल के कमरे में बंद 13 वर्षीय शेरनी चेरी को मौत के घाट उतारा है उसके शरीर में एक खरोच के भी निशान नहीं पाये गये हैं। कानन के अधिकारियों ने जब मीडिया कर्मियों को मौका मुआयना कराया तब वह आराम से अपने कमरे में बैठा हुआ था। आम तौर पर जब भी कोई जानवर आपस में भिड़ते हैं तो दोनों को चोटें आती है लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि अपने से आयु में तीन गुना बड़ी मादा शेरनी को शेर भैरव कैसे आसानी से मौत के घाट उतार सकता है ? और उसे कहीं भी चोट नहीं लगती।