भारतीय भाषाएं ज्ञान की कल्पवृक्ष हैं : प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल
वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के दूर शिक्षा निदेशालय द्वारा सेवारत अध्यापकों के लिए एक सप्ताह (18-23 अप्रैल) की ऑनलाइन कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने कहा कि भाषा कल्पवृक्ष है जो हमारी सांस्कृतिक विरासत की वाहक होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक प्रायोजित गतिविधि है जो भाषा में संपन्न होती है। शिक्षा भाषा में ही दी जाती है। भाषा ज्ञान को आकार देने का कार्य करती है। ऐसा संभव नहीं है कि ज्ञान कोई विकसित करे और भाषा कोई और विकसित करे। भाषा व्यक्ति और समुदाय से पृथक अस्तित्व नहीं रखती है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का संदर्भ लेते हुए कहा कि यह नीति भाषा शिक्षकों की कमी एवं दक्ष भाषा शिक्षकों की अनुपलब्धता की समस्या के समाधान को अच्छी शिक्षा के लिए अपरिहार्य मानती है। कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए ऋषभ कुमार मिश्र ने भाषा और शिक्षण के संबंध की चर्चा की और बताया कि यह कार्यशाला भाषा, विभिन्न विद्यालयी विषयों की प्रकृति और विद्यार्थियों की विविधता से जुड़े विषयों पर चर्चा के लिए प्रस्तावित है। दूर शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ. के बालराजु ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का संदर्भ देते हुए कहा कि हमें गुणवत्ता और समावेशन पर बल देने वाली शिक्षण पद्धतियों का प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर्याप्त अवसर देती है ।विद्यालयी शिक्षा का लक्ष्य शिक्षकों के सहयोग के बिना साकार नहीं हो सकता है। इसके लिए सेवारत अध्यापकों को इस नीति के मूल तत्वों को गहनतापूर्वक समझना आवश्यक है। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ.आर. पुष्पा नामदेव ने किया। डॉ. सारिका राय शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया । कार्यशाला में दूर शिक्षा निदेशालय के अतिथि अध्यापक डॉ.आदित्य चतुर्वेदी और डॉ.गुणवंत सोनाने उपस्थित थे। कार्यशाला में दूर शिक्षा निदेशालय के बी.एड. (दूर शिक्षा) पाठ्यक्रम में पंजीकृत विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में सहभागिता की।