छपी हुई पुस्तकों का कोई विकल्प नहीं : प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल
वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय परिसर प्रयागराज में बुक-बैंक का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य रजनीश कुमार शुक्ल के कर कमलों द्वारा किया गया । इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वर्तमान में भले ही ई–पुस्तकों का चलन बढ़ा हो लेकिन कागज पर छपी किताबों का कोई विकल्प नहीं है। यद्यपि भारतीय परंपरा में पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा है लेकिन जहां एक पेड़ एक किताब को जन्म देता है, वहीं एक किताब भी एक जीवन को जन्म देती है और संवारती है। किताब का ज्ञान यदि मेधा तक नहीं पहुंचा तो वह निरर्थक है। मनुष्य अपनी मेधा से ही ज्ञान ग्रहण करता है और हमारे देश समाज एवं कुल में ज्ञान के वितरण की परंपरा रही है। कागज पर लिखी इबारत एक सभ्यता और संस्कृति का विकास करती है। ज्ञान वही जो रूचिकर हो जो आनंद दे। आनंद किताबों को पढ़ने से ही मिलता है। पढ़ने की संस्कृति के विकास और विश्वविद्यालय के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों तक आवश्यक पुस्तकों की सहज पहुंच के उद्देश्य से ही विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय परिसर में इस बुक बैंक की स्थापना की गई है। इस अवसर पर केंद्र के अकादमिक निदेशक प्रो. अखिलेश कुमार दुबे ने कहा कि परिसर के पुस्तकालय में लगभग दस हजार पुस्तकें हैं। जिसमें साहित्य, भाषा, अनुवाद,नाटक एवं पत्रकारिता से संबंधित अत्यंत दुर्लभ पुस्तकें एवं पांडुलिपियां उपलब्ध हैं। इनमें वृहद आधुनिक कला कोश,भारतीय रंगकोश, भारतीय पत्रकारिता कोश और इनसाइक्लोपीडिया ऑफ दलित इण्डिया प्रमुख हैं। विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में संग्रहीत पुस्तकें ज्ञानार्जन की दृष्टि से विद्यार्थियों ओर शोधार्थियों के साथ अध्यापकों की जिज्ञासाओं की पूर्ति भी करता है। क्षेत्रीय परिसर में सिर्फ पुस्तकालय ही नहीं बल्कि आधुनिकतम सुविधाएं भी उपलब्ध है। इस अवसर पर केंद्र के सभी शैक्षणिक और गैर- शैक्षणिक सदस्यों ने कुलपति प्रो. शुक्ल को ‘बुक-बैंक’ हेतु पुस्तकें भेंट की । कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डा. सत्यवीर ने किया और आभार संकाय सदस्य डॉ.शिखा शुक्ला ने ज्ञापित किया । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी अध्यापक, विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित रहे।