May 29, 2024

महंगाई और ग्रामीण जन-जीवन की दुर्दशा के खिलाफ अभियान चलाएगी किसान सभा

रायपुर. छत्तीसगढ़ किसान सभा ने खेती-किसानी और ग्रामीण जन-जीवन की समस्याओं को केंद्र में रखकर अभियान चलाने का फैसला किया है। बढ़ती महंगाई, खाद्यान्न संकट, रासायनिक खाद की कमी, मनरेगा, अनाप-शनाप बस भाड़ा, शिक्षा और स्वास्थ्य विभागों में रिक्त पदों को भरने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली आदि मुद्दों को इस अभियान के लिए चिन्हित किया गया है।
यह जानकारी एक विज्ञप्ति में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने दी। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में आज ग्रामीण सकल महंगाई दर 8.38% है — यानी बाजार में पिछले वर्ष के 100 रुपये की जगह आज 108-109 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। सब्जियों के दाम में 20%, फलों में 5%, मसालों में 11%, खाद्य तेलों में 23%, दालों में 8% और गेहूं के भाव में 14%, परिवहन भाड़ों में 11% तथा बिजली की दर में 10% की वृद्धि हुई है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में  70% की और गैस सिलिंडर की कीमत में एक साल में ही 200 रुपये प्रति सिलिंडर से ज्यादा की वृद्धि हुई है। इस अभूतपूर्व महंगाई ने ग्रामीणों की कमर ही तोड़ दी है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से हमारी अर्थव्यवस्था अभी तक नहीं उबरी है और ग्रामीण जनता मजदूरी में गिरावट और बेरोजगारी का सामना कर रही है। हमारे देश की ग्रामीण जनता अपनी कुल आय का 50% से ज्यादा अपने जिंदा रहने के लिए खाने-पीने के सामान पर ही खर्च करती है। इस महंगाई ने खाद्यान्न खर्च को बढ़ाया है और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें अपने आहार-खर्च में कटौती करनी पड़ रही है। इससे ग्रामीण जनता के जीवन स्तर में भयंकर गिरावट आई है।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि प्रतिकूल मौसम के कारण इस साल गेहूं के उत्पादन में भयंकर गिरावट आई है, जबकि पिछले वर्ष मोदी सरकार ने सस्ते में 70 लाख टन गेहूं का निर्यात कर दिया था। उत्पादन में कमी के नाम पर अब इसी गेहूं को महंगे में आयात किया जा रहा है। खाद्यान्न संकट के नाम पर कालाबाज़ारी और जमाखोरी का बड़ा खेल चल रहा है। इससे कॉर्पोरेट अनाज-मगरमच्छों की ही तिजोरियां भर रही है और गरीब जनता बाजार की लूट का शिकार हो रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश में रासायनिक खाद की पर्याप्त आपूर्ति न करने के कारण खाद संकट चरम पर है। बोरे में खाद का वजन कम हो गया है और कीमत बढ़ गई है। इस समय निजी दुकानों में यूरिया 800 रुपये, पोटाश 1300 रुपये और डीएपी 1700 रुपये प्रति बोरी की दर से बिक रही है। बाजार में नकली खाद और सोसाइटियों में घटिया वर्मी कम्पोस्ट बेचा जा रहा है। खाद-बीज-दवाई की कीमतों में वृद्धि के कारण लागत बढ़ने से खेती-किसानी संकट में फंस गई है।
वामपंथी पार्टियों द्वारा चलाये जा रहे साझा अभियान को समर्थन देते हुए उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ किसान सभा का अभियान निम्न मांगों पर केंद्रित होगा :
● पेट्रोल-डीजल-गैस पर लगाये जा रहे सभी प्रकार के टैक्स वापस लो और 2014 के स्तर पर इनकी कीमतों को लाओ।
● राशन दुकानों से सभी लोगों को गेहूं, चावल, दाल, तेल सहित सभी जीवनोपयोगी वस्तुओं को सस्ते दरों पर वितरित करो।
● आयकर दायरे से बाहर के सभी परिवारों को प्रति माह 7500 रुपये की नगद मदद दो।
● मनरेगा में सभी जरूरतमंद परिवारों को हर साल 200 दिन काम, 600 रुपये रोजी दो। बकाया मजदूरी का भुगतान करो।
● खाद संकट दूर करो और उनके भाव 2014 के स्तर पर लाओ। सहकारी सोसाइटियों से किसानों को जबरन घटिया वर्मी कम्पोस्ट देना बंद करो।
● ग्रामीण क्षेत्रों में अनाप-शनाप बस भाड़ा लेना बंद करो।
● ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में रिक्त सभी पदों को भरो।
उन्होंने बताया कि इस अभियान का समापन विभिन्न जिलों में आंदोलनात्मक कार्यवाहियों से होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post VIDEO : जंगल मितान कल्याण समिति करेगा हम बिलासपुर-हमर धरोहर का आयोजन
Next post 203 दिनों के धरने, 5 बार खदान बंदी के बाद भूविस्थापितों को रोजगार देने की प्रक्रिया हुई शुरू
error: Content is protected !!