एक किताब बदल देती है जीवन : प्रो. योगेश सिंह, कुलपति दिल्ली विश्वविद्यालय

अतुल सचदेवा सीनियर जर्नलिस्ट दिल्ली/दिल्ली विश्वविद्यालय अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा है। इस महत्पूर्ण अवसर पर आज़ादी का अमृत वर्ष ,महर्षि अरबिंद की 150वीं जयंती और शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सहयोग से विश्विद्यालय परिसर और उससे जुड़े कॉलेजों में सचल पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इस सचल पुस्तक प्रदर्शनी को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक कर्नल युवराज मलिक ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह पुस्तक प्रदर्शनी 5 से 30 सितंबर तक नॉर्थ और साउथ कैंपस के विभिन्न कॉलेजों में भ्रमण पर रहेगी। यहाँ विद्यार्थी भारी छूट पर अपनी पसंदीदा पुस्तकें खरीद सकेंगे . पुस्तक प्रदर्शनी के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने वक्तव्य में कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि किताबें हमारी सबसे महत्त्वपूर्ण शिक्षक हैं। शिक्षक स्वयं में एक जीवंत किताब हैं या इस बात को यूँ भी कह सकते हैं की किताबें जीवंत शिक्षक हैं। कुछ मनोवैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि मनुष्य किताबों का भावात्मक अनुवाद होता है वो जैसी किताबें पढ़ता है वैसा ही बन जाता है। किताबें सबसे वफादार मित्र होती हैं वो हमारा साथ कभी नहीं छोड़ सकती। भारत के युवाओं को किताबों के प्रति रुचि बढ़ानी होगी। यह व्यक्तित्व निर्माण का सशक्त माध्यम हैं। किताबों के माध्यम से एक जगह पर बैठे अध्ययन करते हुए विश्व के सुदूर स्थानों तक भ्रमण कर सकते हैं और वहां के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तक अध्ययन भारत की समृद्ध वैचारिक परंपरा का हिस्सा रहा है। व्यक्ति के स्वस्थ सामाजीकरण की प्रक्रिया में  किताबों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक कर्नल युवराज मलिक ने कहा कि यह पुस्तक प्रदर्शनी का अभियान सभी लेखकों, पाठकों और संस्थानों को एक मंच पर लाना है। पुस्तकों की यात्रा से भारत के समाज, संस्कृति और सभ्यता की यात्रा की जा सकती है। उन्होंने इस अभियान का श्रेय प्रधानमंत्री के ‘रीड इंडिया कैंपेन’ को दिया। भारत ज्ञान आधरित अर्थव्यस्था ऐसे ही बन सकता है जब हर हाथ में किताब पहुंचे। क्या गांव क्या शहर एनबीटी ने हर जगह यह मुहिम शुरू की है। और इसके सकारात्मक परिणाम हमारे सामने है। साथ ही, उन्होंने प्रतिभाशाली लेखकों को राष्ट्रीय  पुस्तक न्यास से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया और अन्य संस्थानों से भी इस प्रदर्शनी के माध्यम से जुड़ने की अपील की। इस कार्यक्रम के संयोजक साउथ कैंपस के डायरेक्टर प्रोफेसर श्रीप्रकाश सिंह ने इस बेहतरीन पहल के लिए शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार , नेशनल बुक ट्रस्ट का आभार व्यक्त किया, जो नई पीढ़ी में पुस्तक पढ़ने की रूचि विकसित करने के लिए पुस्तक परिक्रमा की यह पहल पूरे भारत वर्ष में कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने आशा व्यक्त की कि अभी यह सचल पुस्तक प्रदर्शनी दिल्ली विश्वविद्यालय के 20 महाविद्यालयों में जा रही है आगे अन्य कॉलेज भी इसका हिस्सा बनेंगे। इस कार्यक्रम में विश्विद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, लाइब्रेरियन राजेश सिंह, विश्विद्यालय के डीन, विभिन्न विभागों के प्राध्यापक, कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. प्रभांशु ओझा और अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

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