भरण-पोषण के मामले में आयोग की समझाईश पर हुआ समझौता
बिलासपुर. राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं श्रीमती अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में आज जल संसाधन विभाग के प्रार्थना भवन में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई। आज 34 प्रकरणों की सुनवाई की गई। जिनमें से 13 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
आज सुनवाई के दौरान भरण पोषण के प्रकरण में उपयपक्ष के मध्य आपसी समझौता हुआ है। इस प्रकरण में आवेदिका के साथ आयोग की ओर से आयोग के कर्मचारी सहित सखी वनस्टॉप सेंटर केन्द्र प्रशासक साथ में रहेंगे जो अनावेदक के घर जाकर आवेदिका अपने मकान का ताला खोलकर अपना समस्त सामान लेकर कमरे की चाबी अनावेदक को सौपेगी साथ ही दिनांक 23 अगस्त 2022 को रायपुर महिला आयोग में आवेदिका उपस्थित होंगी। आज अनावेदक ने 3 लाख रुपये का चेक आयोग के समक्ष आवेदिका को सौंपा है।
इसी तरह एक अन्य भरण पोषण के प्रकरण में अनावेदक ससुर ने आयोग को बताया कि आवेदिका के पति के मृत्य के पश्चात् आवेदिका अपना सारा सामान लेकर चली गयी 2 माह के बाद आने की बात कही लेकिन नहीं आयी। आवेदिका को मैनें 50 हजार रुपये नगद दिया था जिसके बाद भरण पोषण राशि आज तक नहीं दिया है। अनावेदक ने अपनी 4 वर्ष की पोती को भी कभी कुछ नही दिया है। आवेदिका बहु ने बताया कि पति एम.आर.एफ. टायर का व्यवसाय एजेंसी शोरूम चलाते थे, जिसमें अब ससुर और ननंद बैठते है। मेरे स्वर्गीय पति का 24 लाख राशि का बीमा राशि ससुर ने रख लिया है। दो अन्य बीमा की जानकारी भी नही दिया है। साथ ही समाज के मुखिया लोगो को भी इसकी जानकारी दिए था। उसके बाद भी उसे रहने नहीं दिया जा रहा है। और दस्तावेजों में नामिनी को मराठी भाषा में दिया हुआ था, मुझसे हस्ताक्षर ले लिया गया और मेरे कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मेरे ससुर के पास ही है। डॉ. श्रीमती नायक ने इस प्रकरण की सुनवाई रायपुर में 23 अगस्त 2022 को रखी है। जिसमें दोनो पक्षों को अपनी विस्तृत तैयारी के साथ उपस्थित होने कहा गया है।
सम्पति विवाद के एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक उसके पुत्र ने बैंक चेक के असली कागज और वसीयतनामा स्वयं के पास रखे है। माता को घर से बेदखल कर दिया गया है। अनावेदक का कथन है कि लगभग 4 एकड़ जमीन पर आवेदिका का कब्जा है, शेष 3 एकड़ में अनावेदक का कब्जा है। जिस पर आवेदिका की तरफ से दूसरा व्यक्ति बाड़ी बो रहा है। आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक ने उभयपक्षों को समझाईश दी कि अपने कथन के संबंध में जो भी दस्तावेज है, उसे आयोग में प्रस्तुत करे। प्रकरण आगामी सुनवाई के लिए रखा गया है।
इसी तरह सम्पति विवाद के अन्य प्रकरण में उभयपक्षो के मध्य दिवानी और पारिवारिक विवाद का मामला है। जिसमें अनावेदिका ने आवेदिका और उसके पति के विरूद्ध सिविल लाईन थाना बिलासपुर में रिपोर्ट दर्ज कराई है। एफआईआर दर्ज होने के बाद आवेदिका ने महिला आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया है। जहां आवेदिका ने बताया कि उनकी जमीन में अभी पुत्री के नाम पर रजिस्ट्री कर दिया है, आयोग द्वारा पूछे जाने पर अनावेदिका ने बताया है, कि पारिवारिक इकरारनामा के तहत् अनावेदिका ने अपनी सम्पत्ति आवेदिका और उसके पति के नाम पर किया था। किन्तु 1 सप्ताह पश्चात आवेदिका मुकर गयी तब उन्होने रजिस्टर्ड मुख्तयारनामा दिया था जिसपर उन्होने अपनी पुत्री के नाम पर बिक्रीनामा किया है। आवेदिका से पूछे जाने पर आवेदिका के हस्ताक्षर का मिलान आवेदिका के आवेदन और मुख्तयारनामा से किया गया। हस्ताक्षर एक समान पाया गया। आवेदिका के पास इसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है, जिससे यह स्पष्ट परिलक्षित होता है कि आवेदिका अपराधिक मामले से बचने के लिए आयोग की आड़ ले रही है और न्यायालय में प्रकरण लंबित है। प्रकरण न्यायालय में लंबित होने के कारण नस्तीबद्ध किया गया है।
महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती नायक ने बताया कि राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग से प्रत्येक जिले में मानव तस्करी में कार्यशाला आयोजित करने का प्रोजेक्ट दिया गया है। जिसके परिप्रेक्ष्य में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में बैठक कर जानकारी एकत्र किया जा रहा है और सभी जिलों से मानव तस्करी के प्रकरणों पर पुलिस अधीक्षक के माध्यम से जानकारी एकत्र किया जा रहा है और सुनवाई के बाद मानव तस्करी पे परिचर्चा भी किया जा रहा है। आज बिलासपुर जिले की भी रिपोर्ट लिया गया है जिसमे मानव तस्करी के बिलासपुर जिले में 6 मामले न्यायालय में लंबित है। कुल गिरफ्तार अपराधियों की संख्या 20 है। जनवरी 2022 से अगस्त 2022 तक पंजीकृत अपराधों की संख्या 7 है।