ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ने शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, के नाम ज्ञापन सौंपा
बिलासपुर. ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन जिला कमेटी बिलासपुर की ओर से जनवादी धर्मनिरपेक्ष वैज्ञानिक शिक्षा को बर्बाद करने वाली नई शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ बिलासपुर कलेक्टर के द्वारा शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, के नाम ज्ञापन सौंपा कर कलेक्ट्रेट के सामने धरना प्रदर्शन किया गया। बिलासपुर जिला अध्यक्ष संतु खटवा ने कहा कि आप जानते हैं कोरोना महामारी ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया। मध्यम वर्गीय व निम्न वर्गीय परिवार जैसे तैसे अपने परिवार का गुजर बसर कर पा रहे हैं। इस कोरोना महामारी में जो सबसे बड़ी क्षति हुई है, वह शिक्षा की हुई है। जब सरकार को इस हालात में सुधार कर स्कूल -कॉलेज -यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक माहौल को बनाने का काम करना चाहिए था। तब ऐसे हालात में सरकार को ऐसी नीति को लागू करने की जरूरत थी जो वर्तमान शिक्षा नीति में व्याप्त त्रुटियों कमियों खामियों को दूर करती। परंतु इसके विपरीत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को बिना किसी सार्थक चर्चा परिचर्चा और लोकसभा राज्यसभा में विचार विमर्श के, जबरन देश के शिक्षण संस्थानों में थोप दिया जा रहा है। यह शिक्षा नीति ना केवल शिक्षा के निजीकरण व्यापारिकरण व साम्प्रदायिकरण को बढ़ावा देगी, बल्कि इससे भी बढ़कर यह नीति शिक्षा के आधारभूत सार तत्व और शिक्षा के उद्देश्य को ही समाप्त कर देगी।
शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री, गोल्ड मेडल और नौकरी हासिल करने तक ही सीमित न हो बल्कि शिक्षा का मूल उद्देश्य नीति नैतिकता , मूल्य बोध , इंसानियत को छात्रों के अंदर उतारना और एक विकसित प्रगतिशील , धर्मनिरपेक्ष, जनवादी व वैज्ञानिक शिक्षा व्यवस्था की स्थापना होना चाहिए। जो शिक्षा हर एक तबके के लोगों को आसानी से मुहैया हो सके ऐसे सपने के साथ हमारे देश के मनीषियों ने अपनी शहादत दी थी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 देश में शिक्षा व्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव डालेगी और शिक्षा को बाजारू माल में तब्दील कर देशी-विदेशी पूंजीपतियों के द्वारा आम गरीब जनता के शोषण के रास्ते को खोल देगी।
इस पर हम अपने निम्न विचार रखना चाहते हैं
१)स्कूली शिक्षा की पुरानी पद्धति को बदल कर अब 5 + 3 + 3 + 4 शिक्षा पद्धति को लागू किया जा रहा है । जिसमे 3 से 6 साल की उम्र के बच्चों की शिक्षण प्रक्रिया उन आंगनबाड़ियों के हाथ में सौंप दी जाएगी जो पहले से ही वेंटिलेटर पर हैं। कक्षा 3,5,8 में ओपन लर्निंग को लागू कर और कक्षा 1 से 8 तक फेल न करने की नीति को जस की तस लागू रखना पूरी शिक्षा व्यवस्था को ही संकट में डाल देगा।
२) शैक्षणिक-गैरशैक्षणिक गतिविधियों एवं विज्ञान व कला संकाय के बीच किसी ठोस विभाजन का ना होना सीखने और सिखाने की पूरी प्रक्रिया को ही बर्बाद कर देगा।
३) इसी तरह उच्च शिक्षा में 3 साल के स्नातक डिग्री कोर्स को मल्टीपल इंट्रेंस एवं एग्जिट सिस्टम के साथ बढ़ाकर 4 साल का करके भारतीय उच्च शिक्षा को विश्व शिक्षा बाजार के अनुरूप ढालने की योजना तैयार की गई है।
४)’हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया’ (HECI) का गठन, शिक्षा पर अफसरशाही के शिकंजे को और मजबूत करेगा। NEP 2020 में गरीबविरोधी व भेदभावपूर्ण ऑनलाइन शिक्षा को लागू करते हुए ‘डिजिटलाइजेशन’ को लागू करने की बात की गई है जिसका असल उद्देश्य शिक्षा में केंद्रीकरण की प्रक्रिया को तेज करना है। जहां देश की बड़ी आबादी आज भी आधुनिक युग से पिछड़ा है वहां यह विचार अप्रासंगिक है।
५) जब सरकार रोजगारों में भारी कटौती कर रही हो, तब NEP 2020 में वर्णित रोजगारमूलक शिक्षा सिर्फ बेरोजगार युवाओं को रोजगार के सपने बेचने और धोखा देने के अलावा कुछ नही है। इस पर भी इस शिक्षा को कक्षा 6 से ही लागू कर देना स्कूली शिक्षा एवं शिक्षा के सार तत्व को ही खत्म कर देगा।
६) NEP 2020 में भाषा के गहन अध्ययन की जगह संस्कृत का महिमा मंडन कर अंग्रेजी को सिर्फ काम चलाने तक उपयोगी बताया गया है। यह शिक्षा पद्धति सिर्फ बाजार में चलने लायक उच्च शिक्षा विहीन तथाकथित पढ़े लिखे लोग ही तैयार करेगी।
७) NEP 2020 मे ‘शिक्षा के भारतीयकरण’ की बात करते हुए असल मे पिछड़े विचारों व रीति-रिवाजों को बढ़ावा दिया गया है जो कि शिक्षा के सांप्रदायिककरण की एक खुली कोशिश है, जो अंधता व उन्माद को ही बढ़ावा देगी।
अतः शिक्षा के मूल सारतत्व को बर्बाद करने वाली विनाशकारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अविलंब वापस लिया जाए