November 23, 2024

मां के सम्मान के साथ उनकी जरूरतों का भी रखें ध्यान – ब्र.कु. पूर्णिमा

बिलासपुर. प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय टिकरापारा सेवाकेंद्र में आज मातृ दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के दौरान मातृ शक्ति के त्याग व गुणों की महिमा व सम्मान के दौरान सभी की आंखें नम हो गईं। उपस्थित सभी माताओं के सम्मान में बहनों ने सर्वप्रथम उन्हें तिलक लगाया तत्पश्चात् रेलवे क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारी चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर (इलेक्ट्रिकल) भ्राता हरिराम एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ सदस्य 88 वर्षीय भ्राता शरदचन्द्र बलहाल  के द्वारा सभी माताओं को ईश्वरीय सौगात व प्रसाद दिया गया। माताओं के सम्मान में गौरी बहन ने पूछो ना है कैसी मेरी मां…गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया।
ब्रह्माकुमारी पूर्णिमा बहन ने सभी माताओं को जगतमाता कहते हुए मातृ दिवस की शुभकामनाएं व बधाई दी। मातृ दिवस की महत्ता को बताते हुए उन्होंने कहा कि माता या पिता का दिन कोई एक दिन का नहीं है बल्कि सदा के लिए है। यह दिवस माताओं का सम्मान करने की याद दिलाता है। हमें अपने माता-पिता का सदा सम्मान करना चाहिए।
मां हमारी प्रथम गुरु, शिक्षक व दोस्त होते है। मां का प्यार बच्चे के लिए निस्वार्थ होता है। वे  हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती है, हमें बुराइयों से बचाती है, उनका प्यार, सागर के समान होता है जो कभी खत्म ना होने वाली हमेशा देने का भाव से संपन्न, निश्चल व निस्वार्थ होती है। वे अपने बच्चों के लिए हर कठिन परिस्थिति पर भी दुख दर्द सहते हुए भी अपने बच्चों को सुरक्षित रखती है। परमात्मा के लिए भी कहा कि वह भी हमारी मां है। ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं और इस जहान् में जिसका अंत नहीं उसे मां कहते हैं अर्थात मां का प्यार असीमित होता है कोई हमें कितना भी अधिक प्यार करे लेकिन मां तो हमें 9 महीने अपने गर्भ में ही पालती है इसलिए हमें कभी भी अपनी मां का दिल नहीं दुखाना चाहिए। मां के सम्मान के साथ उनकी जरूरतों को पूरा भी करें। तब हमें उनसे दुआएं प्राप्त होती है और वह दुआ ही हमें जीवन में हमेशा सफलता दिलाती है, सुरक्षित रखती है।
ब्रह्माकुमारी हेमवती बहन ने भी अपने भाव को शब्दों का रूप देते हुए कहा कि ईश्वरीय परिवार में दीदीयों का प्यार हमें मातृवत पालना का अनुभव कराता है और मां की कमी का एहसास होने नहीं देता।
ब्रह्माकुमारी श्यामा बहन ने कहा मां तो मां होती है हम चाहे कितना भी दूर रहे लेकिन उनकी दुआएं व आशीर्वाद हमारे साथ होती है। मां बिना कहे हमारे मन के भाव को समझ जाती है और वह हमारी आवश्यकता की हर चीज हमें दिलाने के लिए हर कोशिश करती है। वे हमेशा अपने बच्चों के लिए दुआएं व शुभकामनाएं करती है।
अंत में सभी बहनों ने इस ब्रह्माकुमारी जीवन की अलौकिक मां जिन्होंने आध्यात्मिक मार्ग में प्यार व शिक्षाओं से पालना से जीवन को श्रेष्ठ बना कर आगे बढ़ाया उनका आभार व धन्यवाद किया।

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