सिम्स की एक और उपलब्धि, जहर सेवन वाले 97 प्रतिशत मरीजों की बचाई जान

सीजी एपिकॉन सम्मेलन में देश के विख्यात चिकित्सकों ने की प्रशंसा

बिलासपुर. सिम्स अस्पताल ने वर्ष 2023 में रेट कील प्वाइजन अर्थात घातक चूहा मार जहर खाए 97 प्रतिशत लोगों की जान बचाने में सफलता पाई है, जो कि अन्य अस्पतालों से बचाव दर बहुत ज्यादा है। डॉक्टरों के प्रयासों से जहर सेवन कर अस्पताल पहुंचे 96 में से 93 लोगों को बचा लिया गया। बिलासपुर में चल रहे सीजी एपिकॉन सम्मेलन में पहुंचे देश के सुविख्यात चिकित्सकों ने इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए सराहना की है।
सिम्स के उप अधीक्षक अस्पताल डॉ. विवेक शर्मा ने बताया कि वर्तमान में रेट कील पॉइजनिंग के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। विशेषकर युवाओं के मामले ज्यादा आ रहे हैं । यह एक भीषण प्रकार का जहर होता है, जो कि मरीज के किडनी और लीवर दोनों को बुरी तरह से प्रभावित करता है, जिससे की मरीज के मृत्यु होने की संभावना बहुत उच्च रहती है । इसको सही ढंग से उपचार करने पर भी 70 से 80% तक की मृत्यु दर सामान्यतः अन्य अस्पतालों में देखी गई है, किंतु सिम्स ने वर्ष 2023 में कुल 96 में से 93 मरीज के जीवन की रक्षा की तथा तीन लोगों की दुखद मृत्यु भी देर से आने के कारण हुई । अगर वह सही समय पर आ जाते तो वह भी जीवित बच सकते थे। इसलिए जन सामान्य को यह भी समझना चाहिए की रेट की प्वाइजन के पेशेंट को शीघ्र निकट स्थित सक्षम चिकित्सा संस्थान में ले जाकर उपचार कराना उचित होता है जिससे कि मरीज के जीवन को बचाया जा सके। यह सिम्स की एक बहुत बड़ी सफलता है लगभग 97% मरीजों को की जीवन की रक्षा हुई ।
इसी विषय पर कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर आशुतोष कोरी द्वारा एक लेख प्रस्तुत किया गया जिसमें उन्होंने विस्तार से रेट के पॉइजन के ट्रीटमेंट के विषय में दिए गए कदमों के बारे में सूचित किया जिससे कि इस उच्च कुशलता के साथ जीवन के मरीजों की रक्षा की जा सके। सभी अन्य मेडिकल कॉलेज अन्य राज्यों से आए मेडिकल कॉलेज एम्स इत्यादि से आए डॉक्टर ने भी साइंस के इन कार्यों की प्रशंसा की । डॉ पंकज टैंभुनिकर विभाग अध्यक्ष ने बताया की सिम्स में हाय प्रोटोकॉल का उपयोग करके रेट कील प्वाइजन के पेशेंट को बचाने के लिए कदम लिए जाते हैं ।अधिष्ठाता डॉक्टर के के सहारे ने मेडिसिन विभाग के कार्यों की प्रशंसा की।

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