November 22, 2024

भारत विरोधी पाकिस्तान की दोस्ती पड़ी भारी, आने वाले हैं तुर्की के बुरे दिन

अंकारा. भारत (India) के खिलाफ हर कदम पर साजिश रचने वाले पाकिस्तान (Pakistan) का साथ देने की भारी कीमत तुर्की (Turkey) को चुकानी पड़ सकती है. डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले दिनों में न केवल तुर्की की आर्थिक सेहत प्रभावित होगी, बल्कि पाक के साथ उसके रिश्तों पर भी असर पड़ेगा. ऐसा इसलिए कि हाल ही में आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने माली और जॉर्डन के साथ-साथ तुर्की को भी अपनी ग्रे-लिस्‍ट में शामिल किया है. जबकि पाकिस्‍तान पहले से ही इस सूची है.

रिश्ते मजबूत करने में लगे दोनों
विशेषज्ञों का मानना है कि FATF के इस कदम से भारत के खिलाफ लामबंदी में पाकिस्‍तान की हिमायत करने वाले तुर्की (Turkey) की आर्थिक सेहत बिगड़ती जाएगी. यही नहीं दोनों देशों के रिश्‍तों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. पॉलिसी रिसर्च ग्रुप (Policy Research Group) में प्रकाशित एक लेख में लंदन स्थित व्यापार सलाहकार जेम्स क्रिक्टन (James Crickton) का कहना है कि ऐसे में जब तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) और पाक पीएम इमरान खान (Imran Khan) द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने में लगे हैं, FATF के कदम से दोनों मुल्कों के संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

PAK की मदद नहीं करेगा Turkey 
क्रिक्टन लिखते हैं कि एफएटीएफ के फैसले के बाद हालात बदले हैं. आने वाले वक्‍त में तुर्की पहले की तरह इस्लामाबाद को सहायता देने वाला नहीं है. जेम्स क्रिक्टन (James Crickton) का मानना है कि समय के साथ तुर्की के लिए हालात और खराब होते जाएंगे. बता दें कि कश्‍मीर के मसले पर पाकिस्‍तान को तुर्की का साथ मिलता रहा है. एफएटीएफ के फैसले के बाद पाकिस्‍तान की स्थिति तो अनिश्चित बनी हुई है. आने वाले दिनों में तुर्की के लिए भी हालात खराब हो सकते हैं.

Erdogan के सामने अब ये चुनौती
ग्रे लिस्ट में रखे जाने की वजह से तुर्की और पाकिस्‍तान दोनों को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलने में मुश्किल पेश आएगी. यही नहीं एफएटीएफ की ओर से निर्धारित लक्ष्‍यों को पूरा नहीं करने की स्थिति में इन पर ब्लैक लिस्टेड होने का खतरा भी बढ़ गया है. गौरतलब है कि एफएटीएफ की अगली बैठक मार्च-अप्रैल में होने वाली है. ऐसे में तुर्की के राष्ट्रपति के सामने अब एफएटीएफ की ग्रे लिस्‍ट से बाहर निकलना सबसे बड़ी चुनौती है.

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