Ayurvedic Treatment : आयुर्वेदिक डॉक्टर ने किया 6 मिथकों का भंडाफोड़ और बताई इन अफवाहों की सच्चाई
कोरोना वायरस से बचाव के लिए जब अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की किल्लत देखने को मिली तो लाखों लोगों ने आयुर्वेद के नुस्खों का सहारा लिया। हालांकि, कुछ लोगों के मन में आयुर्वेदिक इलाज को लेकर गलत धारणा है, जिन्हें हाल ही में वैद्य ने दूर किया है।
कोरोना काल में जब अस्पतालों में न बेड मिल रहे और न ही ऑक्सीजन, तब देश के लाखों लोगों की दिलचस्पी आयुर्वेद के देसी नुस्खों में काफी बढ़ रही है। इन दिनों तमाम लोग आयुर्वेद के जरिए ही घर में रहकर अपना इम्यून सिस्टम मजबूत कर रहे हैं। आयुर्वेद चिकित्सा का उपयोग विभिन्न स्थितियों के इलाज के लिए सदियों से किया जाता रहा है। आयुर्वेद एक ऐसी चिकित्सा है जो हमारे मन और शरीर दोनों को ठीक करने में कारगर है। यह कई पीढ़ियों से हमारे घर का हिस्सा रहा है लेकिन महामारी की शुरुआत के बाद से यह काफी चर्चा में शुमार हुआ है। इसी बीच जागरूकता और ज्ञान की कमी ने कई आयुर्वेदिक मिथकों को भी जन्म दे दिया है।
आयुर्वेद के इलाज में लंबा समय लगता है
हर इलाज के लिए, सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करने के लिए कुछ रोकथाम विधियों का पालन किया जाना चाहिए क्योंकि वे दवा को तेजी से और प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम बनाती हैं। भले ही अन्य एलोपैथिक और होम्योपैथिक इलाज की अपेक्षा आयुर्वेद में ज्यादा वक्त लगता हो लेकिन यह सबसे सुरक्षित रास्तों में से एक है। क्योंकि यह लंबे समय में किसी भी ऊतक (Tissues) या अंगों को नुकसान पहुंचाकर आपके स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है।
ट्रीटमेंट पर वैद्य की सलाह
वैद्य ने बताई आयुर्वेद विज्ञान की सच्चाई- इस मिथ पर आयुर्वेद डॉक्टर ने कहा, आयुर्वेदिक वैद्य भी मरीज का इलाज साइंटिफिक तरीके से करते हैं और हमारे पास भी मेडिकल की डिग्री हासिल होती है। उन्होंने कहा, BAMS आयुर्वेद का ही कोर्स होता है जो साढ़े पांच साल का होता है।
आयुर्वेदिक दवाइयों का नहीं होता है साइड-इफेक्ट्स
आयुर्वेद एक्सपर्ट की मानें तो किसी भी चीज की अति आपके लिए नुकसानदेह हो सकती है। अत्यधिक काढ़ा पीने से पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। अगर आप आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल सही समय और सही मात्रा में नहीं करते हैं, तो इससे आपको कई तरह की परेशानियां भी हो सकती हैं। इसलिए बिना एक्सपर्ट की सलाह के आयुर्वेदिक दवाइयों को खाने से बचें।
आयुर्वेद की दवाइयों का नहीं होता है एक्सपायरी डेट?
आयुर्वेदिक दवाइयों में इस्तेमाल की जाने वाली चीजें जैसे- हल्दी, शहद, घी, काली मिर्च, लौंग जैसी चीजें एक्सपायर नहीं होती हैंहै। लेकिन आयुर्वेद की जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल करने का एक निर्धारित समय सुनिश्चित किया गया है। जैसे- गिलोय, शतावरी आंवला, अश्वगंधा, ब्राह्मी, अशोक, मुलेठी जैसी जड़ी-बूटियों की एक्सपायरी डेट होती होता है।
उन्होंने कहा, आयुर्वेदिक वैद्य शाकाहारी भोजन को फॉलो करने के लिए कहते हैं ऐसा कोई नियम नहीं है। जब हमें लगता है कि मरीज को मीट की जरूरत है तो हम भी उन्हें उसका सुझाव देते हैं। हालांकि, शाकाहारी भोजन अक्सर आसानी से पच जाता है और आपके शरीर को सभी पोषक तत्व प्रदान करता है लेकिन आयुर्वेद में मांस का सेवन वर्जित नहीं है।