नगर निगम के हाट बाजारों का बुरा हाल,असामाजिक तत्वों का डेरा,कोई जाने को तैयार नहीं
बिलासपुर. शहर के नगर निगम के हाट बाजारों का बुरा हाल है,आलम यह है कि कोई सब्जी व्यापारी यहां दुकान नही लगा रहे है। वही इन बाजारों के दुकानें भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसके अलावा यहां असामाजिक तत्वों का डेरा लगा हुआ है। जो सुबह से रात तक नशाखोरी और जुआ खेल रहे है। इन हाट बाजारों पर अगर निगम प्रशासन ध्यान दे तो लोगों को दुकानें लगाने में आसानी होगी। शहर के सरकंडा मुक्तिधाम स्थित हाट बाजार का उदघाटन 22-04-2017 को किया गया था। इस हाट बाजार को छोटे सब्जी ठेले वाले व्यापारियों के लिए बनाया गया था। ताकि वह बीच सड़कों पर ठेले नही लगाये और दुकान में सब्जी लगाकर बेच सके।
लेकिन लोकापर्ण के बाद से ही यह बाजार वीरान पड़ा हुआ है। वही चांटीडीह सब्जी मंडी के पास भी एक काम्पलेक्स का निमार्ण किया गया है वह काम्पलेक्स भी रखरखाव के अभाव में लावारिस अवस्था में है। असामाजिक तत्वों का यहां भी डेरा लगा हुआ है, जो कि हर दिन नशाखोरी करते रहते है। राजकिशोर नगर में हाट बाजार बनाया गया है,यहां आज तक सब्जी वाले दुकान नही लगा सके। अब यह खंडहरनुमा हो चुका है। बिना कार्य योजना के बिलासपुर नगर निगम द्वारा किये गये निमार्ण से केवल राजस्व की हानि हुई है और अधिकारी मालामाल हुए है। आज की स्थिति में भी उजड़ चुके बाजारों को बसाने के लिए निगम का अमला ध्यान नही दे रहा है। बिलासपुर नगर निगम में कई कमिश्रर अभी आये और चले गये लेकिन इन हाट बाजारों के अस्तित्व को बचाने कोई कदम नही उठाया गया। नगर निगम में घाघ की तरह जमें जिम्मेदार अधिकारी न तो कमिश्रर को इस संबंध में अवगत कराते है,और ना ही स्वंय ध्यान देते है। अब देखना यह होगा कि नये निगम कमिश्रर द्वारा शहर के हाट बाजारों को व्यवस्थित करने कोई पहल की जाती है कि नही।
तोरवा का फिश मार्केट वीरान
तोरवा पुराना पावर हाउस में कुछ सालों पहले हाईजेनिक फिश मार्केट लाखों की लागत से बनाया गया था। लेकिन इस फिश मार्केट में अब तक मछली व्यापारी नही आये और ना ही किसी ने दुकान लगाई। हाईजेनिक फिश मार्केट शहर से दूर होने के चलते छोटे व्यापारी यहां आना नही चाहते। जिस वजह से यह मार्केट शुरू से लेकर अब तक वीरान पड़ा हुआ है।
सड़कों में जमा लेते है डेरा
शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर फल सब्जी बेचने वाले प्रतिबंधित होने के बाद भी दुकानदारी करते चले आ रहे है। निगम अमला और यातायात विभाग द्वारा इन्हे खदेड़ा नही जाता जिससे चलते इनका हौसला बुलंद है। बेतरतीब तरीके से लगने वाले दुकानों के कारण यातायात भी बाधित होती है।