बैंकिंग संस्था भी अब स्थायी लोक अदालत के दायरे में

बिलासपुर. बैंकिंग से जुड़ी समस्याए भी लोक अदालत के जरिये सुलझायी जा रही है।पक्षकारों को लोक आदलत के जरिये बैंक संबंधी मामलों में त्वरित न्याय मिल रहा है। लोक अदालत ने दो माह के भीतर आवेदिका श्रीमती पूर्णिमा पाण्डेय, कल्पना दुबे एवं अनीश पाण्डेय को न्याय प्रदान किया। श्रीमती पूर्णिमा पाण्डेय, कल्पना दुबे और अनीश पाण्डेय का बिलासपुर नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, बृहस्पति बाजार में एक बैंक खाता था। जिसमें बचत खाता तथा लॉकर का भी संचालन किया जाता था। आवेदिका के बैंक खाते में काफी बड़ी रकम जमा थी तथा लॉकर में पुत्री के विवाह के गहने इत्यादि रखे थे। कुछ दिन पूर्व बैंक के कर्मचारी द्वारा उसके खाते का उपयोग करते हुए अनाधिकृत रूप से राशि का अंतरण कर ट्रांजक्शन किया गया था। कर्मचारियों द्वारा खाते का उपयोग किए जाने के कारण आवेदकगण के खाते एवं लॉकर के ट्रांजक्शन पर बैंक द्वारा बिना किसी आधार के रोक लगा दी गई थी। इस बीच आवेदकगण के यहां लड़की का विवाह तय हो गया, तो उन्हे खाते में जमा रकम एवं लॉकर में रखे जेवरों की आवश्यकता थी, जिसके लिए वे बैंक के चक्कर लगा रहे थे। थक हार कर उन्होंने बैंक के खिलाफ स्थायी लोक अदालत,जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर में लगभग दो माह पूर्व अपना आवेदन लगाया। स्थायी लोक अदालत द्वारा अनावेदकगण को नोटिस जारी कर लोक अदालत में पक्ष रखने, उपस्थित होने हेतु निर्देशित किया गया। बैंक द्वारा लोक अदालत के आदेश पर खातों के संचालन एवं लॉकर के उपयोग के अनुमति के तथ्य को स्वीकार किया गया। जिस पर स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएं) के अध्यक्ष पंकज कुमार जैन एवं सदस्य सुरेश सिंह गौतम द्वारा आवार्ड पारित कर आवेदकगण के खातों एवं लॉकर पर लगाई गई रोक को हटाते हुए खाता एवं लॉकर संचालन की अनुमति दी गई। इस प्रकार स्थायी लोक अदालत, जनोपयोगी सेवाए द्वारा दो माह के अंदर प्रकरण का निराकरण कर पक्षकारगण को त्वरित न्याय दिलाने का कार्य किया गया।

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