B’day Special: विश्व कप और कैंसर को पीछे छोड़ नई भूमिका से बहुत खुश हैं युवराज सिंह

नई दिल्ली.टीम इंडिया में बहुत कम ही ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिनकी शोहरत उनके रिटायर होने के बाद भी कम नहीं हुई हो. युवराज सिंह (Yuvraj Singh)  ऐसा ही एक नाम है. अपने करियर में बहुत उतार चढ़ाव देखने वाले युवी के नाम कई रिकॉर्ड हैं, लेकिन उन्हें टी20 मैच में एक ओवर में छह छक्के, टीम इंडिया को विश्व कप 2011 जिताने में अहम भूमिका निभाने और कैंसर के खिलाफ जंग जीतने के लिए जाना जाता है. युवी गुरुवार को अपना 38वां जन्मदिन मना रहे हैं. 

जुझारू खिलाड़ी के रूप में बनी पहचान
एक ऑलराउंडर के तौर पर अपना क्रिकेट करियर शुरू करने वाले युवराज सिंह ने वनडे और टी-20 के फॉर्मेट में टीम इंडियाके सबसे मजबूत मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज के तौर पर अपनी पहचान बनाई. बाद में वे एक जुझारू खिलाड़ी के रूप में पहचाने गए. युवराज ने कई बार विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में अपनी टीम को मैच जिताए. इनमें वह नेटवेस्ट सीरीज इंग्लैंड में फाइनल मैच हो और 2011 के वर्ल्डकप में सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई पारी उल्लेखनीय हैं.  

 हर जंग में विजेता बने
क्रिकेट मैच हो या फिर कैंसर के खिलाफ जंग. वे बार बार विजेता बनकर ही लौटे.12 दिसंबर को चंडीगढ़ में जन्मे युवराज सिंह को 2011 में विश्वकप के दौरान ही कैंसर का पता चला. युवराज न सिर्फ उस कैंसर से मजबूती से लड़े बल्कि उन्होंने टीम इंडिया में वापसी भी की. युवराज सिंह ने बाद में बताया कि उन्हें वर्ल्ड कप के दौरान ही अपनी कैंसर की बीमारी के बारे में पता चल गया था. 

एक ओवर में छह छक्के का  रिकॉर्ड
2007 के टी20 वर्ल्डकप में युवराज ने इंग्लैंड के खिलाफ एक ओवर में छह छक्के लगाकर पूरी क्रिकेट की दुनिया को रोमांचित कर दिया था. इसी मैच में उन्होंने 12 गेंदों पर अर्धशतक जमाया था. वर्ल्ड क्रिकेट में आज तक उनका ये रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ पाया है.

ऐसे पता चला था कैंसर का युवी को
युवराज ने बताया कि, 2011 के वर्ल्ड कप के दौरान उनकी तबियत काफी ज्यादा बिगड़ गई थी. एक सुबह जब वह सोकर उठे तो बुरी तरह खांसने लगे थे. युवराज ने बताया कि, उनकी खांसी में लाल रंग का म्यूकस निकला. वही 14 सेंटीमीटर का ट्यूमर था. उन्होंने कहा कि, जब मैं डॉक्टर से मिला तो उन्होंने मुझे कहा कि मैंने अभी इलाज नहीं करवाया तो मेरी जान भी जा सकती है. मेरी सेहत लगातार खराब होती जा रही थी, खेल भी खराब होता जा रहा था. इसके बाद करीब 2 महीने तक उनका इलाज चला.

आखिर में ढलान पर रहा करियर
करियर के आखिरी दौर में कुछ समय से युवराज का बल्ला खास नही चला. पिछली बार साल 2015 के वर्ल्डकप से पहले जब उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया था तब उनके पिता योगराज ने तत्कालीन कप्तान एमएसधोनी को इसका जिम्मेदार ठहराया था. लेकिन युवराज ने इस मामले में कभी कुछ नहीं कहा. वे मैदान पर गंभीरता से खेलते नजर आए तो कई बार आईपीएल में अपने पुराने दोस्तों के साथ मस्ती भी करते दिखे. 

अब नई भूमिका से खुश हैं युवी
इस साल युवराज ने इंटरनेशनल क्रिकेट के सभी प्रारूप से संन्यास  लिया और उसके बाद कनाडा प्रीमियर लीग में भी खेलते दिखे. वे अपनी नई भूमिका से काफी खुश हैं. और इस बीच वे कैंसर के खिलाफ लड़ाई में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!