B’Day : Yash Chopra के लिए उनकी पत्नी ने जो कहा, वह सुनकर यकीन नहीं करेंगे आप!


नई दिल्ली. आज दुनिया यश चोपड़ा (Yash Chopra) को एकरोमांटिक निर्देशक के तौर पर याद करती है. वह चाहते भी यही थे. उनकी फिल्मों से यही सच बयां भी होता है. आखिर उन्होंने ‘सिलसिला’, ‘कभी-कभी’, ‘चांदनी’, ‘लम्हे’, ‘दिल तो पागल है’, ‘वीर जारा’ जैसी रोमांटिक फिल्में बनाई थीं. पर क्या वह अपनी असल जिंदगी में भी अपनी फिल्मों की तरह रोमांटिक थे. यहां उनकी पत्नी पामेला चोपड़ा (Pamel Chopra) का विचार बाकी दुनिया से जुदा है.

व्यावहारिक इंसान थे यश चोपड़ा
पामेला चोपड़ा (Pamel Chopra) ने एक बार बताया था कि यश जी अपनी फिल्मों में रोमांटिक थे, पर असल जिंदगी में, वह एक बहुत ही व्यावहारिक व्यक्ति थे. वह अंदर से एक बच्चे की तरह थे. अगर उन्हें भूख लगती थी, तो वह उसी वक्त खाना खाते थे. अगर उन्हें नींद आती थी, तो वह सब कुछ छोड़ कर सो जाते थे. वह घर पर एक अलग व्यक्ति होते थे और काम के समय कोई और व्यक्ति. काम के समय वह काफी सक्षम नजर आते थे और चीजों पर अपना नियंत्रण रखते थे. घर पर वह बेपरवाह रहते थे. उन्होंने मुझे घर को जैसे चाहें, वैसे नियंत्रित करने की छूट दी हुई थी.

कई विषयों पर बनाई थी फिल्म
ऐसा नहीं है कि यश जी ने सिर्फ रोमांटिक जॉनर की ही फिल्में बनाई. एक निर्देशक के तौर पर ‘धूल का फूल’ उनकी पहली फिल्म थी, जो एक ‘नाजायज’ संतान के जीवन के इर्द-गिर्द बुनी गई थी. वहीं ‘धर्मपुत्र’ जैसी फिल्म बंटवारे के समय की पृष्ठभूमि में बनी है, जिसमें सांप्रदायिक सौहार्द की बात की गई है. उनकी ‘वक्त’ बॉलीवुड की पहली मल्टी-स्टारर फिल्म थी. उन्होंने ‘इत्तेफाक’ जैसी थ्रिलर फिल्म भी बनाई है, जिसमें एक भी गाना नहीं है. फिल्म ‘दीवार’ में दो भाइयों के बीच विचारधाराओं के टकराव को दिखाया गया है.

आज ही के दिन लाहौर में हुआ था जन्म 
बॉलीवुड के इस महान फिल्मकार का जन्म 27 सितंबर 1932 को लाहौर में हुआ था. शुरुआत में वह फिल्मों में आने के बारे में नहीं सोचते थे. वह इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाना चाहते थे. पर नियति को कुछ और ही मंजूर था. जब यश चोपड़ा ने फिल्मों की दुनिया में कदम रखा, तब उनके भाई साथ थे. उस समय उनके बड़े भाई बलदेव राज चोपड़ा फिल्म निर्देशक और निर्माता थे. फिल्मों में यश चोपड़ा की शुरुआत एक सहायक निर्देशक के रूप में हुई. बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म 1959 में आई ‘धूल का फूल’ थी. बाद में वह स्वतंत्र रूप से काम करने लगे. उन्होंन 1971 में ‘यश राज फिल्म्स’ के नाम से खुद का एक प्रोडक्शन हाउस खोला.

उनकी पसंदीदा फिल्म ये थी
यश चोपड़ा ने यूं तो कई शानदार फिल्में दी हैं, पर 1991 में आई उनकी फिल्म ‘लम्हे’ को उनका बेहतरीन काम माना जाता है. वह भी इसे अपनी पसंदीदा फिल्मों में से एक बताते थे. यश चोपड़ा ने अपनी फिल्मों के लिए छह बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था. 2005 में, भारत सरकार ने यश चोपड़ा को फिल्मों में योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था.

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