Delta variant के आगे नहीं टिक पा रहे बड़े-बड़े लोग, जानें भयानक रूप से क्‍यों फैल रहा कोरोना का ये खतरनाक स्‍ट्रेन

कोरोना का नया म्यूटेंट डेल्टा वेरिएंट ना केवल तेजी से फैल रहा है, बल्कि यह शरीर के ऑर्गन को भी नुकसान पहुंचा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि आखिर क्यों यह म्यूटेंट खतरनाक है, अगर नहीं तो चलिए जानते हैं।

कोरोना की इस महामारी ने अब तक ना जाने कितने ही लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। यह वायरस अब तक अपने आपको बचाने के लिए कई रूप ले चुका है। लेकिन हाल ही में आया डेल्टा वेरिएंट तो मानों दुनियाभर के लिए मौत का पैगाम लेकर आया है। आपको बता दें कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने जो तबाही मचाई वह इसी म्यूटेंट की वजह से थी।

विशेषज्ञ और वैज्ञानिक इस वायरस के तेजी से फैलने के कारण को जानने की कोशिश में लगे हुए हैं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेल्टा वेरिएंट को अब तक का सबसे ज्यादा खतरनाक वायरस घोषित कर दिया है। यह म्यूटेंट मानव जीवन के लिए बेहद खतरनाक होता जा रहा है। लेकिन इस वायरस को सवाल ज्यों का त्यों पड़ा है कि आखिर क्यों यह म्यूटेंट इतना खतरनाक है और क्यों यह इतनी तेजी से फैल रहा है।

क्या है डेल्टा वेरिएंट

डेल्टा वेरिएंट को वैज्ञानिक भाषा में B.1.617.2 के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि यह वेरिएंट दो म्यूटेंट से मिलकर बना है। जिसकी वजह से यह ना केवल अधिक तेजी से फैल रहा है। बल्कि अधिक खतरनाक भी है। भारत में डेल्टा वेरिएंट के मामले सबसे पहले साल 2020 के दिसंबर में सामने आया था।

कोरोना का यह स्ट्रेन दुनियाभर में सबसे तेजी से फैलने वाला म्यूटेंट बन गया है। यूनाइटेड किंगडम में यह डेल्टा वेरिएंट के इतने मामले आ चुके हैं कि अब इसी वेरिएंट के मरीज सबसे ज्यादा हो गए हैं। इसके अलावा सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार वर्तमान में 80 प्रतिशत से अधिक नाए अमेरिकी मामले इसी वेरिएंट के आ रहे हैं।

​क्यों बना डेल्टा वेरिएंट ‘चिंता का विषय’

डेल्टा वेरिएंट चिंता के विषय के रूप में इसलिए भी देखा जा रहा है। क्योंकि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत तेजी और कुशलता से फैलता है। आपको बता दें कि डेल्टा वेरिएंट दो जेनेटिक कोड के साथ फैलता है, जो दो अलग-अलग म्यूटेंट के हैं, इसमें एक है E484Q और दूसरा है L452R। अपने इस जेनेटिक कोड और दो म्यूटेंट के बने होने की वजह से यह व्यक्ति के इम्यून सिस्टम में आसानी से फैल जाता है और कई ऑर्गन्स को प्रभावित करने लगता है। कुल मिलाकर यह कोविड के सबसे पहले वेरिएंट के मुकाबले कहीं ज्यादा नुकसानदायक है।

वही विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि B.1.617.2 वैक्सीन के द्वारा हासिल की गई एंटीबॉडी को भी चकमा दे सकता है। इसलिए यह अधिक चिंता का विषय भी बना हुआ है। क्योंकि यह वैक्सीन के असर को भी चुनौती दे रहा है।

​क्यों तेजी से फैल सकता है डेल्टा वेरिएंट

भारत के अलावा डेल्टा वेरिएंट ने दुनियाभर में अब भी तबाही मचा रखी है। वहीं वैक्सीन को चकमा देने की इसकी कुशलता ने वैज्ञानिकों को भी सकते में ला दिया है। वैज्ञानिक इस बात की जांच में जुटे हुए हैं कि आखिर क्यों यह इतना खतरनाक है और क्यों यह तेजी से फैल रहा है।

हाल ही में चीन के ग्वांगडोंग प्रोविंशियल सेंटर ऑफ डिजीज एंड प्रिवेंशन के शोधकर्ताओं ने कोविड से संक्रमित 62 लोगों को निगरानी में रखा और पाया कि, कोरोना के पहले संस्करण के मुकाबले डेल्टा वेरिएंट से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में वायरल लोड 1260 गुना से भी ज्यादा है। यही नहीं इस अध्ययन में यह भी बताया गया कि पहले संस्करण में जहां व्यक्ति को कोरोना के लक्षण 7 दिनों के बाद दिखते थे। वहीं डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित व्यक्ति में लक्षण केवल 4 दिन के भीतर ही दिखने लग जाते हैं।

​अधिक वायरल लोड और ट्रांसमिशन

शरीर में वायरल लोड की मात्रा बताती है कि, वायरस के पार्टिकल रक्त में कितने अधिक है। साथ ही यह दर्शाता है कि वायरस के संक्रमण की क्षमता कितनी है और यह कितना खतरनाक है। अध्ययन बताते हैं कि संक्रमित व्यक्ति में वायरल लोड अधिक होने की वजह से यह वायरस तेजी से लोगों के बीच फैल रहा है।

वहीं अध्ययन में यह भी कहा गया है कि डेल्टा वेरिएंट जल्दी ही अपनी संख्या को शरीर में बढ़ा लेता है। जिसकी वजह से संक्रमित व्यक्ति में गंभीर लक्षण और जटिलताएं देखने को मिलती है। वैज्ञानिक बताते हैं कि वायरल लोड अधिक होने की वजह से ही कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।

​क्या डेल्टा वेरिएंट से बचा सकती है वैक्सीन?

डेल्टा वेरिएंट को लेकर जैसा की हमने आपको बताया कि यह एक नहीं बल्कि दो म्यूटेंट से मिलकर बना है। जिसकी वजह से यह आसानी से एंटीबॉडी से बचकर निकल जाता है। वहीं यह वैक्सीन के द्वारा दी जा रही एंटीबॉडी को चकमा दे सकता है। लेकिन ऐसे लोग जिन्होंने अपने वैक्सीन के डोज ले लिए हैं।

उनमें कोरोना से संक्रमित होने के चांस कम हैं। साथ ही अगर वैक्सीनेशन के बाद भी लोग संक्रमित होते हैं तो इससे जटिलताएं कम रह सकती है और यह लोग आसानी से ठीक हो सकते हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने भी इस बात का दावा किया है कि जिन लोगों ने वैक्सीनेशन के दोनो डोज ले लिए हैं। उनके संक्रमित होने के चांस भी बेहद कम हैं। इसलिए वैक्सीन जरूर लगवाएं।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!