गुजरात में भाजपा की सरकारों ने मुस्लिम संप्रदाय के 70 जातियों को ओबीसी आरक्षण का लाभ दिया
- छत्तीसगढ़ में आरक्षण बाधित करने वाले भाजपाई किस नैतिकता से कलकत्ता हाईकोर्ट के मामले में गाल बजा रहे हैं?
- विष्णुदेव साय सरकार राजभवन में लंबित सर्व समाज के 76 प्रतिशत आरक्षण विधेयक पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें
रायपुर. कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री सहित तमाम भाजपा नेताओं के आरक्षण को लेकर दिए जा रहे बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने साक्षात्कार में स्वंय ही स्वीकार किया है कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते मुस्लिम संप्रदाय के लगभग 70 जातियों को ओबीसी आरक्षण का लाभ दिया, अब चुनावी लाभ के लिये भाजपाईयों के सुर बदल गये। विष्णुदेव साय की सरकार को छत्तीसगढ़ की जनता ने चुना है, अन्य प्रदेशों के मामले में उछल-उछलकर बयानबाजी करने के बजाय यह बताएं की छत्तीसगढ़ के सर्वहारा वर्ग का अधिकार कब तक राजभवन में कैद रहेगा? भारतीय जनता पार्टी की बदनियती के चलते ही पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा पारित 76 प्रतिशत नवीन आरक्षण विधेयक विगत डेढ़ साल से राजभवन में लंबित है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के षडयंत्रों के चलते ही छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक अबादी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग सहित सामान्य वर्ग के गरीबों को उनके शिक्षा और रोजगार के अधिकार को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले प्रावधान के 76 प्रतिशत आरक्षण से वंचित रखा गया है। तमाम संवैधानिक संस्थानों सहित राजभवन को भी अपनी पार्टी कार्यालय के रूप में संचालित करने का कुत्सित प्रयास करने वाले भाजपाइयों को छत्तीसगढ़ के नवीन आरक्षण विधेयक पर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी मूलतः आरक्षण विरोधी है। केंद्र में मोदी की सरकार ने विगत 10 वर्षों में आरक्षित वर्ग के युवाओं को बड़ा नुकसान पहुंचा है। सार्वजनिक उपक्रमों और देश के संसाधनों को बेचकर युवाओं के सरकारी नौकरी के रोजगार के अवसर को खत्म करने का काम केंद्र की मोदी सरकार ने किया है। एक तरफ लाखों की संख्या में केंद्रीय विभाग में पद खाली हैं, दूसरी तरफ यूपीएससी को बाईपास करके बिना आरक्षण रोस्टर का पालन किए केंद्रीय सचिवालय में संयुक्त सचिव के पद पर अपने पूंजीपति मित्रों के कर्मचारियों की सीधी भर्ती की गई। भाजपा का मूल चरित्र ही सामाजिक न्याय विरोधी है। आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के नेता यह नहीं चाहते कि स्थानीय आबादी को उनका हक और अधिकार मिले। भाजपा की सरकारें केवल चंद पूंजीपति मित्रों के मुनाफे के लिए काम करती है। भाजपा की सरकारों ने छत्तीसगढ़ में बालको बेचा, नंदराज पर्वत बेचे, एनएमडीसी के नगरनार प्लांट को बेचने के लिए दीपम की सरकारी साइट पर सेल लगाकर रखे हैं, डबल इंजन की सरकार आते ही हसदेव के जंगल साय साय काटे जा रहे हैं, लेकिन आरक्षण विधेयक पर मौन हैं। दूसरे प्रदेशों के मामलों में आतुरता दिखाने वाले छत्तीसगढ़ के मंत्री और भाजपा नेताओं को छत्तीसगढ़ में लंबित आरक्षण विधेयक पर अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि सामाजिक न्याय छत्तीसगढ़िया जनता का अधिकार है और इसे बाधित करने का प्रयास भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के द्वारा किया जा रहा है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, आरएसएस प्रचारक प्रमुख मनमोहन वैद्य, भाजपा सांसद सीपी ठाकुर जैसे अनेकों भाजपा नेताओं ने आरक्षण का खुले तौर पर विरोध किया था। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण में कटौती की थी। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत, अनूसूचित जनजाति के लिए 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 32 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लिए 12 से बढ़ाकर उनके सेंसेक्स के अनुसार 13 प्रतिशत और सामान्य कमजोर आय वर्ग के लोगों के लिए भी चार प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की, उसे दुर्भावना पूर्वक भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के षड्यंत्र के चलते आज तक राजभवन की आड़ में लंबित रखा गया है। अब तो प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है, भाजपाई बताएं कि छत्तीसगढ़ की जनता के हक़ और अधिकार कब तक राजभवन में कैद रहेगा?