भाजपा आदिवासी नृत्य महोत्सव पर सवाल खड़ा करके आदिवासी संस्कृति के संरक्षण का विरोध कर रही : कांग्रेस

रायपुर. भाजपा आदिवासी नृत्य महोत्सव पर सवाल खड़ा कर के आदिवासी संस्कृति के संरक्षण का विरोध कर रही है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने पूछा कि भारतीय जनता पार्टी को आदिवासियों से इतनी चिढ़ क्यों है? छत्तीसगढ़ में आदिवासी वर्ग की 32 प्रतिशत आबादी है राज्य के बड़े भू-भाग में आदिवासी रहते है। राज्य में विविध आदिवासी संस्कृतियां पुरातन समय से है। 15 साल तक छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। भारतीय जनता पार्टी ने कभी आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास नहीं किया। आज जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार आदिवासियों की संस्कृति के साथ-साथ उनके आर्थिक शैक्षणिक उन्नति के लिये प्रयास कर रही है तो भारतीय जनता पार्टी को पीड़ा हो रही है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद आदिवासियों की आर्थिक उन्नति के लिये वनोपजों के संग्रहण की परिधि को बढ़ाया गया। 7 वनोपजों की जगह 52 वनोपज की खरीदी शुरू की गयी। तेंदूपत्ता संग्राहकों को मानदेय 2500 से 4000 रु. किया गया। आदिवासियों की अधिग्रहित की गयी जमीनें वापस किया गया, 4.5 लाख वन अधिकार पट्टों के पुर्नसर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू की गयी। बस्तर, सरगुजा के युवाओं को सरकारी नौकरी में अधिक भागीदारी देने के उद्देश्य से बस्तर सरगुजा में कनिष्ठ चयन बोर्ड का गठन किया गया। आदिवासी वर्ग के सम्मान के लिये विश्व आदिवासी दिवस पर शासकीय अवकाश घोषित किया गया। भारतीय जनता पार्टी चाहती तो वह भी 15 साल के शासनकाल में आदिवासी समाज के कल्याण के लिये योजना बनाती। भाजपा ने योजना तो नहीं बनाया आदिवासियों से 2003 के चुनाव में किया गया वायदा हर आदिवासी परिवार से एक को सरकारी नौकरी देने का और हर आदिवासी परिवार को 10 लीटर दूध वाली जर्सी गाय देने का वायदा भी पूरा नहीं किया था। आज भी भाजपा आदिवासी नृत्य महोत्सव का विरोध इसलिये कर रही है क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में इस वर्ग की अधिकांश विधानसभा सीट भाजपा हार गयी थी।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!