अपोलो अस्पताल के दायरे से बाहर है भाजपा का आयुष्मान कार्ड योजना
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की चिकित्सा व्यवस्था पूर्ण रूप से चरमरा गई है। प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजनाओं को सीधे तौर पर दरकिनार किया जा रहा है। बिलासपुर शहर के योगदान से प्रतिस्थापित हुए अपोलो अस्पताल में आयुष्मान कार्ड योजना का कोई अर्थ नहीं रह गया है। अस्पताल प्रबंधन की मनमानी और आम जनता की शिकायतों को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया गया। हालात ये है कि कांग्रेस का विरोध और सत्ता पक्ष की विधायक चेतावनी का यहां कोई असर नहीं पड़ रहा है। जिले की जनता को केन्द्रीय मंत्री और उपमुख्यमंत्री के पद प्रतिष्ठा का लाभ नहीं मिल सका। निजी अस्पतालों की मनमानी पर भी लगाम नहीं लगाया जा सका। बिलासपुर की धरती में अपोलो जैसे चिकित्सा संस्थान की सुविधा दी गई किंतु यहां के लोगों को कभी भी इसका लाभ नहीं मिल सका।
फर्जी डॉक्टर की नियुक्ति, गलत उपचार की हुई मौत और आम जनता द्वारा किए गए घोर विरोध के बाद भी जिले के जन प्रतिनधियों ने अपोलो अस्पताल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। पैसे नहीं देने पर लाश को बंधक बनाने जैसे कई मामले सामने आये, इसके बाद भी शहर के प्रशासनिक अफसर और जन प्रतिनिधियों ने कभी भी खुला विरोध नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वपूर्ण योजनाओं में शामिल आयुष्मान योजना को रद्दी की टोकने में डालने वाले अपोलो अस्पताल को आखिर क्यों खुली छूट दी गई है समझ से परे है? भाजपा के कद्दावर नेता तत्कालीन महापौर अशोक पिंगले, विधानसभा अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल की मौत ने अपोलो में चल रही लचर व्यवस्था को उजागर किया था।


