Canada में मृत पाईं गईं Pakistan के खिलाफ आवाज उठाने वालीं बलूच लीडर Karima Baloch, हत्या की आशंका!


टोरंटो. पाकिस्तान (Pakistan) के अत्याचारों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने वालीं बलूच लीडर करीमा बलूच (Karima Baloch) कनाडा में मृत पाई गईं हैं. वह रविवार से लापता चल रहीं थीं, अब पुलिस ने उनका शव बरामद कर लिया है. हालांकि, अभी ये साफ नहीं हो सका है कि करीमा की हत्या हुई है या वो किसी हादसे की शिकार बनीं. वैसे, जिस तरह से उन्होंने पाकिस्तानी सरकार और सेना की काली करतूतों की पोल अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने खोली थी, उसे देखते हुए हत्या की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

100 प्रभावशाली महिलाओं में थीं शामिल
कनाडाई शरणार्थी रहीं करीमा बलूच (Karima Baloch) को 2016 में दुनिया की 100 सबसे प्रेरणादायक और प्रभावशाली महिलाओं में शामिल किया गया था. जानकारी के मुताबिक, करीमा रविवार से लापता चल रहीं थीं. उन्हें आखिरी बार रविवार को दोपहर तीन बजे के आसपास देखा गया था. पीड़ित परिवार ने करीमा को खोजने के लिए पुलिस की मदद मांगी थी. करीमा बलूच के परिवार ने उनका शव मिलने की पुष्टि की है.

UN में उठाया था Balochistan का मुद्दा
करीमा बलूच Balochistan की सबसे प्रसिद्ध हस्तियों में से एक थीं. उन्होंने स्विट्जरलैंड में संयुक्त राष्ट्र के सत्र में बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया था. मई 2019 में एक साक्षात्कार में उन्होंने पाकिस्तान (Pakistan) पर हमला बोलते हुए कहा था कि वो बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधन छीनकर वहां के लोगों को प्रताड़ित कर रहा था. वहीं, बलूचिस्तान की खबरों से दुनिया के रू-ब-रू करवाने वाले ‘Balochistan Post’ ने करीमा बलूच की मौत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उनका इस तरह से मृत मिलना कई गंभीर सवाल और चिंता प्रकट करता है.

पत्रकार Sajid Hussain के साथ भी यही हुआ था 
वैसे, ये कोई पहला मामला नहीं है जब पाकिस्तान के खिलाफ आवाज उठाने वाले को इस तरह मृत पाया गया है. मई में बलूच पत्रकार साजिद हुसैन (Sajid Hussain) भी स्वीडन में मृत पाए गए थे. वह 2 मार्च से लापता थे बाद में उनका शव पुलिस ने बरामद किया. कई बार यह बात सामने आ चुकी है कि पाकिस्तान सेना और खुफिया एजेंसियों द्वारा विदेशों में रह रहे असंतुष्टों को प्रताड़ित किया जाता है. उन्हें डराया जाता है कि यदि उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ मुंह खोलना बंद नहीं किया, तो उन्हें जान से हाथ धोना पड़ेगा.

सरकार विरोधी आंदोलन को बड़ा झटका 
संसाधन संपन्न बलूचिस्तान 15 वर्षों से अधिक समय से विद्रोह की चपेट में है. पाकिस्तान सेना द्वारा यहां के लोगों के साथ क्रूरता की जाती है. उन्हें बेवजह जेलों में बंद कर दिया जाता है. पाकिस्तान के इसी अत्याचार के खिलाफ करीमा बलूच पिछले काफी समय से आवाज उठा रही थीं. वो विद्रोहियों की आवाज बन गई थीं, ऐसे में उनकी मौत से सरकार के खिलाफ चल रहे आंदोलन को बड़ा झटका लगा है.

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!