Category: संपादकीय

ताली-थाली-शंख के बाद अब गाल बजाओ!!

(आलेख : संजय पराते) प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देश को 21 दिन के लिए लॉक डाउन करने की घोषणा के बाद अब स्पष्ट है कि कोरोना वायरस का हमला भारत में सामुदायिक संक्रमण (कम्युनिटी ट्रांसमिशन) के तीसरे चरण में प्रवेश कर गया है। इस चरण में यह वायरस मनुष्य द्वारा मनुष्य से ही नहीं फैलता, बल्कि

भगत सिंह और आज की चुनौतियां

आलेख :-संजय पराते भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को फांसी की सजा दी गई थी और अपनी शहादत के बाद वे हमारे देश के उन बेहतरीन स्वाधीनता संग्राम सेनानियों में शामिल हो गये, जिन्होने देश और अवाम को निःस्वार्थ भाव से अपनी सेवाएं दी। उन्होंने अंगेजी साम्राज्यवाद को ललकारा। मात्र 23 साल की उम्र

कोरोना वायरस : सोशल डिस्टेंसिंग पर अमल के लिए क्या प्रधानमंत्री वाकई गंभीर है?

कोरोना वायरस यदि विश्वव्यापी महामारी का जनक है, तो उससे लड़ने के लिए किसी भी देश के पूरे संसाधनों को झोंक देना चाहिए। भारत के लिए भी यही होना चाहिए। विभिन्न देशों ने इससे लड़ने के लिए सैकड़ों अरबों डॉलर : मसलन अमेरिका ने 850 अरब डॉलर, यूनाइटेड किंगडम ने 440 अरब डॉलर (जीडीपी का

कोरोना वायरस : कफ़न खसोट कारपोरेट और उनके कबरबिज्जू चाकर

वायरस को महामारी का दर्जा दिया जा चुका है। पूरी दुनिया इसके प्रकोप या उसकी आशंका से लगभग कांप रही हैं। मगर कुछ हैं, जिन्हे इसमें भी कमाई के अवसर और मुनाफ़ों के पहाड़ नजर आ रहे हैं। हमारे देश में मास्क और हाथधुलाऊ तरल – सेनेटाइजर –   दस से बीस गुनी कीमत पर बेचे

हुए तुम दोस्त जिसके, दुश्मन उसका आसमां क्यों हो

बादल सरोज. 70 और 80 के दशक में एक अमरीकी खुफिया प्लान बड़ी चर्चा का विषय बना था।  संसद में भी उसे लेकर बहुत शोर – जाहिर है  वामपंथियों और कुछ सोशलिस्ट सांसदों द्वारा – किया गया था।  इस खुफिया दस्तावेज का नाम था “प्रोजेक्ट ब्रह्मपुत्र” और इसे अमरीकी विदेश विभाग के साथ मिलकर पेंटागन
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