Category: संपादकीय

लोकतंत्र वेंटीलेटर पर : भाजपा के शिवराज में मध्यप्रदेश बना मृत्युप्रदेश

                                                                                       (आलेख : बादल सरोज) पिछले चार-पांच दिन से सोशल मीडिया पर वायरल

लॉक डाउन : फुल गोडाउन

लॉक डाउन के मायने हर किसी के लिए अलग होते हैं। हमारे लिए लॉक डाउन का मतलब घर पर रहना,बाहर ताक-झांक न करना है। व्यापारियों के लिए लॉक डाउन का मतलब गोडाउन फुल यानी कमाई फुल है।ऐसा भी कह सकते हैं कि उधर हवा फुल, इधर हवा टाइट। कोरोना की कृपा से हमें लॉक डाउन

डॉ. अम्बेडकर की 130 वीं सालगिरह पर विशेष आलेख : बाबा साहब, भारतीय संविधान और मौजूदा खतरे

संविधान सभा के लिए दो बार चुने गए थे बाबा साहब आजादी के लिए हुए समझौते और तिथि तय हो जाने के बीच ही संविधान सभा के लिए चुनाव हुए थे। जुलाई 1946 में करीब 10 लाख पर एक के हिसाब से एक सदस्य के साथ  292 सदस्य चुने गए। इनके अलावा 93 प्रतिनिधि रियासतों

जीवन का रिसेट बटन नहीं होता और न तो टाइम मशीन जैसी कोई मशीन होती है इसलिए जीवन के सुरक्षा को प्रथम प्राथमिकता में रखें. : एच पी जोशी

साथियों जैसा कि आपको ज्ञात है इस बार के Covid-19 कोरोना वायरस पिछले बार के कोरोना वायरस से अधिक घातक है जो पिछले बार के वायरस से अधिक तीव्र गति से प्रसार कर रहा है। इसका मतलब ये कि हमें पिछली बार से अधिक सतर्क रहने की जरूरत है, हम सबने पिछले बार वायरस संक्रमण

खाने-पीने वाले लोग

ब्रह्मा जी ने तलब किया और कहा-तुमको धरती पर जन्म लेना है।तब हमने पूछा-धरती पर कहां जन्म लेना है?उन्होंने कहा- आर्यावर्त,भारत भूमि में।हम समझ गए कि हमें खाने-पीने के लिए भेजा जा रहा है। आश्रमों में रहने वाले आर्य ज्यादातर उपवास करते हैं।उपवास साधना उनकी एक विशिष्ट साधना है।इसमें साधक को अन्न का त्याग तथा

मंकी सिंह की कहानी

बंदर मंकी सिंह की आपबीती कहीं आपकी न हो जाए, इसलिए जल का संरक्षण करें… वन्य जीवों के लिए पर्याप्त जल और वृक्षों की उपलब्धता किस तरह सुनिश्चित किया जाए इसे जानने के लिए मातृका दीदी की सुझाव जरूर पढ़िए… एक बार की बात है दो बहनें मातृका और दुर्गम्या Morning Walk पर जा रही

दूसरे युद्ध से पहले कवच पहन लेना जरूरी

इस समय हम सब कोविड-19 की दूसरी लहर का सामना कर रहे हैं। सालभर पहले जब पहली लहर आई थी तो हमने बहुत सफलतापूर्वक उसका सामना किया था, और अंततः संक्रमण को नियंत्रित भी कर लिया था। तब पूरे विश्व के साथ-साथ भारत के सामने भी अभूतपूर्व परिस्थितियां उठ खड़ी हुई थीं। देश ने पहली

अरे मूर्ख टट्टुओं, हथियारबंद नक्सलियों क्रूरता, हत्या और मृत्यु का रास्ता छोड़कर, नक्सली लीडरों के चमचागिरी को त्यागकर अच्छे जीवन का विकल्प चुनो : एच.पी. जोशी

अरे मूर्ख टट्टुओं, हथियारबंद नक्सलियों क्रूरता, हत्या और मृत्यु का रास्ता छोड़कर, नक्सली लीडरों के चमचागिरी को त्यागकर अच्छे जीवन का विकल्प चुनो… आत्मसमर्पण करके आम नागरिक बनो, अधिकारी, जनप्रतिनिधि, मंत्री और जज बनो : एच.पी. जोशी “लोकतंत्र में हथियार उठाना कायरता की मिशाल है” नक्सलियों के शीर्ष लीडर नाम बदलकर अरबपति का जीवन जीते

मलाई चाटतीं बिल्लियां

राजा साहब की सरकार इन दिनों भारी परेशान चल रही है।जब सरकार साहेब ही परेशान हैं तो मंत्रिगण कैसे शांत रह सकते हैं?परेशानी की वज़ह यह है कि विभिन्न योजनओं के लिए अरबों,खरबों रुपये का आबंटन दिया गया पर विकास कुछ नहीं हुआ।जनता वहीं की वहीं खड़ी जिंदाबाद,मुर्दाबाद कर रही है। विकास किस चिड़िया का

नंदीग्राम : बाप-बेटे, मां और कब्रों से निकलते अस्थिपंजर

नन्दीग्राम और सिंगूर को लेकर खड़े किये गए झूठ के तूमार के चलते  2011 में चुनाव हारने के बाद बुद्धदेब भट्टाचार्य ने कहा था कि *दस साल में सारा सच सामने आ जाएगा* …. और 28 मार्च को नन्दीग्राम की एक चुनावी सभा में ममता बनर्जी ने खुद अपने श्रीमुख से सच उगल  ही दिया।

उधर छाती पर सवार शेर, इधर जंगलराज में छुट्टा घूमता टाइगर

उधर जम्बूद्वीपे भारतखण्डे की जनता “शेर पालने की कीमत” चुकाने के मजे लेते हए कराह रही है। इधर टाइगर अपने जिन्दा होने का शोर मचाते हुए मध्यप्रदेश के जंगल राज में शिकार करता छुट्टा घूम रहा है। शेर पालने वाला जुमला बढ़ती महँगाई, बेलगाम बेरोजगारी और सरकारी सम्पत्तियों की धुँआधार बिक्री, सौ दिन से ज्यादा

जहँ जहँ पाँव पड़े कारपोरेट के, तहँ तहँ खेती बँटाढार

(आलेख : बादल सरोज) सार रूप में कहानी यह है कि आधी रात में अलाने की भैंस बीमार पड़ी। बीमारी समझ ही नहीं आ रही थी। उन्हें किसी ने बताया कि ठीक यही बीमारी गाँव के फलाने की भैंस को भी हुयी थी। वे दौड़े-दौड़े उनके पास गए और वो दवा पूछकर आये, जो उन्होंने

स्वतंत्रता में अनुशासन जरूरी : मणि माधुरी

आधुनिक जीवनशैली के बीच महिला स्वतंत्रता का खुब नारा लगाया जाता है। आज के दौर में यह स्वतंत्रता की बातें जायज भी है। लेकिन स्वतंत्रता मे अनुशासन भी अति आवश्यक है । अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उक्त विचार कु.मणि माधुरी ने व्यक्त किया । लोक सेवा आयोग के परीक्षा की तैयारी कर रही कु. मणि

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेषांक : स्त्री पुरुषों से किसी मामले में कम नहीं – हुलेश्वर जोशी

हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाते हैं इसके माध्यम से हमारा लक्ष्य रहता है महिलाओं को सशक्त और सुदृढ़ बनाना। महिलाओं को उनके पूरे शक्ति और मानव अधिकारों के भरपूर इस्तेमाल करने की आजादी देना, ताकि वे जो हैं हो सकें। जिसका वे हकदार हैं वे भी पुरुषों की

अंतरिक्ष छूती आत्मरति

28 फरवरी को इसरो के प्रक्षेपण केंद्र से जो उपग्रह लांच किया गया है, उसमे नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी भेजने का नमूना पेश करके इस बार तो प्रधानमंत्री की आत्ममुग्धता ने “आकाश ही सीमा है” के मुहावरे को भी पीछे छोड़ दिया। सारी सीमाओं को लांघ कर उसे सीधे अंतरिक्ष में पहुँचा दिया। अब

अब आंदोलन अपराध है, क्योंकि हमारा राज है…!

                                                                       (आलेख : बादल सरोज) बिहार के अब सिर्फ नाम भर के, मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने फतवा जारी किया है कि

किसानों के समर्थन विपक्षी नेताओं को एकजुट होकर देशव्यापी आंदोलन करने की जरूरत है – प्रकाशपुंज पांडेय

समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने विगत कुछ समय से चल रहे किसान आंदोलन के मद्देनजर मीडिया के माध्यम से कहा है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और अगर इस देश में किसानों को ही अपने अधिकारों के लिए आंदोलित होना पड़े तो इससे चिंताजनक कुछ भी नहीं हो सकता है। जिस

गणतंत्रता दिवस विशेषांक : गणतंत्रता को बरकरार रखना हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि राजतंत्र या परतंत्र होना : एचपी जोशी

लोकतंत्र का पावन पर्व, गणतंत्रता दिवस सारे पर्व से अद्वितीय और दूसरा सबसे बड़ा पर्व है। जिसप्रकार स्वतंत्रता के बिना गणतंत्रता की कल्पना व्यर्थ और अधूरा है ठीक उसी प्रकार स्वतंत्रता को बनाये रखने के लिए लोकतंत्र की आत्मा अर्थात संविधान अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम भारतीयों के लिए भारत का संविधान ही एक ऐसा ग्रंथ

गिद्धों का तांडव

आलेख : बादल सरोज फासिस्टी गिद्धों की वार्मिंग-अप जारी है।  इस बार मुद्दा अमेज़न प्राइम की  वेब सीरीज “तांडव” है। इस बार भी भक्त नामधारी हुड़दंगियों ने “हिन्दू देवी-देवताओं का  कथित अपमान किये जाने” का अपना आजमाया हुआ बहाना काम में लाया है और पूरे देश भर में मार तूफ़ान खड़ा करने की कोशिश की है।
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