मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधर्म का पालन करते हुए विपक्ष का किया सम्मान : अटल श्रीवास्तव
बिलासपुर. 25 फरवरी को बिलासपुर में आयोजित लोकार्पण एवं भूमिपूजन समारोह में 353 करोड़ रूपये की विकास की सौगत देने बिलासपुर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कई नई परम्पराओं की शुरूआत की। तिफरा फ्लाई ओव्हर ब्रिज, तारामण्डल एवं मुख्य समारोह लालबहादुर शास्त्री स्कूल के मंच पर मुख्यमंत्री ने अपनी मंत्रीमण्डल के सहयोगियों, पार्टी के विधायकों, निगम मण्डल के सहयोगियों, महापौर एवं पार्टी के अन्य पदाधिकारियों के साथ ही विपक्ष के जिले के विधायकों को ना केवल आमंत्रित किया, बल्कि उनका सम्मान भी बढ़ाया। मंच पर छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, उपनेता प्रतिपक्ष मस्तूरी विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी, बेलतरा विधायक रजनीश सिंह, बिलासपुर सांसद अरूण साव उपस्थित रहे। समारोह में जब संबोधन का अवसर आया तो मुख्यमंत्री ने समय को देखते हुए अपने सहयोगियों के स्थान पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और सांसद अरूण साव को संबोधन में अवसर प्रदान कर लोकतंत्र में स्वस्थ परम्परा की शुरूवात की। छ.ग.पर्यटन मंडल अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जिस राजधर्म का बातें राजनीति में करते थे, जिसे उनके ही पार्टी के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नहीं निभाते है, उसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिलासपुर के मंच पर राजधर्म का पालन करते हुए विपक्ष को पूरा सम्मान दिया। अटल श्रीवास्तव ने आगे कहा कि डॉ.रमन सिंह की 15 साल की सरकार ने कभी भी मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों ने किसी लोकार्पण और उद्घाटन समारोह में कांग्रेस के विधायकों के क्षेत्र में भी उन्हें मंच में आने का अवसर नहीं दिया, यहां तक कि शीलापट्टीकाओं में भी उनका नाम नहीं लिखा जाता था, भूपेश बघेल सरकार बनते ही मुख्यमंत्री ने सभी जिलों में यह आदेश लागू कर दिया था कि जिस विधानसभा में या जिस वार्ड में या जिस ग्राम पंचायत में लोकार्पण और उद्घाटन समारोह होगा, वहां के विधायक, वहां के पार्षद, वहां के सरपंच का नाम उद्घाटन समारोह में आमंत्रित कर शीलापट्टीकाओं में दर्ज किया जाये। यही परम्परा 25 फरवरी को लालबहादुर शास्त्री स्कूल के कार्यक्रम के मंच पर निभाई। राजनीति के लिए एक नई राह खिचने का काम मुख्यमंत्री लगातार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने 25 फरवरी को नेता प्रतिपक्ष की पूरी बातें बड़ी शालीनता से सुनी और उतनी ही शालीनता से उनका जवाब दिया। शायद स्व.अटल बिहारी बाजपेयी के राजधर्म का मर्म प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और डॉ.रमन सिंह नहीं समझते, प्रदेश भाजपा के नेताओं को भूपेश बघेल से राजधर्म सिखना चाहिए।