November 21, 2024

बीजापुर मुठभेड़ के शहीद को कांग्रेस की श्रद्धांजली

रायपुर. बीजापुर नक्सली मुठभेड़ के शहीदों को कांग्रेस ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित किया है। हमले में हुई शहादत पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के बयान पर कड़ी आपत्ति दर्ज़ करते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि भाजपा लाशों पर राजनीति मत करे। हमारे वीर शहीद की शहादत व्यर्थ नही जाएगी। राजनैतिक बयानबाजी की एक मर्यादा और सीमा होती है भाजपाई आरोप लगाने की अंधी दौड़ में सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ रहे हैं। भाजपा नेता केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए शहादत का अपमान कर रहे है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष भूल रहे हमारे जवानों के हौसले के कारण विगत 3 साल में संपूर्ण छत्तीसगढ़ सहित बस्तर में हो रहे विकास कार्यों से नक्सल गतिविधियों में कमी आई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार नक्सल घटनाओं में 37 प्रतिशत और शहादत में 52 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। बस्तर के विकास में आम जनता की सहभागिता से नक्सलियों का मनोबल टूटा है। नक्सली इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, बिजली-पानी, सड़क, पुल-पुलिया के निर्माण में तेजी से नक्सल प्रभाव सिकुड़ रहा है। जगरगुंडा-बासागुड़ा राजमार्ग पिछले 20 सालों से बंद था जो अब शुरु किया गया है। नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के कैमरे स्थापित किए गए हैं। जनसुविधा और कल्याणकारी योजनाओं से आमजनता का भूपेश सरकार के प्रति विश्वास बढ़ रहा है, जिससे नक्सलियों के पैर उखड़ने लगे हैं।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि 2003 में सुदूर बस्तर के 3 ब्लॉकों तक सीमित नक्सलवाद भारतीय जनता पार्टी के 15 साल के कुशासन में 14 जिलों तक प्रसारित हुआ। पोडियम लिंगा, जगत पुजारा और धर्मेंद्र चोपड़ा जैसे भारतीय जनता पार्टी के एजेंटों का नक्सल कनेक्शन सर्वविदित है। रमन राज में नक्सलियों पर कार्यवाही के नाम पर भोले-भाले आदिवासियों को नक्सली बताकर जेल में बंद कर दिया जाता था, जस्टिस पटनायक कमेटी की रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है। 15 साल मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह बस्तर विकास प्राधिकार के अध्यक्ष पद पर स्वयं आसीन रहे, और इसी दौरान छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद नासूर बना। भूपेश सरकार पर आरोप लगाने से पहले धरमलाल कौशिक याद करे कि रमन राज में पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल से कहा गया था कि “वेतन लो और मौज करो“ कोई सलाह और सुझाव की जरूरत नहीं। हमने तो झीरम हमले में अपने नेताओं की एक पीढ़ी को खोया है, शहादत का दंश झेला है। छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद का खात्मा हमारा संकल्प है। भूपेश बघेल सरकार ने स्थानीय आदिवासी नेताओं को बस्तर विकास प्राधिकरण की कमान सौंपी है, ताकि अपने विकास के लिए वे स्वयं योजना बनाकर क्रियान्वित कर सके। जिला पुलिस बल के बटालियन में स्थानीय युवाओं को नियुक्ति मिली है। “दुर्गा“ और “दंतेश्वरी“ फाइटर्स का गठन किया गया है। “लोन-वर्राटू“ जैसी योजनाओं से आत्मसमर्पण बढ़ा है, बहकाए गए स्थानीय युवा विकास की मूलधारा में वापस लौटे हैं। बस्तर के मूल निवासियों की सहभागिता से नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। प्रशासनिक सक्रियता से नक्सली सीमावर्ती इलाकों तक धकेल दिए गए हैं। नक्सल प्रभाव का दायरा लगातार संकुचित हो रहा है और इसी बौखलाहट में नक्सली ऐसे कायराना हरकत पर उतर आए हैं। सुरक्षाबलों का मनोबल ऊंचा है, वीर जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। छत्तीसगढ़ से जल्द ही नक्सलवाद का खात्मा निश्चित है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post सफाई कर्मचारियों ने किया काम बंद, अपनी मांगों लेकर किया विरोध प्रदर्शन
Next post अवकाश के दिन भी कार्यालय पहुंचे तहसील के अधिकारी कर्मचारी, दलालों का लगा रहा मजमा
error: Content is protected !!