कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभयनारायण राय जब अस्पताल में धमके, तब जागा अस्पताल प्रशासन और फिर सामने आई सच्चाई

बिलासपुर. बिलासपुर शहर के नजदीक महमंद गांव की महेशिया बाई निषाद को, उसकी तबीयत खराब होने पर परिवार के लोगों ने बिलासपुर के जिला कोविड-19 अस्पताल में भर्ती कर दिया। यह बात है 24 अप्रैल 2021 की। इसके बाद से उस महिला का पति कमलेश निषाद रोज सुबह-शाम घंटों अस्पताल में मौजूद रहता था। उसे अस्पताल में भर्ती उसकी पत्नी महेशिया बाई से मिलने या उसे नजर भर देखने की अनुमति तो कभी मिली नहीं। लिहाजा, महेशिया बाई का पति कमलेश निषाद, डॉक्टरों से और अस्पताल के चिकित्सा कर्मियों से पूछता फिर रहा था कि, उसकी पत्नी की हालत कैसी है। और डॉक्टर बिना इस मामले पर गौर किए, उसे सीधा बता देते थे कि उसकी पत्नी का इलाज चल रहा है। यह पूरा खेल 24 अप्रैल को महेशिया बाई निषाद के जिला अस्पताल में भर्ती होने से लेकर आज 28 अप्रैल की सुबह तक चलता रहा। महेशियाबाई के पति को डॉक्टरों के रवैये पर शक तो रोज होता था। लेकिन वह बेचारा डॉक्टर भगवान होते हैं यह सोच कर उनकी बात मान कर रोज अस्पताल के बाहर बैठ अपनी पत्नी के स्वस्थ होने का इंतजार करता रहा। लेकिन एक-एक दिन बीतने के साथ ही अपनी पत्नी महेशिया बाई निषाद के अस्पताल में चल रहे इलाज और डॉक्टरों के रवैए को लेकर कमलेश निषाद को काफी शक होने लगा। तब महमद गांव का इस व्यक्ति ने, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता और सर्वज्ञांत समाजसेवी, श्री अभय नारायण राय से संपर्क किया। श्री अभय नारायण राय भी महमंद गांव के ही हैं। और वह कमलेश निषाद को तथा कमलेश निषाद उनको अच्छे से पहचानते हैं। उसकी बात सुनकर श्री अभय नारायण राय यह सोचकर अस्पताल पहुंचे कि आखिर माजरा क्या है। अस्पताल में उनसे भी शुरूवात में टरकाऊ लहजे में बात होने लगी। इससे श्री अभय नारायण राय का माथा चकराया और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर हमलावर होते हुए साफ कहा कि आखिर महेशिया बाई है कहां उन्होंने अस्पताल के अधिकारियों को भी झिंझोड़ना शुरु किया। श्री राय के सक्रिय होते ही जिला अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। और जब महेशिया बाई की खूब खोज-खबर की गई। तब महेशिया बाई तो नहीं मिली। लेकिन उसकी लाश, मर्च्युरी में होने का खुलासा हुआ। इससे अभय नारायण राय और उनके साथ मौजूद मृत महेशिया निषाद का पति कमलेश निषाद और रिश्तेदार भडक गये। बहुत हो हल्ले के बाद डॉक्टरों ने अभय नारायण राय को बताया कि उक्त महिला को 24 अप्रैल को भर्ती किया गया था। और एक दिन 25 अप्रैल को ही उसकी मौत हो गई थी। यह सुनते ही महमंद गांव से पहुंचे लोगों ने अस्पताल में हो हंगामा शुरू कर दिया। डॉक्टरों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि जब महेशिया बाई निषाद की मौत भर्ती होने के 1 दिन बाद ही 25 अप्रैल को हो चुकी थी। तब, अपनी पत्नी का हाल-चाल जानने के लिए रोज डॉक्टरों से, अस्पताल कर्मियों से मिलने, पूछने वाले कमलेश निषाद को इस बात की जानकारी क्यों नहीं दी गई। और बिना उसे बताए किसके कहने पर और किसने महेशिया बाई निषाद की लाश को एक लावारिस की तरह मर्च्यूरी में रख दिया और भूल गया।
बहरहाल, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय के अस्पताल पहुंचने से पूरे मामले की जानकारी प्रकाश में आई। अगर वे नहीं आते और अस्पताल प्रबंधन दबाव में नहीं आता। तो शायद महेशिया बाई के पति कमलेश को उसकी पत्नी की, न तो मौत की खबर मिलती और न ही उसकी लाश के बारे में कोई जानकारी मिल पाती।आज के इस महामारी के दौर में परेशान मरीज और न उनके परिजन, डॉक्टरों को भगवान के रूप में मान रहे हैं। लेकिन अगर उन डाक्टरों की छत्रछाया में ही इस तरह का जानलेवा और भयंकर घोटाला हो। घोर लापरवाही हो तब, इसके लिए दोषी व्यक्ति के क्या सलूख किया जाना चाहिए इसका जवाब डॉक्टरों से ही पूछा जाना चाहिए।