देश की आजादी के अंतिम व प्रमुख आंदोलन “भारत छोड़ो आंदोलन” के प्रणेताओं व शहीदों को कांग्रेसियों ने क्रांति दिवस पर किया स्मरण
बिलासपुर. देश की आजादी की लड़ाई में अहम नींव के पत्थर भारत छोड़ो आंदोलन को 79 वें क्रांति दिवस के रूप में कांग्रेसियों ने मनाया। कार्यक्रम आयोजित कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ अन्य महान शहीदों व पुरौधाओं को श्रद्धांजलि देते हुए कांग्रेसियों ने उन्हें महान राष्ट्रवादी, त्याग, बलिदान और समर्पण की मिसाल बताते हुए कहा कि हमें गर्व है कि हम कांग्रेसी हैं।
भारत छोड़ो आंदोलन के आगाज दिवस 09 अगस्त 1942 प्रतिवर्षअगस्त क्रांति या क्रांति दिवस के रूप में मनाने वाले कांग्रेसियों ने इस वर्ष भी सुबह 10 बजे से कांग्रेस भवन में कार्यक्रम आयोजित किया। बड़ी संख्या में पहुंचे कांग्रेसियों ने सर्वप्रथम बापू के छाया चित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित किए। ततपश्चात कार्यक्रम के संयोजक सैय्यद जफर अली ने भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि और देश में आजादी के जुनून का विस्तार से वर्णन किया। आजादी के लिए 1857 की पहली क्रांति से लेकर सभी आंदोलनों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 07 लाख से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत, लाखों लोगों की कुर्बानियों, जेल यात्राओं, और घर परिवार लूटा देने के बाद आजादी हमने पाई है, लेकिन भारत छोड़ो आंदोलन की व्यापकता ने जन जन में आजादी का जो बिगुल फूंका और बापू महात्मा गांधी के कुशल नेतृत्व ने अंग्रेजी हुकूमत के पांव उखाड़ दिए।
कार्यक्रम के सभापति माधव चिन्तामन ओत्तलवार, पूर्व महापौर राजेश पांडे, वरिष्ठ कांग्रेसी हरीश तिवारी, सेवानिवृत्त आई. ए. एस. रात्रे, डॉ. बद्री जायसवाल ने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजी हुकूमत के वायदा खिलाफी और रोलेट एक्ट जैसे दमनकारी कानूनों के लागू करने के बाद द्वितीय विश्व युद्ध के समय कांग्रेस नेताओं ने अंग्रेजी हुकूमत की विस्तार वादी और कुटिल नीति को समझते हुए आजादी की।मांग को और अधिक पुरजोर तरीके से उठाया। 10 वर्षों तक देश मे कोई नया आंदोलन न कर पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक भारत का सघन भ्रमण कर चुके महात्मा गांधी ने देश के जन समुदाय का अपार जन समर्थन हासिल कर लिया था। इस दौरान बापू 2 बार बिलासपुर भी आए थे। जिला कांग्रेस प्रवक्ता अनिल सिंह चौहान, एल्डरमैन शैलेंद्र जायसवाल, ब्लॉक अध्यक्ष विनोद साहू, कांग्रेस नेता बृजेश साहू ने कहा भारत छोड़ो आंदोलन का देश के हर राज्य और कस्बे में जोरदार असर था, छत्तीसगढ़ में रविशंकर शुक्ला, बैरिस्टर ठाकुर छेदी लाल, पंडित शिव दुलारे मिश्र, देवरस दंपत्ति जैसे महान नेताओं की अगुआई में इस आंदोलन में हजारों लोगों ने भाग लिया। बिलासपुर की तहसील कलेक्ट्रेट से लेकर कई शासकीय भवनों में कांग्रेसियों ने तिरंगा फहरा कर गिरफ्तारियां दी। एक से दो वर्ष तक अंग्रेजी हुकूमत ने आंदोलन का पुरजोर दमन का प्रयास किया। देश में लाखों लोंग इस आंदोलन में मारे गए, लाखों विकलांग और बेघर हो गए। कांग्रेसजनों और देश की आजादी के दीवानों ने हिम्मत नही हारी और इस आंदोलन ने देश को आजादी की दहलीज तक पहुंचाया।
कांग्रेस के अन्य वक्ताओं ने क्रिप्स मिशन, द्वितीय विश्व युद्ध, ब्रिटेन में लेबर पार्टी का सत्तासीन होना, बापू के नेतृत्व में देश का एक जुट होना, विश्व समुदाय में भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर बना दबाव जैसे विषयों पर विस्तार से बात रखी। कांग्रेसजनों ने कार्यक्रम के अंत में भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध करने वाले आर एस एस जैसी संस्थाओं की खिंचाई करते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई में माफीनामा लिखने वाले आज धार्मिक उन्माद फैलाकर सत्ता की दूषित राजनीति कर रहे हैं, इनकी पड़ोसी हुई कट्टरता ने बापू की हत्या करवा दी। आजादी का जश्न बापू नहीं मना पाए क्योंकि आजादी के बाद साम्प्रदायिकता की आग में देश को झोंकने वाले लोगों के विरोध में बापू को उपवास करना पड़ रहा था। दुखद यह है कि आज भी देश इस साम्प्रदायिक आग से नहीं उबर पाया है। आजादी की लड़ाई में सभी धर्मों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया लेकिन आजादी के बाद विकास के मुद्दे को छोड़कर हिन्दू मुस्लिम के नाम पर देश को लड़ाने वाले आज भी अपनी दूषित राजनीति कर रहे है। सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी के नाम पर करने वाले सरदार पटेल और नेहरू के महान व्यक्तित्व में प्रतिस्पर्धा कराने का प्रयास करते हैं, दूसरी तरफ चीन से सरदार पटेल की मूर्ति बनवाते हैं।
उक्ताशय की जानकारी देते हुए जिला कांग्रेस प्रवक्ता अनिल सिंह चौहान ने बताया कि कांग्रेसजनों ने दो मिनट का मौन धारण कर शहीदों को श्रद्धाजंलि अर्पित की व राष्ट्रगान से कार्यक्रम का औपचारिक समापन किया। कांग्रेसजनों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि आज देश को एक बड़े जन जागरण आंदोलन की जरूरत है जिसमें हिन्दू मुस्लिम के नाम पर लड़ाने की बजाय विकास, रोजगार, गरीबी, भेदभाव, चिकित्सा, उन्नत कृषि और सार्वजनिक हित के मुद्दों को ही स्थान मिले। कट्टरता और नफरत की राजनीति करने वालों के लिए फिर भारत छोड़ो आंदोलन की आवश्यकता है।