भारत में Covid-19 के गंभीर हालात हम सबके लिए खतरे की घंटी : UNICEF


न्‍यूयॉर्क. यूनिसेफ की प्रमुख हेनरीटा फोर ने कहा है कि भारत में कोविड -19 की ‘दुखद’ और ‘भयावह’ स्थिति पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है. इसे लेकर उन्‍होंने अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से भारत की मदद करने के लिए कहा है. वहीं कोविड-19 से निपटने में मदद करने के लिए हाल ही में यूनाइटेड नेशंस चिल्‍ड्रंस फंड (Unicef) ने भारत को सर्जिकल मास्क समेत जीवन सुरक्षा से जुड़े कई चिकित्‍सा उपकरण भी भेजे हैं.

पूरी दुनिया पर होगा असर
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर (Henrietta Fore) ने मंगलवार को कहा, ‘भारत में कोविड-19 के कारण पैदा हुई यह दुखद स्थिति हम सभी के लिए खतरे की घंटी है. जब तक दुनिया भारत की मदद नहीं करेगी तब तक न केवल इस क्षेत्र में बल्कि पूरी दुनिया में वायरस के कारण होने वाली मौतों, वायरस के म्‍यूटेशन, सप्‍लाई में हो रही देरी की खबरें सामने आती रहेंगी.’ बता दें कि देश में अभी कोरोना की दूसरी लहर जारी है और इसके चलते बीते कुछ दिनों से संक्रमण के रोजाना 3 लाख से ज्‍यादा मामले और 3 हजार से ज्‍यादा मौतें दर्ज हो रही हैं.

पिछले हफ्ते देश में दर्ज हुए दुनिया के 46 फीसदी मामले

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार भारत में अब तक 2 करोड़ से ज्‍यादा मामले और 2.26 लाख से ज्‍यादा मौतें दर्ज हो चुकी हैं. पिछले हफ्ते तो पूरी दुनिया में जितने मामले दर्ज हुए, उनमें से 46 फीसदी भारत के हैं. इसी तरह कुल मौतों की 25 फीसदी मौतें भारत में हुईं थीं.

दक्षिण एशिया के लिए यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्ज लारिया-अदजेई (George Laryea-Adjei) ने एक बयान में कहा कि इस भारी तबाही को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई और दृढ़ नेतृत्व की जरूरत है. उन्‍होंने कहा, ‘इस तबाही को रोकने के लिए सरकारों को वो सब करना चाहिए, जो उनकी सामर्थ्‍य में है. साथ ही जो साझेदार देश उन्‍हें मदद भेज सकते हैं, उन्‍हें तत्‍काल मदद भेजनी चाहिए. इस भयावह स्थिति को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बिना किसी देरी के कदम उठाना चाहिए. ऐसा करना केवल नैतिक अनिवार्यता नहीं है. बल्कि यह स्थिति पूरे दक्षिण एशिया के लिए घातक है.’

बता दें कि दक्षिण एशिया में टीकाकरण के आंकड़े बहुत कम है, जो कि इस पूरे रीजन में वायरस के फैलने की आशंका को बढ़ाता है. मालदीव और भूटान को छोड़ दें तो अब तक इस क्षेत्र के लगभग सभी देशों में 10 में से 1 से भी कम लोगों को  टीका लगाया गया है.

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