कोरोना वायरस के इलाज को लेकर पिछले साल से अब तक सोशल मीडिया पर न जाने कितने ही देसी नुस्खे वायरल हो चुके हैं। संकट की घड़ी में जब अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी है तो कई लोग देसी नुस्खों के जरिए ही घर बैठे अपना ऑक्सीजन लेवल बढ़ा रहे हैं। कुछ घरेलू उपाय इम्यूनिटी बढ़ाने को लेकर भी खूब वायरल हो रहे हैं। इसी बीच कोविड वैक्सीन को लेकर भी तमाम तरह के मिथक शेयर किए जा रहे हैं।
जब देश में कोविड की दूसरी लहर के प्रकोप को खत्म करने के लिए थर्ड फेज का वैक्सीनेशन जारी है तब आए दिन ही टीके के डोज पर न जाने कितने ही मिथक वायरल हो रहे हैं। कुछ लोग वैक्सीन इसलिए नहीं ले रहे हैं कि उन्हें लगता है कि टीके का डोज कहीं उनके DNA को न परिवर्तित कर दे। लेकिन क्या वाकई ये धारणा सही है। आइए जानते हैं इस मिथक के पीछे की सच्चाई।

वैसे तो अधिकतर लोग अब COVID0 19 वैक्सीन पर भरोसा कर सेंटर्स पर जाकर डोज ले रहे हैं और यही वजह है कि अब देश में वैक्सीन कम पड़ रही हैं। वहीं दूसरी ओर एक ऐसा तबका भी है जो वैक्सीन लेने से अब भी हिचकिचा रहा है। उनका मानना है कि कोविड का आरएनए टीका उनके डीएनए को बदल देगा जिससे उन्हें लंबे समय तक हेल्थ प्रॉब्लम्स को झेलना पड़ सकता है।
इंटरनेट पर वायरल हो रही पोस्ट

आपको बता दें कि पिछले साल भी ये अफवाह तेजी से फैली थी कि कोविड की वैक्सीन इंसानों के डीएनए को बदल सकती है। ये पोस्ट उस वक्त वायरल हुई जब वैक्सीन आई भी नहीं थी सिर्फ चर्चा में थी।
जब वैक्सीनेशन प्रक्रिया तेज है तो एक बार फिर ये मिथक सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा है। इंटरनेट पर वायरल हो रही पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि COVID-19 वैक्सीन से शरीर में mRNA अणु आएंगे, जो लोगों के DNA को बदल देंगे।
PIB ने बताया फेक

इस पोस्ट को लेकर सरकार की ओर से PIB फेक्ट टीम पहले ही जांच-पड़ताल कर चुकी है। PIB की फैक्ट चेक विंग ने अपने ट्विटर हैंडल @PIBFactCheck से पिछले साल ही एक ट्वीट कर कंफर्म कर दिया था कि, सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में दावा किया गया है कि COVID-19 वैक्सीन से शरीर में mRNA अणु आएंगे, जो लोगों के DNA को बदल देगा, जो कि दावा फेक है। कोरोना वायरस वैक्सीन मानव डीएनए को नहीं बदलेगा।
शरीर के DNA वाली जगह तक पहुंचता ही नहीं mRNA का डोज

वहीं इस मिथक को लेकर जब हमने हेल्थ एक्सपर्ट्स से बात की तो पता चला है कि किसी भी वैक्सीन का डोज व्यक्ति के डीएनए नहीं बदल सकता। विशेषज्ञों की मानें तो इन mRNA टीकों में आणविक निर्देश (molecular instructions) होते हैं – mRNA – जो आपकी कोशिकाओं को कोरोनावायरस की सतह पर स्पाइक प्रोटीन की तरह के एक हानिरहित प्रोटीन बनाने के लिए कहते हैं।
इस प्रक्रिया के जरिए आपका इम्यून सिस्टम असली वायरस को पहचान लेता और फिर उसे खत्म करने के लिए फाइट करता है। लेकिन mRNA उन कोशिकाओं के सेंटर में प्रवेश नहीं करता है जहां आपका डीएनए (DNA) रहता है। mRNA शरीर में मौजूद कोशिकाओं को वायरस की पहचान का निर्देश देने के बाद बाहर आ जाता है या कहें कि नष्ट हो जाता है।
छुआछूत की बीमारी है कोविड-19

कोरोना वायरस को लेकर नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (Global Health at Northwestern University) के कार्यकारी निदेशक रॉब मर्फी कहते हैं कि कोविड -19 एक छूत की बीमारी (contagious disease) है जो वास्तविक जोखिम के साथ आती है, जिसमें मृत्यु भी शामिल है। उनका कहना है कि हम वास्तव में हर्ड इम्युनिटी (herd immunity) तक नहीं पहुंचने वाले हैं।
mRNA टीकों द्वारा DNA बदलने पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (Yale School of Public Health) में स्वास्थ्य नीति के सहायक प्रोफेसर जेसन एल श्वार्ट्ज ने द वाशिंगटन पोस्ट को बताया, ‘कोविड वैक्सीन में आरएनए और सेलुलर नाभिक में डीएनए के बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं है। इसलिए इसकी कोई संभावना नहीं है और यही सच है।’
मुश्किल है कोरोना से छुटकारा

कोविड एक स्थाई या कहें एक जातीय बीमारी (endemic disease) बन रही है जिससे छुटकारा मिलना मुश्किल है। क्योंकि इसके म्यूटेशन के बाद नए-नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं। वर्तमान में दुनिया भर के देशों में या तो कोई का डोज लेने जा रहा या फिर कोविड के संक्रमण की चपेट में आ रहा है।