कोटा में BMO को हटाने की मांग तेज,भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों से गरमाया माहौल
बिलासपुर/कोटा :- कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत खंड चिकित्सा अधिकारी (BMO) पर गंभीर आरोप लगने के बाद उन्हें हटाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। स्थानीय कर्मचारियों के संघ और क्षेत्रवासियों ने आरोप लगाया है कि BMO न केवल खुद अनियमितताओं में लिप्त हैं, बल्कि अवैध कार्यों में संलिप्त कर्मचारियों को भी खुला संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए मामले ने जिला प्रशासन का भी ध्यान आकर्षित किया है।
अवैध कार्यों का सरंक्षण और नियमों का उल्लंघन
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा में नियुक्त एक ग्रामीण चिकित्सा सहायक (RMA) वर्ष 2021 से निजी एंबुलेंस सेवा संचालित कर रहा है। वह स्वास्थ्य केंद्र में बैठकर सरकारी ड्यूटी के दौरान निजी व्यवसाय चला रहा है और मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजकर अतिरिक्त अवैध आय अर्जित कर रहा है। यह सब खंड चिकित्सा अधिकारी के संरक्षण में निर्बाध रूप से जारी है। इतना ही नहीं, उक्त RMA को बिना कार्य किए नियमित वेतन के साथ-साथ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (HWC) के तहत प्रोत्साहन राशि का भी भुगतान किया जा रहा है।
लिपिक भी अवैध चिकित्सा सेवा में संलिप्त
इसी केंद्र में कार्यरत सहायक ग्रेड-तीन के एक लिपिक पर भी गंभीर आरोप लगे हैं कि वह बिना किसी चिकित्सकीय योग्यता के निजी क्लिनिक संचालित कर रहा था। सरकारी दवाओं का दुरुपयोग कर निजी मुनाफा कमाने का भी आरोप है। SDM कोटा द्वारा इस क्लिनिक पर छापेमारी कर उसे शील कर दिया गया था, बावजूद इसके न तो खंड चिकित्सा अधिकारी और न ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) द्वारा किसी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।
जांच प्रक्रिया पर उठे सवाल
इन आरोपों को लेकर संघ द्वारा जिला कलेक्टर से शिकायत दर्ज कराई गई थी। कलेक्टर ने CMHO को मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। नियमों के अनुसार, द्वितीय श्रेणी के अधिकारी (जैसे कि BMO) के खिलाफ उच्च पदस्थ कम से कम तीन सदस्यों वाली जांच समिति का गठन आवश्यक है। इसके बावजूद CMHO ने जांच समिति का गठन करते समय नियमों की अवहेलना करते हुए एक चिकित्सक, एक लिपिक और एक संविदा कर्मचारी को शामिल किया।
इस समिति ने बिना शिकायतकर्ता का बयान लिए और बिना पारदर्शिता बरते जल्दबाजी में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी। शिकायतकर्ता को न तो जांच में शामिल किया गया और न ही उसे रिपोर्ट की प्रति प्रदान की गई, जिससे संपूर्ण प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
संघ ने की निष्पक्ष जांच की मांग
संघ ने इस अवैध जांच समिति को निरस्त कर कलेक्टर कार्यालय के माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों की नई समिति गठित कर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। संघ का कहना है कि जब स्वयं खंड चिकित्सा अधिकारी आरोपों के घेरे में हैं, तो उन्हीं से दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करवाना हास्यास्पद और न्यायसंगत प्रक्रिया का उल्लंघन है।
संघ ने आरोप लगाया कि सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965, मानव संसाधन नियम 2018 तथा शासन के विभिन्न आदेशों का खुला उल्लंघन किया गया है। संघ ने यह भी कहा कि अगर समय रहते दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन छेड़ने को मजबूर होंगे।
CMHO की भूमिका पर भी सवाल
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका भी इस पूरे मामले में संदिग्ध बताई जा रही है। आरोप है कि CMHO ने जानबूझकर नियमों को ताक पर रखकर अवैध जांच समिति का गठन किया और दोषियों को बचाने का प्रयास किया। संघ ने CMHO के विरुद्ध भी जिला कलेक्टर को अलग से शिकायत प्रस्तुत कर दी है और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जारी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का यह मामला अब प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। संघ द्वारा BMO को तत्काल पद से हटाने तथा अवैध कार्यों में संलिप्त कर्मचारियों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर जिला प्रशासन पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस पूरे प्रकरण में कितनी त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करता है।