अमेरिकी रिपोर्ट में हुआ खुलासा, अरुणाचल प्रदेश के पास विवादित क्षेत्र में चीन ने बसाया गांव

नई दिल्ली. अमेरिकी रक्षा विभाग ने चीन से जुड़े सैन्य और सुरक्षा विकास पर कांग्रेस (अमेरिकी संसद) को पेश की गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह दावा किया कि चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (Tibet Autonomous Region) और भारत के अरुणाचल प्रदेश के बीच विवादित क्षेत्र के अंदर एक बड़ा 100 घरों का नागरिक (असैन्य) गांव बसाया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) राष्ट्र-नियंत्रित मीडिया ने इसी दौरान बीजिंग के दावों को जोर शोर से उठाया और भारत के दावों को अस्वीकार करना जारी रखा.

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे!

यह भी कहा गया है कि चीनी मीडिया ने एलएसी (LAC) के पास भारत के बुनियादी ढांचे के विकास को प्रभावित करने की कोशिश की. इस काम के लिए चीनी मीडिया तनाव बढ़ाने का आरोप भारत पर लगाता रहा और उस समय चीन ने अपने दावे वाली जमीन से सेना को पीछे हटाने से भी साफ इनकार कर दिया था. उसने शर्त रखी कि वह तब तक सेना को पीछे नहीं हटाएगा, जब तक उसके दावे वाली जमीन से भारतीय सेना पीछे नहीं हट जाती और उस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में सुधार के काम को रोका नहीं जाता. अमेरिकी रक्षा विभाग ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन ने भारत को अमेरिका के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने से रोकने की कोशिश की है.

अपने झूठे दावों को मजबूत करने के लिए कार्रवाई करता रहा चीन

रिपोर्ट में कहा है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) के अधिकारियों ने ऑफिशियल बयानों और राष्ट्रीय मीडिया के माध्यम से भारत को वॉशिंगटन के साथ अपने संबंधों को गहरा करने से रोकने के लिए असफल प्रयास किया है. इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीआरसी के अधिकारियों ने भारत पर अमेरिकी नीति का एकमात्र उपकरण होने का आरोप लगाते हुए, गतिरोध के दौरान और बाद में वॉशिंगटन के साथ अपने संबंधों को गहरा करने से रोकने के लिए असफल कोशिश की है. साथ ही विभाग ने यह भी कहा कि चीनी अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों को भारत के साथ उसके संबंधों में हस्तक्षेप नहीं करने की चेतावनी दी है. पिछले 18 महीनों में भारत और चीन के सीमा विवाद के बारे में विस्तार से बताते हुए, इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीमा तनाव को कम करने के लिए चल रहे राजनयिक और सैन्य संवाद के बावजूद, पीआरसी ने एलएसी पर अपने दावों को मजबूत करने के लिए वृद्धिशील और सामरिक कार्रवाई करना जारी रखा है.

गलवान घाटी में बढ़ा था गतिरोध

रिपोर्ट में कहा गया है कि एलएसी पर भारत के साथ तनाव ने मई 2020 के बीच में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच चल रहे गतिरोध को जन्म दिया, जो कि सर्दियों तक चला. भारतीय सेना और पीएलए सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में झड़प के बाद 15 जून, 2020 को ये गतिरोध और बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए और दोनों ही पक्षों में जवान हताहत हुए. इस गतिरोध के दौरान पीआरसी के अधिकारियों ने संकट की गंभीरता को कम करने पर भी जोर दिया है और सीमा की स्थिरता को बनाए रखने और भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के तहत अन्य क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाने से रोकने पर भी जोर दिया है.

आक्रामक व्यवहार अपना रहा चीन 

अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए चल रहे राजनयिक और सैन्य वार्ता के बावजूद चीन ने एलएसी पर अपने दावों पर जोर देने के लिए सामरिक कार्रवाई करना जारी रखा है. इसके अलावा चीन अपने पड़ोसियों विशेष रूप से भारत के साथ आक्रामक और बलपूर्वक व्यवहार कर रहा है.

दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता जारी

पेंटागन ने कहा कि फरवरी 2021 में चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) ने 4 पीएलए सैनिकों के लिए मरणोपरांत पुरस्कार की घोषणा की. हालांकि, चीनी हताहतों की कुल संख्या का अभी भी नहीं पता चल पाया है. दोनों देशों के बीच मौजूदा गतिरोध के परिणामस्वरूप पिछले 45 वर्षो में पहली मौत हुई है. अप्रैल 2021 तक, पीएलए और भारतीय सेना के प्रतिनिधियों ने मई 2020 में गतिरोध की शुरुआत के बाद से कोर-स्तरीय वार्ता के 11 दौर आयोजित किए हैं, जिसमें पीएलए के दक्षिण शिनजियांग (नानजियांग) सैन्य जिले के कमांडरों और भारतीय सेना की 14वीं वाहिनी की बैठकें शामिल हैं. बातचीत से एलएसी के साथ लगते विशिष्ट क्षेत्रों में सीमित रूप से सैनिक पीछे हटे हैं.

दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की हुई मुलाकात

गौरतलब है कि इस सैन्य वार्ता के अलावा, 10 सितंबर को, चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) से मुलाकात की. रक्षा विभाग की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दोनों मंत्रियों ने विवाद को सुलझाने के लिए एक योजना जारी की, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है और बातचीत को बनाए रखते हुए गतिरोध को शांति से हल करने की इच्छा जरूर व्यक्त की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2021 तक पीआरसी और भारत एलएसी के साथ बड़े पैमाने पर तैनाती जारी रखे हुए हैं और इन बलों को बनाए रखने की तैयारी भी कर रहे हैं, जबकि सैनिकों को पीछे हटाने के लिए वार्ता ने सीमित प्रगति की है.

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!