अपोलो अस्पताल मार्ग चौड़ीकरण पर विवाद गहराया, स्थानीयों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
80 फीट की बजाय 60 फीट सड़क निर्माण की उठी मांग
बिलासपुर : शहर के महत्वपूर्ण अपोलो अस्पताल से शनिचरी रपटा तक प्रस्तावित सड़क चौड़ीकरण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। नगर पालिका निगम बिलासपुर द्वारा इस सड़क को मास्टर प्लान 2031 के अंतर्गत 24 मीटर (लगभग 80 फीट) चौड़ा करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए नगर निगम और जिला प्रशासन ने नापजोख की प्रक्रिया आरंभ कर दी है तथा सड़क के दोनों ओर वर्षों से बसे हुए लोगों को हटाया भी जा चुका है।
यह प्रस्तावित सड़क निर्माण मौजा चांटीडीह क्षेत्र में स्थित शनिचरी रपटा से लेकर अपोलो अस्पताल चौक तक किया जाना है। नगर निगम द्वारा मोहल्ले के लोगों को इस संबंध में पहले ही पत्र जारी कर सूचित कर दिया गया था। किन्तु जैसे-जैसे सड़क निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ी, स्थानीय निवासियों में चिंता और आक्रोश बढ़ने लगा।
स्थानीयों का कहना है कि यदि सड़क को 80 फीट चौड़ा किया गया, तो बड़ी संख्या में परिवारों को उजड़ना पड़ेगा। कई लोगों के मकान, दुकानें, और आजीविका के साधन इस सड़क की चपेट में आ जाएंगे। यही नहीं, कुछ परिवार तो पूरी तरह बेघर हो जाएंगे, जिनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है।
इस चिंता को लेकर आज प्रभावित नागरिकों ने भारी संख्या में कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि सड़क की प्रस्तावित चौड़ाई 80 फीट से घटाकर 60 फीट की जाए। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि सड़क का विस्तार रोड के सेंटर से दोनों ओर 30-30 फीट तक ही किया जाए, जिससे सड़क भी चौड़ी हो और लोगों का निवास भी सुरक्षित रहे।
ज्ञापन में यह भी बताया गया कि मानसी गेस्ट हाउस तक के हिस्से में नगर निगम ने पहले ही 80 फीट की बजाय 60 फीट चौड़ाई में ही सड़क का निर्माण किया है। इससे यह उदाहरण सामने आता है कि सड़क निर्माण कार्य में लचीलापन संभव है।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से यह भी आग्रह किया कि जनहित और मानवीय दृष्टिकोण से इस पूरे प्रकरण को देखा जाए। कई परिवार ऐसे हैं जो पीढ़ियों से वहां बसे हुए हैं और जिनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है। यदि सड़क का विस्तार 80 फीट तक किया गया, तो वे बेघर हो जाएंगे और उनका जीवन प्रभावित होगा।
इस आंदोलन को लेकर अब क्षेत्र में राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की भी नजर है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी लोगों ने सहयोग की अपेक्षा जताई है ताकि प्रशासन पर उचित दबाव बनाया जा सके और प्रभावित लोगों के लिए कोई व्यावहारिक समाधान निकाला जा सके।
फिलहाल, प्रशासन की ओर से इस संबंध में कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन ज्ञापन मिलने के बाद संभावना जताई जा रही है कि जिला प्रशासन इस मुद्दे पर पुनर्विचार कर सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नगर निगम अपनी योजना में कोई संशोधन करता है या नहीं।