घर पर रहकर परिवार के साथ करें योग

कोविड 19 त्रासदी के एक वर्ष पूर्ण होने एवं आदर्श योग आध्यात्मिक केन्द्र द्वारा निःशुल्क ऑनलाइन माध्यम से लोगो को घर पर रहकर परिवार के साथ योग करें एवं स्वस्थ रहें इस भावना से निरंतर एक वर्ष  बिना कोई अवकाश के पूर्ण किया गया |  इस अवसर पर योगाचार्य डॉ फूलचंद जी जैन, डॉ रमेश टेवानी आरोग्य केन्द्र, डॉ नरेंद्र भार्गव, श्री कुलशेकारन शेषाद्री ,अश्विनी व्योहार, श्रद्धा गणपते, राधेश्याम प्रजापति, सरिता देशमुख, अशोक देशमुख, प्रेरणा अग्रवाल, महेश अग्रवाल सुठालिया, किरण अग्रवाल, सहित योग साधको ने योग गुरु महेश अग्रवाल को इस निरंतरता के लिए बधाई एवं शुभकामनायें दी |
इस अवसर पर योग गुरु महेश अग्रवाल ने सभी योग गुरूजी एवं योग साधको एवं समाचार पत्रों के पत्रकार भाइयों को धन्यवाद देते हुए कहा की विपरीत परिस्थितियों में खुद के प्रति कठोर अनुशासन एवं दूसरों की भलाई के काम समाज के लिए एवं देश के लिए कुछ करने के जनून के साथ कार्य करना है, यदि सभी लोग अपने अपने कार्य जवाबदारी पूर्वक करने लगे तो सभी लोगो को इसका लाभ मिलता है, लोग अपने आप को बंधनों से मुक्त करें एवं खुल कर खुद प्रेरणा लेकर समाज एवं देश हित में कार्य करें |
एक वर्ष का समय बिना किसी अवकाश के सुबह 3:30 बजे उठ जाना और सुबह 5 से 7 बजे तक ऑनलाइन योग करना एवं शाम को भी योग प्रशिक्षण देना ये शक्ति भी योग अभ्यास से ही प्राप्त हुई | योग गुरू महेश अग्रवाल ने कहा की योग अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, प्राणायाम करने से प्राणों का दायरा बढ़ता है, प्राण का अर्थ वह ‘जीवनी-शक्ति’ है जो शरीर के विभिन्न केन्द्रों द्वारा अपने को अभिव्यक्त करती है। सामान्य रूप से इसका अर्थ होता है ऊर्जा। प्राणायाम का अर्थ है ‘प्राण पर नियन्त्रण’। इस अभ्यास में तीन क्रियायें निहित हैं-श्वास लेना, श्वास रोकना, श्वास छोड़ना।
शरीर को स्वस्थ एवं सक्रिय रखने के लिए आसन-प्राणायाम आवश्यक हैं। हम सब स्वस्थ रहना चाहते हैं। कोई व्यक्ति इसका अपवाद नहीं है। सांसारिक जीवन में प्रतिदिन के क्रियाकलाप या आत्मज्ञान की प्राप्ति स्वस्थ शरीर के बिना नहीं हो सकती। बीमार व्यक्ति ठीक तरह से प्रार्थना भी नहीं कर सकता। प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ रहना चाहता है। परन्तु अज्ञानवश व्यक्ति को कष्ट झेलना पड़ता है। *स्वास्थ्य में कैसे सुधार लाया जाये तथा स्वास्थ्य कैसे अच्छा रखा जाये, इसकी शिक्षा योग विज्ञान देता है।
श्वास ही जीवन है। कोई व्यक्ति कुछ समय बिना भोजन के जीवित रह सकता है, परन्तु श्वास के बिना नहीं रह सकता। जब हम श्वास लेते हैं तब वायु शरीर में प्रवेश करती है। वायु में ऑक्सीजन रहती है, जो प्राणदायक होने के कारण आवश्यक है। समस्त प्राणी-जगत् का जीवन वायु में पायी जाने वाली ऑक्सीजन पर निर्भर रहता है। यदि वायु में ऑक्सीजन न हो तो प्राणी-वर्ग जीवन रहित हो जायेगा। ऑक्सीजन ज्वलन क्रिया में सहायक तत्व है। धीरे- धीरे स्वयं को जलाने अथवा क्रमशः आत्मदहन की क्रिया ही जीवन है। शरीर के सारे तन्तु निरन्तर ऑक्सीजन से सम्पर्क कर धीरे-धीरे जलते हैं। परिणामतः अनवरत रूप से हमारे शरीर में ज्वलन क्रिया होती रहती है तथा बहुत संख्या में कोशिकाएँ जलती और नष्ट होती रहती हैं, जिससे शरीर में ताप उत्पन्न होता है और हमारे जीवन के लिए आवश्यक तापमान शरीर में बना रहता है।

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