नारायणपुर में नाटक “दसरी” का हुआ मंचन

नारायणपुर. जिला प्रशासन नारायणपुर द्वारा आयोजित मावली मेला स्थल में नाटक “दसरी” का मंचन किया गया। यह नाटक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीरज चंद्राकर और सुश्री आरती गर्ग के कॉन्सेप्ट पर आधारित तथा हुलेश्वर जोशी द्वारा रचित है।  इस नाटक के माध्यम से नन्हे छात्र – छात्राओं और पुलिस के जवानों द्वारा बेटियों के साथ होने वाले सौतेले व्यवहार, बेटी के खिलाफ सामाजिक मानसिकता, भ्रूण हत्या , कुपोषण और बालविवाह जैसे सामाजिक बुराइयों को चित्रांकित करते हुए नाटक के माध्यम से इन सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने की अपील की गई।

हम किस तरह से बेटियों को उपेक्षित रखकर उनके मानव अधिकारों का हनन करते हैं उन्हें उपेक्षित रखते हैं, कैसे हम अपने बेटा को शिर में चढ़ाकर उन्हें अपराध की दुनिया मे ढकेल देते हैं, हम बेटा के लिए क्या क्या सपने देखते हैं और कैसे उन सपनों को आखिरकार बेटियाँ साकार करती है इसे दिखाने का प्रयास किया गया है। कैसे लछमी जो खुद एक स्त्री है भ्रूण हत्या के लिए कैसे उतावली होकर अपनी झुमका बेच देती है, रमेसर और लछमी कितने क्रूरता से कोख में ही बेटी की हत्या करने का आपराधिक षड्यंत्र रचते हैं। गांव का गौटिया कैसे नाबालिग दसरी के लिए रिश्ते लाकर उसे पढ़ाई से वंचित करने और दसरी के मानव अधिकारों के हनन का प्रयास करता है और रमेसर को दुत्कारता है अपने पॉवर का रौब दिखता है।

मगर इन सभी के बीच संतोषी हमेशा अपने खुद के साथ साथ अपनी दीदी के हक और अधिकार के लिए लड़ती रहती है, वहीं जेंटलमैन सत्यवान और प्रोफेसर कृष्णकांत द्वारा दसरी को उसके शिक्षा के अधिकार, विवाह के लिए वर चुनने के अधिकार को संरक्षित करते हुए नाबालिग दसरी की शादी 18 साल के बाद ही करने के लिए समझाइस दी जाती है। उपेक्षाओं के बावजूद दसरी, संतोषी और कारी आइकोनिक बेटी बनकर समाज में मिशाल बनती है, माता पिता को सहारा देती है। अंत मे जब बेटा ललित गैंगस्टर बन जाता है तब रमेसर को पश्चाताप होता है और फिर गर्व करता है अपनी बेटियों के सफलता और जिम्मेदारियों पर… नाटक लोगों को हर क्षण अपने आगे के एक्ट और डायलॉग के लिए बांधकर रखता है, नाटक में हृयविदारक डायलॉग हैं जो दर्शकों के केवल रोंगटे ही खड़े नहीं करते बल्कि रुला भी देता है।

इस नाटक में रमेसर (पिता) का रोल – हरीश उइके, लछमी (माता) का रोल – चंद्रक्रान्ति, बेटी दसरी का रोल – कु. नेहा मंडावी, बेटी संतोषी का रोल – कु. रिया दुग्गा, बेटी कारी का रोल – कु. बिनेश्वरी यादव, बेटा ललित का रोल – ललित जुर्री, काकी का रोल – श्रीमती पूर्णिमा ठाकुर, भुरवा काका, गांव के गौटिया और वक्ता का रोल – हुलेश्वर जोशी, लड़का सत्यवान का रोल – कन्हैया वैष्णव, लड़के के पिता प्रोफेसर कृष्णकांत का रोल – चेतन बघेल, डॉक्टर का रोल – दिलीप निर्मलकर, नर्स का रोल – कु.कृष्टि राठौर और पुलिस अधिकारी का रोल – सतीश दर्रो द्वारा निभाया गया।

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