महंगाई की मार से नगाड़े की खपत हुई कम

बिलासपुर. जैसे ही होली का नाम  आता है आंखों के सामने दो ही चीज नजर आती है lएक रंग गुलाल दूसरा नगाड़ा नगाड़े की आवाज  जो गूंजती है उसे दूर तक जाती है जब नगाड़े बजाते हैं बच्चे बूढ़े जवान सब मस्त होते नाचते हैं झूमते हैं छत्तीसगढ़ी लोकगीत राधा कृष्ण के गीत भजन गाते हैं जैसे-जैसे महंगाई बढ़ रही है वैसे-वैसे सभी त्योहार  फिके  होते जा रहे हैं lछोटे-छोटे त्यौहार तो अब विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं lजो बचे कुचे बड़े त्यौहार हैं वह भी महंगाई की मार ने उनको उत्साह कम  कर दिया इस बार डोंनगरगढ़ से नगाड़ा लेके बेचने बिलासपुर के  कुछ परिवार पहुंचे हैं जैसे-जैसे तारीख नजदीक आएगी और बाहर से भी कई परिवार आएंगे नगाड़ा बेचने  के लिए अभी चार-पांच ही दुकान लगी हैl उन से पता चला इस बार नगाड़ा की कीमत 15  से 20 पर्सेंट बढ़ गई है क्योंकि चमड़ा महंगा हो गया है पेट्रोल डीजल बढ़ गया है भाड़ा  ज्यादा लगता है नगाड़ा बनाने वाले कम हो गए हैं इसलिए इसका रेट भी बढ़ गया है और अब पहले जैसा उत्साह भी लोगों में नहीं रहा कुछ लोग बिलासपुर के भी डॉगरगढ़ से नगाड़ा लेके  यहां बेच रहे हैं  बाहर से आने वाले लोगों का कहना है कि यहां पर पुलिस भी परेशान करती है बोलती है कि किस से पूछ कर यहां नगाड़ा बेच रहे हो क्यों दुकान लगाए हो यहां पर यहां से हटाओ उन गरीब परिवार को कहना है कि हम साल में एक बार आते हैं चार पांच दिन रहते हैं होली के दहन के दिन रात को चले जाते हैं बड़ी मुश्किल से खर्चा निकल पाता है 2 साल करोना  के कारण नुकसान हुआ है इस बार उम्मीद है कि माल बिक जाएगा और दो पैसे बचेंगे ताकि हम अच्छे से होली का तिह्यार  मना  सकेंl

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