इस विटामिन की कमी से झड़ जाते हैं बाल, हड्डियों का बनने लगता है चूरमा, खाना शुरू कर दें ये चीजें
शरीर के लिए हर मिनरल और विटामिन का अपना महत्व है. विटामिन डी शरीर के लिए बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण माना गया है. शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, जोड़ों में दर्द, पीठ दर्द के अलावा मांसपेशियों में दर्द की शिकायत भी हो सकती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कई गंभीर मामलों में अर्थराइटिस, रिकेट्स और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा तक हो सकता है. इसलिए शरीर में विटामिन डी की कमी न होने दें.
अब बड़ा सवाल ये है कि शरीर में विटामिन डी की कमी है या नहीं इसे कैसे पहचानें? कुछ ऐसे संकेत हैं, जो आपके इस सवाल का जवाब देते हैं. अगर शरीर में ये संकेत दिखते हैं तो समझ जाइए कि बॉडी में विटामिन डी की कमी है.
शरीर में विटामिन डी की कमी के लक्षण
- हमेशा थकान रहना
- हड्डियों में दर्द
- कमर में दर्द
- घाव या चोट का ठीक नहीं होना
- तनाव रहना
- हेयर फॉल होना
डाइट एक्सपर्ट की मानें ते उल्टा सीधा खानपान और गलत लाइफस्टाइल के चलते विटामिन डी की कमी होती है. अब बात आती है कि इसकी कमी कैसे पूरी की जाए? कुछ लोग मानते हैं कि सूर्य की रोशनी से विटामिन डी मिलता है, लेकिन आपको ये भी जानना जरूरी है कि विटामिन डी का यही एकमात्र सोर्स नहीं है. खानपान की कुछ ऐसी चीजें हैं, जो विटामिन डी की कमी को दूर कर सकती हैं. आइए नीचे जानते हैं विटामिन डी से भरपूर फूड्स के बारे में…
विटामिन डी से भरपूर चीजें
अंडा
अंडा विटामिन डी की कमी पूरी करता है. अंडे में प्रोटीन, विटामिन डी, कैल्शियम और कई तरह के मिनरल्स होते हैं. आप ब्रेकफास्ट में अंडे को शामिल कर सकते हैं.
दूध
दूध में कैल्शियम और विटामिन डी की भरपूर मात्रा पाई जाती है. दूध विटामिन डी की कमी को पूरा करने में मदद करता है.
पालक
पालक का सेवन करने से शरीर में विटामिन डी के साथ कई अन्य पोषक तत्वों की कमी भी पूरी होती है. आपको नियमित तौर पर इसका सेवन जरूर करना चाहिए.
पनीर
पनीर विटामिन डी और कैल्शियम का रिच सोर्स है. इसके सेवन से हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं. इसके नियमित सेवन से आप कई बीमारियों से बच सकते हैं.
सोयाबीन का सेवन
सोयाबीन में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन डी, ओमेगा- 3 फैटी एसिड, आयरन, विटामिन बी, जिंक, फोलेट, सेलेनियम आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है.